नोएडाः गोहत्या की सूचना पर अखलाक की हत्या का मामला अभी लोगों के जहन से निकला भी नहीं होगा कि एक बार फिर बिसाहड़ा सहित साठा चौरासी में तनाव बढ़ गया है। गांव में 1० अप्रैल को साठा चौरासी द्वारा महापंचायत बुलाई गई है। पंचायत गांव के संग्राम सिंह इंटर कॉलेज में होगी। ग्रामीणों ने नारा दिया है कि संघर्ष नहीं अब रण होगा, संघर्ष बहुत भीषण होगा। ग्रामीण बिसाहड़ा कांड की सीबीआई जांच की मांग कर रहे है। उनका आरोप है कि प्रदेश सरकार ने इस मामले में एकतरफा कार्रवाई की है।
साठा चौरासी में 144 गांवों के हजारों लोग हिस्सा लेंगे।
-18 सदस्यों की टीम साठा चौरासी महापंचायत के लिए गांव-गांव जाकर जनसंपर्क अभियान चला रही है।
-इसमें महिलाओं को मुख्य जिम्मेदारी सौंपी गई है।
-हालांकि इस मामले में अभी तक प्रशासनिक अमला शांत है।
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नौ हजार पोस्टर छपवाए गए
-साठा चौरासी की महापंचायत के लिए नौ हजार पोस्टर छपवाए जा रहे हैं।
-इसमें 6 हजार बड़े व 3 हजार छोटे पोस्टर होंगे।
-इन सभी पोस्टर को गांव के अलावा साठा चौरासी गांवों में लगाया जाएगा।
प्रशासन ने नहीं हो सकी वार्ता
शनिवार दोपहर शिव मंदिर में एकत्र हुए ग्रामीणों से प्रशासन ने मंदिर में आकर वार्ता करने से इनकार कर दिया। इस पर भड़के ग्रामीणों ने शनिवार रात मंदिर पर ड्यूटी देने के लिए आए पुलिसकर्मियों को मंदिर में नही घुसने दिया। बिसाहड़ा गांव का यह वही मंदिर है जहां से गोहत्या की सूचना लाउडस्पीकर से दी गई थी।
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क्या था मामला
-28 सितंबर की रात बिसाहड़ा गांव में गोहत्या की सूचना पर अखलाक की पीट कर हत्या कर दी गई थी
-उसके बेटे दानिश को अधमरा कर दिया गया था।
-घटना के बाद मामले में कुल 19 युवकों को आरोपी बनाया गया था।
-पुलिस की जांच में एक युवक के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले थे।
-इस वजह से उसको क्लीन चिट दे दी गई थी।
-घटना के बाद से ही ग्रामीण आरोप लगा रहे थे कि प्रदेश सरकार मामले में एक तरफा कार्रवाई कर रही है।
-मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
-ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मामले में सीबीआई जांच नहीं होती, संघर्ष जारी रहेगा।
क्या है साठा चौरासी
1384 ई. बैसाखी सुधी पंचमी के दिन सोमवार को दिल्ली में मुगलों से राजा अन्नगपाल के युद्ध में मदद करने के लिए राजस्थान चित्तौड़ से महाराणा वंश की सेना ने हापुड़ जनपद के ग्राम देहरा में आकर डेरा डाला था। बाद में महाराणा व तोमर वंश के बीच रोटी बेटी का रिश्ता बन गया। धीरे-धीरे महाराणा वंश के देहरा से निकलकर कर गांव बसते चले गये। जिसमें अब महाराणा (शिशोदिया) गोत्र के साठ गांव व तोमरों के 84 गांव बस गये, जो कि गढ़मुक्तेशर तक फैले हुए हैं। बिसाहड़ा शिशोदिया गोत्र का सबसे बड़ा गांव माना जाता है।
साठा चौरासी के बड़े गांव
सपनावत, समाना, डोमाटीकीरी, इखलेड़ी, फगौता, डहाना, छज्जूपुर, शौलाना, नन्दपुर, ककराना, कन्दौला, बझैड़ा, वासतपुर, नारायनपुर, ऊंचा गांव, खंगौड़ा, खटाना, प्यावली, रसुलपुर, सिरोधन, ततारपुर, सीदीपुर (सभी गांव शिशौदिया गोत्र के) गालंध, डुहरी, अतरौली, निजामपुर, रघुनाथपुर, खेड़ा, कस्थला, अनवरपुर, लाखन, शामली, कामई, मुकीमपुर, लाखन, एंडालपुर, सिकैड़ा, पवला, जोया, महमदपुर, दतैड़ी, पिलखुवा देहात (सभी गांव तोमर गोत्र के)।