विजयन कहिन : सबरीमाला संकट के लिए आरएसएस जिम्मेदार

Update: 2018-10-23 13:54 GMT

तिरुवनंतपुरम : केरल के सीएम पिनरई विजयन ने सबरीमाला मंदिर को संघर्ष क्षेत्र में तब्दील करने के लिए 'संघ परिवार' और उसके सहयोगियों को जिम्मेदार ठहराया और नवंबर में शुरू होने वाले श्रद्धालुओं के अगले लंबे सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करवाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने मंदिर के तांत्री और पंडालम शाही परिवार की ओर से भगवान अयप्पा मंदिर पर अधिकार जताने के लिए निशाना साधा।

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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जब मंदिर 17 अक्टूबर को मासिक पूजा के लिए खुला, मुख्यमंत्री देश से बाहर थे। अदालत के आदेश के बावजूद किसी भी महिला को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दिए जाने के बाद विजयन ने इस संबंध में अपनी चुप्पी तोड़ी है।

शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को अपने ऐतिहासिक फैसले में 10 से 50 वर्ष की उम्र समूह की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी थी। इस आदेश के बाद भी इन उम्र की महिलाओं को पांच दिवसीय संक्षिप्त सत्र के दौरान मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया गया।

विजयन ने कहा, "मंदिर खुलने के पहले ही, संघ परिवार ने अपनी योजना बना ली थी। सरकार ने किसी भी श्रद्धालुओं को नहंी रोका। इसके बदले, सरकार ने सभी सहायता मुहैया करवाई, क्योंकि यह हमारा संवैधानिक दायित्व है कि शीर्ष अदालत के फैसले का पालन हो।"

उन्होंने कहा कि सबरीमाला एक धार्मिक संस्था है और शांति को बनाए रखने की जरूरत थी, लेकिन संघ परिवार के लोगों ने इसे होने नहीं दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा, "उनका एजेंडा सबरीमाला को संघर्ष क्षेत्र में तब्दील करने का था और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आगामी उत्सव के समय (17 नवंबर से शुरू हो रहा दो महीना लंबा सत्र) सरकार शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन कराने के लिए सबकुछ करे।"

उन्होंने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि उस समयावधि में किसी भी श्रद्धालु को एक खास समय से ज्यादा देर वहां नहीं रहने दिया जाए।

विजयन ने कहा कि श्रद्धालुओं को संभालने के लिए तिरुपति मॉडल की प्रणाली लागू की जाएगी।

उन्होंने तांत्री (मुख्य पुजारी) पर भी निशाना साधा, जिसने पुलिस द्वारा महिलाओं को मंदिर में पूजा करवाने की कोशिश के बावजूद, मंदिर को बंद करने की धमकी दी थी।

विजयन ने कहा, "तांत्री की ओर से यह गैर जरूरी बयान था, क्योंकि मंदिर को खोलने व बंद करने का अधिकार त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीडीबी) का है।"

पंडालम शाही परिवार की ओर से मंदिर पर दावा जताने पर उन्होंने कहा, "सबरीमाला मंदिर टीडीबी की संपत्ति है और किसी का भी इसपर कोई अधिकार नहीं है। 1949 अनुबंध में स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है कि शाही परिवार के समक्ष गंभीर वित्तीय संकट उत्पन्न होने की वजह से सबरीमाला मंदिर का मालिकाना हक टीडीबी को दिया जाता है।"

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