नई चाल: भारत के वर्चस्व को कम करने की फिराक में PAK, बनाएगा सार्क से भी बड़ा संगठन
8 सदस्य देशों वाले साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) की ही तर्ज पर अब पाकिस्तान भारत को साधने के लिए चीन सहित ईरान और आस-पास के मध्य एशियाई देशों को शामिल कर एक ग्रेटर साउथ एशिया इकॉनोमिक संगठन के निर्माण की जद्दोजहद में जुटा है । पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक न्यूयॉर्क में मौजूद पाकिस्तान के एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने पांच दिन के वॉशिंगटन दौरे में इस तरह के विचार सामने रखे हैं।
वॉशिंगटन: भारत पर लगाम लगाने और विश्व पटल पर भारत के वर्चस्व को कम करने के लिए चीन सहित ईरान और आस-पास के मध्य एशियाई देशों को शामिल कर अब पाकिस्तान एक ग्रेटर साउथ एशिया इकॉनोमिक संगठन के निर्माण की जद्दोजहद में जुटा है। यह 8 सदस्य देशों वाले साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) की ही तर्ज पर होगा। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक न्यूयॉर्क में मौजूद पाकिस्तान के एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने पांच दिन के वॉशिंगटन दौरे में इस तरह के विचार सामने रखे हैं।
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गौरतलब है कि पिछले महीने सीमा पार आतंकवाद का हवाला देते हुए पाकिस्तान में होने वाली 19वीं सार्क समिट का भारत समेत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका ने बहिष्कार किया था। जिसके चलते सार्क समिट को रद्द करना पड़ा था।
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पाक-चीन कॉरिडोर को बताया अहम
-पाकिस्तानी सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद ने चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर को साउथ एशिया और सेंट्रल एशिया को जोड़ने वाला अहम इकॉनोमिक रूट करार दिया।
-उन्होंने कहा कि ग्वादर पोर्ट चीन और कई सेंट्रल एशियाई देशों के लिए सबसे नजदीकी गर्म पानी वाला पोर्ट है।
-भीषण सर्दी में भी न जम पाने की वजह से इसका भौगोलिक महत्व बेहद अहम हो जाता है।
-हुसैन ने कहा कि वे चाहते हैं कि इन नई व्यवस्था में भारत भी जुड़े।
-हालांकि, असंभव है कि भारत ये ऑफर स्वीकार करें क्योंकि भारत सार्क से मिलने वाली सुविधाओं से ज्यादा आराम की स्थिति में हैं।
-मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सार्क के सदस्य आठ देशों में अफगानिस्तान और बांग्लादेश के साथ भारत के मजबूत रिश्ते हैं।
-वहीं, भूटान सभी तरफ से भारत से घिरा ऐसा देश है जो भारत का विरोध करने की स्थिति में नहीं है।
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चीन को कोई आपत्ति नहीं
-मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन भी भारत के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है लिहाजा इस प्रस्तावित व्यवस्था से चीन को कोई आपत्ति नहीं होगी।
-पाकिस्तान नई व्यवस्था से ईरान और मध्य एशियाई देशों के साथ जुड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है।