मायावती, मुलायम ने कहा था नोटबंदी करिए, पर कुछ दिन का वक्त तो दीजिए: मोदी
गोंडा: पीएम मोदी ने गोंडा में जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब से 8 नवंबर को रात 8 बजे टीवी पर आकर मैंने नोटबंदी का ऐलान किया, तब से एक बहुत बड़ी ताकत देश को भ्रमित करने के लिए, झूठ फैलाने के लिए जी-जान से जुटी हुई। तब से उन्हें भारत की अर्थव्यवस्था की चिंता होना शुरू हो गई। नोटबंदी से क्या फर्क पड़ा, उसके बारे में किसी ने नहीं सोचा। अभी कल महाराष्ट्र के नतीजे आए। पता है ना क्या हुआ? कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है, साफ हो गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि नोटबंदी के बाद बड़े-बड़े लोगों को बहुत परेशानी हुई। मुलायम सिंह यादव से लेकर मायावती तक से यह कह दिया कि नोटबंदी का फैसला लेने से पहले थोड़ा सा वक्त तो दे देते। भारत के लोगों में एक तीसरा नेत्र होता है, उस तीसरे नेत्र से वो भलीभांति परख लेते हैं कि सच क्या है, झूठ क्या है। कौन सा रास्ता सही है और कौन सा रास्ता गलत है, ये हमारे देश का गरीब से गरीब इंसान भी समझ लेता है।
'नोटबंदी के बाद साथ आए सपा और बसपा'
-हमारे देश में झूठमूठ आरोप लगाने वालों, अनाप-शनाप बयान देने वालों की कमी नहीं है।
-झूठ फैलाने का भरपूर प्रयास किया जाता है और उसे सुनें तो कोई भी इंसान डर जाएगा।
-इसके बावजूद हमारे देश का गरीब से गरीब इंसान भी सच को पकड़ लेता है।
-पिछले कुछ दिनों में जब से मैंने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ कड़े कदम उठाना शुरू किया है।
-पिछले 15 साल में सपा वाले एक बात बोलते हैं, तो बसपा वाले उल्टा बोलते हैं। कोई बात ऐसी नहीं है, जिसमें दोनों ने एक ही बात बोली हो।
-15 साल में एक ही बार ऐसा हुआ, जब नोटबंदी आई तो दोनों बोलने लगे कि मोदी बेकार है। कैसी मुसीबत आई होगी उन पर, इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं।
- मैं देशवासियों को सिर झुकाकर नमन करता हूं कि इन्होंने देश की भलाई के लिए क्या अच्छा है, उसका साथ दिया।
बढ़ गई है मेरी जिम्मेदारी: मोदी
-चाहे उड़ीसा का चुनाव हो, चाहे गुजरात हो, महाराष्ट्र हो। पिछले तीन महीनों में जहां चुनाव हुए।
-वहां बीजेपी ताकतवर हो या ना हो, जनता जनार्दन ने अपने तीसरे नेत्र की ताकत से बीजेपी का साथ दिया और उसे विजयी बनाया।
- उड़ीसा, महाराष्ट्र, चंडीगढ़ के लोग बीजेपी का समर्थन करते हैं तो इसका मतलब ये है कि मेरी जिम्मेदारी अब ज्यादा बढ़ जाती है।
-समर्थन से हमें सत्ता का नशा नहीं चढ़ता है, हमें जनता के लिए जी-जान से काम करने की प्रेरणा मिलती है।