लखनऊ. सपा सरकार बनने के बाद सीएम अखिलेश यादव ने अपने हर बजट में सूबे की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने पर जोर दिया, लेकिन लक्ष्य को पूरा न कर सकी। साल 2015-16 के बजट में सरकार ने तीन लाख करोड़ से ज्यादा का बजट पेश कर विकास की गंगा जमीन पर उतारने का दावा किया, लेकिन इसी बजट से विभागों ने अब तक जो धनराशि खर्च की है उसके आंकड़े सरकार को शर्मसार करने वाले हैं।
नंबर | विभाग का नाम | व्यय (% में) |
1 | ऊर्जा | 45.5 |
2 | चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण | 59.1 |
3 | माध्यमिक शिक्षा | 47.5 |
4 | व्यावसायिक शिक्षा | 55.9 |
5 | लोक निर्माण | 72.4 |
6 | पंचायती राज | 59.9 |
7 | महिला कल्याण | 38.7 |
8 | अल्पसंख्यक कल्याण | 15.1 |
9 | गन्ना एवं चीनी उद्योग | 55.3 |
10 | प्राविधिक शिक्षा | 54.5 |
11 | उद्यान | 34.8 |
12 | संस्कृति | 32 |
13 | श्रम कल्याण | 35.2 |
अल्पसंख्यक कल्याण के दावे की खुली पोल
आम जनता के बीच सपा सरकार को अल्पसंख्यकों की हितैषी सरकार के तौर पर जाना जाता है। इसी सरकार में अल्पसंख्यकों के लिए कितना काम किया गया है, यह उसके विभाग में खर्च की गई धनराशि के आंकड़ों से साफ पता चलता है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में विभाग को 2283.73 करोड़ का बजट दिया गया था। साल खत्म होने को है, लेकिन इसमें से अब तक सिर्फ 57.2 फीसदी स्वीकृतियां ही जारी की गईं। इसमें से भी अब तक सिर्फ 15.1 फीसदी धन ही विभाग खर्च कर पाया है। इससे अल्पसंख्यकों के कल्याण का दावा करने वाली सरकार का सच उजागर हो जाता है।
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग भी पिछड़ा
समाजवादी पार्टी का मूल वोट बैंक पिछड़ा वर्ग माना जाता है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बजट की धनराशि खर्च करने में खुद पीछे है। वह भी तब जब इस विभाग को प्राविधानित बजट में से 98 फीसदी धनराशि खर्च करने की स्वीकृतियां जारी हो चुकी हैं। इसके बावजूद अब तक सिर्फ 34.6 फीसदी ही धनराशि खर्च हो पाई है। विभाग को 1197.59 करोड़ का बजट प्राविधानित किया गया था। अब तक इसमें से सिर्फ 407.37 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं।
महिला कल्याण विभाग में सिर्फ 38.7 फीसदी हुआ खर्च
कुछ ऐसा ही हाल महिला कल्याण विभाग का है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट की धनराशि के खर्च के आंकड़े महिलाओं के सशक्तिकरण के सरकार के दावों को झुठला रहे हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में 567.51 करोड़ रुपए बजट आवंटित था। अब तक सिर्फ 191.10 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं।
किसान वर्ष में ही कृषि विभाग की धीमी रफ्तार
सीएम अखिलेश यादव ने मौजूदा वित्तीय वर्ष का बजट जारी करते समय ही इस वर्ष को किसान वर्ष घोषित किया था। इसके बावजूद किसानों का हालत बद से बदतर होती चली गई। पहले तो बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलें तबाह हुईं और फिर रही-सही कसर सूखे ने पूरी कर दी। विभाग ने राज्य के कृषि विकास के लिए आवंटित धनराशि में से अब तक सिर्फ 46 फीसदी ही खर्च किया है।
- विभाग को 2321.63 करोड़ रुपए का बजट था प्राविधानित
- इसमें से भी सिर्फ 1100.07 करोड़ रुपए खर्च करने की जारी हुईं स्वीकृतियां
- विभाग इसका भी सिर्फ 46 फीसदी ही कर सका खर्च।
- पिछले साल के बजट में से 117.12 करोड़ रुपए बचे थे बाकी
- इसमें भी सिर्फ 25.20 करोड़ हो पाए खर्च
युवा सीएम की सरकार में युवा कल्याण सिर्फ 25 फीसदी
- युवा कल्याण विभाग में बजट का 25 फीसदी से भी कम हिस्सा खर्च हो पाया है
- 119.02 करोड़ रुपए के बजट का था प्राविधान
- इसमें भी अब तक सिर्फ 6.32 करोड़ ही खर्च करने की दी गई स्वीकृति
- इसमें से भी सिर्फ 1.58 करोड़ रुपए ही अब तक खर्च कर पाया है विभाग