नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने वैदिक शिक्षा ले रहे छात्रों के लिए सीबीएसई की तर्ज पर बोर्ड बनाने का प्लान बनाया है। अभी देश में वैदिक शिक्षा दे रहे संस्थानों में करीब 10 हजार छात्र हैं। मोदी सरकार का मानना है कि अलग बोर्ड बनने से छात्रों की संख्या पहले साल 40 हजार तक पहुंच सकती है।
पांच मेंबर वाले पैनल पर जिम्मेदारी
-वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने की तैयारी की जिम्मेदारी पांच मेंबर वाले पैनल को दी गई है।
-उज्जैन के महर्षि संदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी) को बोर्ड का दर्जा दिया जा सकता है।
-प्रतिष्ठान के सचिव देवी प्रसाद त्रिपाठी ने बोर्ड बनाने के लिए शुरुआत में 6 करोड़ रुपए की जरूरत बताई है।
-एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी के साथ बैठक में गुरुकुलों और वेद पाठशालाओं के प्रमुखों ने बोर्ड की मांग की थी।
-ये बैठक बीती 17 जनवरी को बेंगलुरु में हुई थी।
क्या है एमएसआरवीवीपी?
-उज्जैन में 1987 में बना संस्थान वैदिक शिक्षा देता है।
-इससे देशभर के 450 गुरुकुल और पाठशालाएं जुड़ी हुई हैं।
-संस्थान 10वीं और 12वीं के इम्तिहान लेता है, लेकिन इसके सर्टिफिकेट मान्य नहीं हैं।
-संस्थान को बोर्ड बनाने पर सभी जगह सर्टिफिकेट मान्य होंगे।
वैदिक शिक्षा बोर्ड की क्या होगी जिम्मेदारी?
-वैदिक शिक्षा के लिए नए स्कूल स्थापित कराने होंगे।
-इन स्कूलों में वेद और संस्कृत के अलावा गणित और विज्ञान जैसे आधुनिक विषय भी पढ़ाए जाएंगे।
स्वामी रामदेव ने दिया था प्रस्ताव
-स्वामी रामदेव ने स्मृति ईरानी के मंत्रालय को ऐसे बोर्ड का प्रस्ताव दिया था।
-मंत्रालय ने 13 अप्रैल को पीएम मोदी के साथ बैठक के दौरान ऐसे बोर्ड पर मना कर दिया।
-मंत्रालय का कहना था कि अन्य स्कूल बोर्ड बनाने की भी मांग उठ सकती है।
-हालांकि स्मृति ने कहा था कि वैदिक शिक्षा को मान्यता दिलाने की कोशिश हो रही है।