वीडियो : निर्भया गैंगरेप मामले पर आया 'सुप्रीम' फैसला, दोषियों की फांसी की सजा बरकरार

Update:2018-07-09 08:20 IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में सोमवार (9 जुलाई) यानी आज एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट की तीन जजों की संविधान पीठ में शामिल प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने मुकेश (29), पवन गुप्ता (22) और विनय शर्मा की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है।



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बता दें, मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने पुनर्विचार याचिका कोर्ट में दाखिल की थी लेकिन अक्षय कुमार सिंह (31) ने अपनी याचिका दायर नहीं की। 16 दिसंबर 2012 को 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से गैंगरेप और हत्या के मामले में इन दोषियों पर सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा गया था।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि समीक्षा याचिका के जरिए कोर्ट द्वारा न्याया देने में हुई त्रुटि को दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोषियों द्वारा दाखिल याचिकाओं में कोर्ट की गलती का कोई जिक्र नहीं किया गया है।

एक युवा पेशेवर निर्भया के साथ चलती बस में पांच लोगों ने मिलकर बेरहमी के साथ दुष्कर्म किया था। पांच आरोपियों में से एक ने 16 दिसंबर, 2012 को जेल में आत्महत्या कर ली थी।

इस घटना से देश भर में आक्रोश पैदा हो गया था। निर्भया की सिंगापुर की एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय की फांसी की सजा के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई में 38 दिन लगे थे, क्योंकि चारों दोषियों के वकीलों को उनके पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था।

चलती बस में किया था गैंगरेप

इन दोषियों ने छात्रा के साथ दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया था। गैंगरेप करने के बाद उसे काफी गंभीर चोटों के साथ बीच सड़क पर फेंक दिया था। वहीं, सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में चले इलाज के बाद 29 दिसंबर 2012 को छात्रा ने दम तोड़ दिया।

उधर, इस अपराध में शामिल 6 लोगों में से एक ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली तो वहीं इसमें एक नाबालिग भी शामिल था, जिसे तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था। यहां तीन साल काटने के बाद उसे छोड़ दिया गया।

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निर्भया के गांव में खुशी की लहर

बिहार की सरहद से सटे बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र में स्थित दिल्ली के सामुहिक बलात्कार कांड की पीड़िता के पैतृक गांव मेड़वरा कला में आज जैसे ही सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल पुनर्विचार याचिका खारिज होने की जानकारी भुक्तभोगी परिवार व ग्रामवासियों को मिली, परिजन व ग्रामवासी खुशी से झूम उठे।

फैसले के बाद ग्राम में मिठाई वितरित की गयी तथा गांव के शिव मंदिर में विशेष पूजन किया गया। मंदिर में महिलाओं ने दुग्धाभिषेक कर खुशी जताई।

पीड़िता के दादा लाल जी सिंह ने फैसले पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि यदि अब तक दरिंदों को फांसी मिल गई होती तो हैवानियत की घटनायें थमती।

उन्होंने कहा कि दरिंदों को कानून का कोई भय नही रह गया है। न्यायिक सुस्ती के कारण सजा में अनावश्यक रूप से विलम्ब होता है। यदि न्यायिक सजगता हो तथा जल्द से जल्द दरिंदों को सजा मिले तो फिर कोई निर्भया दरिंदगी व हैवानियत की शिकार नही होगी।

निर्भया के दादा ने कहा कि निर्भया के दरिंदो को एक पल भी जीने का अधिकार नहीं है। अब तत्काल दरिंदों को फांसी दी जाए। भुक्तभोगी की मां ने दिल्ली से दूरभाष पर कहा कि उनका पूरा परिवार लगभग 6 वर्ष से संघर्ष कर न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। उनको खुशी है कि दरिंदों को किसी न्यायालय से अब तक कोई राहत नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से तसल्ली हुई है। हालांकि एक नाबालिग दरिंदा कानून का लाभ उठाकर फांसी की सजा से बच गया, इसका दुःख है। देर से ही सही इंसाफ मिला, परिवार को खुशी है। पीड़िता के पिता ने कहा कि वह फैसले से खुश हूं। उनको पूरा विश्वास था कि सर्वोच्च न्यायालय से दरिंदों को कोई राहत नही मिलेगा। दरिंदों को जल्द से जल्द फांसी हो, यही परिवार की चाहत है।

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