मुंबई : महाराष्ट्र सरकार के मुख्यालय 'मंत्रालय' में रविवार को एक 84 वर्षीय किसान ने जहर खा लिया, और उसकी मौत हो गई। इस घटना को लेकर राज्य की राजनीति सोमवार को गरमा गई है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने सरकार पर हमला किया और कहा कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना द्वारा की गई हत्या है। सरकार के वरिष्ठ मंत्री सोमवार को अस्पताल पहुंचे।
धुले के किसान धर्मा पाटील की जमीन को सौर ऊर्जा परियोजना के लिए महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी ने अधिगृहित किया था, जिसके उचित मुआवजे के लिए वह 22 जनवरी को मंत्रालय पहुंचे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने की कोशिश की।
इसबीच वह अचानक गिर गए और उन्हें तुरंत ही सेंट जॉर्ज अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में उन्हें सर जे.जे. अस्पताल ले जाया गया।
रास्ते में पाटील ने अपने बेटे को बताया कि उन्होंने चूहे मारने वाली दवा खा ली है। बाद में उनकी हालत नाजुक हो गई और उन्हें डायलिसिस पर रखा गया, लेकिन रविवार रात उनकी मौत हो गई।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि यह पाटील की हत्या हुई है, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है और उसे न्याय मिलना चाहिए।
चव्हाण ने कहा, "वह शख्स अपनी जमीन के उचित मुआवजे की मांग के लिए वहां आया था। सिर्फ चार लाख रुपये देकर उसकी जमीन खरीद ली गई थी, जबकि उसके अन्य पड़ोसियों को करोड़ों रुपये बतौर मुआवजा दिया गया। वह निराश था और न्याय चाहता था, लेकिन सरकार ने उसे नजरअंदाज कर दिया और उसे असहाय छोड़ दिया।"
महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता राकांपा के धनंजय मुंडे ने कहा कि पाटील की मौत सरकार की क्रूरता का परिणाम है और सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना किसानों को न्याय नहीं दे सकते।
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि वह 84 वर्षीय किसान की मौत की खबर सुनकर काफी दुखी हैं, जो असंवेदनशील और उदासीन सरकार के खिलाफ लड़ रहा था।
स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के नेता और सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि राज्य सरकार और उसका पुनर्वास विभाग पाटील की मौत के लिए अकेला जिम्मेदार है।
शेट्टी ने कहा, "अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। इस मामले में कोई बिचौलिया शामिल नहीं है, उसे केवल चार लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था।"
इससे पहले सोमवार को पाटील का पोस्टमार्टम करने के बाद शव उनके परिवार को सौंप दिया गया, लेकिन परिवार ने शव लेने से मना कर दिया और सरकार की तरफ से जमीन का अतिरिक्त मूल्य दिए जाने का लिखित आश्वासन मांगा।
इस बीच मुद्दे को एक बड़ा विवाद बनता देख सरकार ने पाटील के परिवार को बढ़ा हुआ मुआवजा देने का लिखित आश्वासन दिया।