PM मोदी ने कहा- गांव का मुखिया सबसे बड़ा, महिला प्रधानों को दिए टारगेट

Update:2016-04-24 14:47 IST

जमशेदपुर: पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को जमशेदपुर में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर पंचायती राज सम्मेलन को संबोधित किया। राज्यों से आए करीब 3,000 पंचायत प्रतिनिधियों के सामने पीएम मोदी ने कहा गांव का मुखिया देश के मुखिया से बड़ा होता है। गांव का मुखिया लोगों का जीवन बदल सकता है। पीएम ने देश की 40 फीसदी महिला ग्राम प्रधानों के सामने कई चुनौतियां भी रखीं।

बदा दें, सम्मेलन का देशभर में सभी ग्राम सभाओं तक लाइव टेलीकास्ट किया गया।

ग्रामोदय से भारत उदय का मकसद देश भर में पंचायती राज और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों को मज़बूती प्रदान करना है। इस दौरान, वह केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और सिक्किम जैसे राज्यों को अवॉर्ड दिया, क्योंकि इन राज्यों ने पंचायतों को अभी तक सबसे अधिक अधिकार दिए हैं।

सुनिए पीएम का पूरा भाषण

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पीएम ने कहा...

-सामान्य रूप से पंचायती राज दिवस दिल्ली में विज्ञान भवन में हुआ करता था। देश बहुत बड़ा है। दिल्ली ही देश है, इस भ्रम से बाहर आना चाहिए। इसलिए हमारी कोशिश है कि भारत सरकार को दिल्ली से बाहर निकालकर देश के अलग-अलग जगहों पर ले जाया जाए। इसलिए हम सरकार के काम को जनता के बीच ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

सॉयल हेल्थ कार्ड के लिए राजस्थान चुना, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ की शुरुआत हरियाणा में की, क्योंकि वहां बेटियों की संख्या कम थी। सामाजिक सुरक्षा के लिए बीमा देना था तो पश्चिम बंगाल गए। आज ग्रामोदय से भारत उदय कार्यक्रम झारखंड में किया।

ऐसा काम करें कि पीढ़ियां याद करे

महात्मा गांधी कहा करते थे कि भारत गांवों में बसा हुआ है। लेकिन हम देख रहे हैं कि आजादी के इतने सालों के बाद गांव और शहर के बीच खाई बढ़ती चली गई। जो सुविधाएं शहर में है उसका हकदार गांव नहीं हैं क्या? हम देख रहे हैं कि कुछ गांव शहरों से भी बेहतर सुविधा बनाने में सफल रहे। गांव में बैठ पंचायत प्रतिनिधि तय कर लें कि पांच साल में गांव के लिए कुछ ऐसा कर दूं कि आने वाली पीढ़ियां याद करें।

महिला पंचायत प्रतिनिधियों के सामने टारगेट

-आज हमारे देश में करीब 30 लाख चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं। उनमें 40 फीसदी महिलाएं हैं।

-मैं आज इन लाखों महिला प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि मेरी माताएं-बहनें आपके गांव ने आप पर भरोसा किया है।

-आप मां हैं, आप महिला हैं। क्या आप अपने पंचायत में कुछ बातों के विषय में परिवर्तन ला सकती हो?

-आपके गांव में एक भी बहन-बेटी खुले में शौच के लिए नहीं जाएगी। सभी घरों में शौचालय हो।

-सरकार की तरफ से बजट मिलता है, स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मील चलता है।

-आप चौकसी करें कि सरकार के पाई-पाई का उपयोग से अच्छा भोजन बच्चों के बालक को मिलता है? बालक भगवान का रूप होता है, वह कुपोषित ना हो।

-गरीबी से नीचे रहने वाली गर्भवती महिलाओं को नौ महीने तक अच्छा आहार मिले। इसके लिए गांव मिलकर जिम्मेदारी उठा सकते हैं क्या? कभी मां मरती है कभी बच्चा और कभी दोनों मर जाते हैं। हम जागरूकता लाएं कि हम ऐसी गरीब महिलाओं को आशा से मिलाएं। नजदीकी अस्पताल में उसकी प्रसूती हो।

ग्रामोदय से भारत उदय अभियान कार्यक्रम में मौजूद पीएम मोदी

संकल्प कर लें तो बदल जाएंगे गांव

-आज लाखों रुपए हर साल गांव के पास आते हैं। पंचायती चुनावों में कंप्टीशन बढ़ने का कारण भी यह पैसा ही है। लेकिन यदि पंचायत प्रतिनिधि संकल्प कर लें तो पांच साल में गांव बदल सकत हैं। इसके लिए हमें पंचायत व्यवस्था को मजबूत बनाना चाहिए। देश का भाग्य बदलने के लिए दिल्ली की संसद का है उतना ही पंचायत की संसद का है।

