नागपुर : केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को ओटोमोबाइल निर्माताओं से जलमार्ग का प्रयोग करने और अपने वाहनों के परिवहन के लिए तटीय जहाजरानी साधन (कोस्टल शिपिंग मोड) का इस्तेमाल करने का आग्रह किया।
15 से 20 दिन का बच सकता है समय
चेन्नई बंदरगाह से बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के लिए एक रोरो-एवं-सामान्य मालवाहक पोत एमवी आईडीएम डूडल को 185 ट्रकों की खेप के साथ डिजिटली हरी झंडी दिखाकर रवाना करने दौरान उन्होंने कहा, "इस मार्ग से इन वाहनों को भेजने से 15 से 20 दिन का यात्रा समय बचने की संभावना है।"
क्या बोले मंत्री
उन्होंने कहा, "हमारी सरकार के दृष्टिकोण के अनुसार, जलमार्ग हमारी प्राथमिकता है। समुद्री मार्ग से न केवल लागत कम होती है, बल्कि यह समय और कार्बन उत्सर्जन को भी कम करता है।"
उन्होंने कहा, "मैं सभी ऑटोमोबाइल निर्माताओं से निर्यात करने और स्थानीय स्तर पर वितरण के लिए भी तटीय परिवहन का प्रयोग करने का आग्रह करता हूं।"
क्या कहती है रिपोर्ट
जहाजरानी मंत्रालय की रपट के अनुसार, "ये ट्रक मैसर्स अशोक लेलैंड द्वारा निर्यात किए जा रहे हैं। जो अभी तक सड़क मार्ग से भेजे जा रहे थे और जिससे करीब 1500 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। समुद्री मार्ग से इस सफर में करीब 15 से 20 दिन की बचत होगी।
समुद्री मार्ग से परिवहन के कारण भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल-बेनापोल चेक प्वाइंट पर वाहनों की भीड़ से बचा जा सकेगा। तटीय परिवहन से समय की बचत के साथ ही लागत में भी कमी आती है और यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।"
बयान के अनुसार, इस तरह की पहल का उद्देश्य सागरमाला के तहत उन्नत लॉजिस्टिक चेन सोल्यूशन मुहैया कराना है। इसका प्रमुख उद्देश्य लागत व परिवहन खर्च बचाना है और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाकर व्यापार करना है।
भारत और बांग्लादेश के बीच तटीय जहाजरानी समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जून 2015 में बांग्लादेश दौरे के दौरान हुआ था।
इस समझौते के अंतर्गत, भारत से बांग्लादेश तक समुद्री परिवहन को तटीय गतिविधि के तौर पर लिया जाएगा, जिसके अंतर्गत पोत संबंधी व कार्गो संबंधी लागत में 40 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार, रोरो पोत के अंतर्गत परिवहन गतिविधि में, भारतीय बंदरगाहों में पोत संबंधी व कार्गो संबंधी लागत में 80 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।