UP सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण पर खर्च किया बजट का महज 15 फीसदी

Update:2016-02-06 16:01 IST

Raj Kumar

लखनऊ. सपा सरकार बनने के बाद सीएम अखिलेश यादव ने अपने हर बजट में सूबे की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया, लेकिन लक्ष्य को पूरा न कर सकी। साल 2015-16 के बजट में सरकार ने तीन लाख करोड़ से ज्यादा का बजट पेश कर विकास की गंगा जमीन पर उतारने का दावा किया, लेकिन इसी बजट से विभागों ने अब तक जो धनराशि खर्च की है उसके आंकड़े सरकार को शर्मसार करने वाले हैं।

किस विभाग ने कितना किया खर्च ?

आपको जानकर हैरानी होगी कि सीएम अखिलेश यादव ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए 302687.32 करोड़ रुपए की बजट में व्यवस्था की थी, लेकिन ज्यादातर विभागों ने बजट का प्रावधान होने के बावजूद पैसा खर्च करने की स्वीकृतियां ही नहीं जारी कीं। सरकार अगले वित्तीय वर्ष का बजट पेश करने वाली है और अब तक पिछले बजट का ही सिर्फ 68.4 फीसदी हिस्सा ही विभाग खर्च कर पाए हैं।

नंबरविभाग का नामव्यय (% में)
1ऊर्जा45.5
2

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

59.1
3माध्यमिक शिक्षा47.5
4व्यावसायिक शिक्षा55.9
5लोक निर्माण72.4
6पंचायती राज59.9
7महिला कल्याण38.7
8अल्पसंख्यक कल्याण15.1
9गन्ना एवं चीनी उद्योग55.3

10प्राविधिक शिक्षा54.5
11उद्यान34.8
12संस्कृति32
13श्रम कल्याण35.2

अल्पसंख्यक कल्याण के दावे की खुली पोल

आम जनता के बीच सपा सरकार को अल्पसंख्यकों की हितैषी सरकार के तौर पर जाना जाता है। इसी सरकार में अल्पसंख्यकों के लिए कितना काम किया गया है, यह उसके विभाग में खर्च की गई धनराशि के आंकड़ों से साफ पता चलता है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में विभाग को 2283.73 करोड़ का बजट दिया गया था। साल खत्म होने को है, लेकिन इसमें से अब तक सिर्फ 57.2 फीसदी स्वीकृतियां ही जारी की गईं। इसमें से भी अब तक सिर्फ 15.1 फीसदी धन ही विभाग खर्च कर पाया है। इससे अल्पसंख्यकों के कल्याण का दावा करने वाली सरकार का सच उजागर हो जाता है।

पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग भी पिछड़ा

समाजवादी पार्टी का मूल वोट बैंक पिछड़ा वर्ग माना जाता है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बजट की धनराशि खर्च करने में खुद पीछे है। वह भी तब जब इस विभाग को प्राविधानित बजट में से 98 फीसदी धनराशि खर्च करने की स्वीकृतियां जारी हो चुकी हैं। इसके बावजूद अब तक सिर्फ 34.6 फीसदी ही धनराशि खर्च हो पाई है। विभाग को 1197.59 करोड़ का बजट प्राविधानित किया गया था। अब तक इसमें से सिर्फ 407.37 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं।

महिला कल्याण विभाग में सिर्फ 38.7 फीसदी हुआ खर्च

कुछ ऐसा ही हाल महिला कल्याण विभाग का है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट की धनराशि के खर्च के आंकड़े महिलाओं के सशक्तिकरण के सरकार के दावों को झुठला रहे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 567.51 करोड़ रुपए बजट आवंटित था। अब तक सिर्फ 191.10 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं।

किसान वर्ष में ही कृषि विभाग की धीमी रफ्तार

सीएम अखिलेश यादव ने मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट जारी करते समय ही इस वर्ष को किसान वर्ष घोषित किया था। इसके बावजूद किसानों का हालत बद से बदतर होती चली गई। पहले तो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलें तबाह हुईं और फिर रही-सही कसर सूखे ने पूरी कर दी। विभाग ने राज्य के कृषि विकास के लिए आवंटित धनराशि में से अब तक सिर्फ 46 फीसदी ही खर्च किया है।

- विभाग को 2321.63 करोड़ रुपए का बजट था प्राविधानित

- इसमें से भी सिर्फ 1100.07 करोड़ रुपए खर्च करने की जारी हुईं स्वीकृतियां

- विभाग इसका भी सिर्फ 46 फीसदी ही कर सका खर्च।

- पिछले साल के बजट में से 117.12 करोड़ रुपए बचे थे बाकी

- इसमें भी सिर्फ 25.20 करोड़ हो पाए खर्च

युवा सीएम की सरकार में युवा कल्याण सिर्फ 25 फीसदी

- युवा कल्याण विभाग में बजट का 25 फीसदी से भी कम हिस्सा खर्च हो पाया है

- 119.02 करोड़ रुपए के बजट का था प्राविधान

- इसमें भी अब तक सिर्फ 6.32 करोड़ ही खर्च करने की दी गई स्वीकृति

- इसमें से भी सिर्फ 1.58 करोड़ रुपए ही अब तक खर्च कर पाया है विभाग

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