ग्राम सभा को किया जाए मजबूत

-आज ग्राम सभा को मजबूत करने की जरूरत है। ग्राम सभा का दिन पहले से तय हो। ग्रामोत्सव का माहौल हो। सुबह प्रभात फेरी निकले। हम ऐसी ग्राम सभा करें जिसमें गांव के 30 फीसदी लोग आएं। ग्राम सभा में तय करें कि क्या करना है कैसे करना है।

गांव की चिंता हो

-गांव में शिक्षक हो, स्कूल हो, बजट आता हो लेकिन फिर भी हमारे गांव के बच्चे स्कूल जाना छोड़ दें।

-तो क्या हमें इसकी चिंता होती है क्या? नहीं होती तो हम मुखिया नहीं है। हम ऐसा नागरिक तैयार कर रहे हैं जिसके जीवन में अंधेरा है।

-कितने जनप्रतिनिधि हैं कि पल्स पोलियो अभियान की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा लेते हैं कि हमारे पंचायत में कोई बच्चा पोलियो की खुराक से वंचित नहीं रहेगा।

-करोड़ों बच्चे अभी भी ऐसे हैं, जिनका टीकाकरण नहीं होता है। हमारा संकल्प होना चाहिए कि कोई टीकाकरण से ना बचे। कोई भी बालक दिव्यांग ना हो।

यदि गांव में किसान परेशान है तो सारे काम बंद हो जाते हैं। गांव का आर्थिक ढांचा खराब हो जाता है। क्या यह नहीं कर सकते हैं कि पूरा गांव डीप इरिगेशन का उपयोग करे। सॉयल हेल्थ कार्ड अपनाएं। पशुपालन करें, मछलीपालन कराएं।

प्रतिनिधि सक्रिय तो विकास

-जिस गांव का प्रतिनिधि सक्रिय होता है उस गांव में अधिकारियों और नेताओं को भी काम करने मजा आता है। इलाके में 12-15 जहां सक्रिय प्रतिनिधि होते हैं, वहां बहुत काम हो जाता है, बाकी जगह नहीं।

-पैसे की कमी नहीं है योजनाओं की कमी नहीं है। आवश्यकता है कि गांव में बैठे लोग योजनाओं को सही से लागू करें।

हर साल बनाएं टारगेट

-पांच साल के लिए गांव पांच कार्यक्रम ले सकता है। हर साल एक कार्यक्रम।

-जैसे कोई गांव तय कर ले कि ये साल हरित गांव होगा। हर तरफ पेड़ लगाएं। एक साल पानी को बचाने का काम करेंगे।

-हम यह तय कर सकते हैं कि हमारे गांव के हर किसान के पास सॉयल हेल्थ कार्ड हो।

-पंचायत राज संवैधानिक व्यवस्था है, लेकिन जब तक गांव के सभी लोग एकजुट होकर गांव की चिंता नहीं करते तब तक विकास नहीं हो सकता है।

-गांव के आम लोगों की आय कैसे बढ़े। मनरेगा की योजना चलती है। अरबों रुपए खर्च होते हैं। लेकिन हम तय करें कि मनरेगा के तहत तालाब बनवाएंगे, पेड़-पौधे लगवाएंगे।

-कुछ चौकसी की जरूरत है। मैंने सरकार में आने पर पूछा तो पता चला कि 18 हजार गांवों में बिजली नहीं पहुंचा।

-हमने बीड़ा उठाया कि एक हजार गांवों में बिजली पहुंचाना है। मैं गांव वालों से कहता हूं आप जागरूक रहिए देखिए कोई गलत जानकारी तो नहीं दे रहा।

पांच करोड़ महिलाओं को देंगे सिलेंडर

गांव में हमारी मां आज भी लकड़ी का चूल्हा जलाकर खाना बनाती है। हमें उन्हें लकड़ी के धुएं से मुक्ति दिलानी है। हमने बीड़ा उठाया है कि आने वाले तीन साल में पांच करोड़ परिवारों को सिलेंडर देना है। आप गांवों में देखें कि लोगों को मदद पहुंच रहा है कि नहीं।

-हमने इनाम नाम की योजना शुरू की है। यह किसानों के लिए है। अब किसान अपने मोबाइल से तय कर सकता है कि वह अपना सामान कहां बेचना चाहता है। जहां उसे ज्यादा मुनाफा मिलेगा वहां बेचेगा।

पैसे, बजट और इरादे की कमी नहीं है, कमी है तो सहयोग की। सहयोग मिल जाए तो पूरा देश चल पड़ेगा। यह कार्यक्रम का समापन हो रहा है, लेकिन असल में इरादों का समय शुरू हो रहा है।

नीचे पढ़िए, पीएम मोदी के कुछ ट्वीट्स

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