तमिलनाडु: पलानीसामी ने 122 विधायकों के समर्थन से जीता विश्वास मत, कुर्सी सुरक्षित
चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में जबर्दस्त हंगामे और विपक्षी विधायकों को सदन से निकालने के बाद सीएम ईके पलानीस्वामी ने बहुमत साबित कर दिया। पलानीस्वामी ने ध्वनिमत से विश्वास मत पर हुए मतदान में जीत हासिल की। पलानीस्वामी को 122 विधायकों का समर्थन मिला है ।
इससे पहले विधानसभा में विपक्षी दलों द्वारा गुप्त मतदान की मांग को लेकर जोरदार हंगामा हुआ था। सदन में कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद पलानीस्वामी ने बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया। जिसके बाद विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने उनके साथ तीखी नोकझोंक की।
सदन में टूटी टेबल-कुर्सियां
इससे पहले सदन में डीएमके विधायकों ने जबर्दस्त हंगामा किया। उन्होंने स्पीकर के सामने वाली टेबल-कुर्सी तोड़ दी और माइक्रोफोन भी फेंक दिया। इसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। लेकिन डीएमके विधायकों का हंगामा जारी रहा। इसके बाद डीएमके के विधायकों को सदन से बाहर निकाल दिया गया ।
29 सालों में पहली बार बहुमत परीक्षण
गौरतलब है कि पलानीस्वामी ने गुरुवार को शपथ ली थी। राज्यपाल ने उन्हें शक्ति परीक्षण के लिए 15 दिन का वक्त दिया था। लेकिन विधायकों को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच उन्होंने दो दिन बाद ही विधानसभा का खास सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में 29 सालों में पहली बार बहुमत परीक्षण हो रहा है। हाई वोल्टेज ड्रामा के बीच विधानसभा स्पीकर ने गुप्त मतदान की मांग खारिज कर दी है।
'वोट कैसे हो, आप दखल नहीं दे सकते'
शनिवार सुबह सदन में पहुंचने के बाद पन्नीरसेल्वम ने कहा था सब जानते हैं कि विधायकों को कूवाथुर में बंधक बनाकर रखा गया था। लोगों की आवाज सुननी चाहिए, तभी विधानसभा में यह परीक्षण होना चाहिए। इससे पहले विधानसभा स्पीकर ने डीएमके की फ्लाेर टेस्ट को टालने की मांग खारिज की। स्पीकर बोले, 'वोट कैसे हो। मेरे इस फैसले में कोई दखल नहीं दे सकता।'
स्टालिन बोले- जल्दबाजी क्यों?
इसके बाद डीएमके के नेता स्टालिन ने फ्लोर टेस्ट किसी और दिन कराने की मांग रखी थी। स्टालिन ने कहा, गवर्नर ने 15 दिन का वक्त दिया फिर जल्दबाजी क्यों दिखाया जा रहा? बता दें, कि हंगामा शुरू होने के बाद तमिलनाडु विधानसभा के सभी दरवाजे बंद कर दिए गए थे। खतरे को देखते हुए स्पीकर पी. धनपाल ने भरोसा दिलाया था कि विधायकों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
पुलिस ने मीडिया को विधानसभा में जाने से रोक दिया है। इसके बाद मीडियाकर्मियों और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई।