चहुंमुखी रणनीति से किसानों की आमदनी दोगुनी होगी : मोदी

Update: 2018-07-02 15:39 GMT

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि चहुंमुखी रणनीति से किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी होगी। प्रधानमंत्री ने फिर कहा कि किसानों को अधिसूचित फसलों के लिए लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाएगा।

मोदी ने मासिक पत्रिका 'स्वराज' को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि किसानों को 'ई-नाम' के माध्यम से उनकी फसलों का उचित दाम प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे।

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उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि के लिए आय के साधन बढ़ाने और जोखिमों को कम करने की जरूरत है, क्योंकि सरकार ने 2022 तक उनकी आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।

मोदी ने कहा, "किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम एक चहुंमुखी रणनीति का अनुसरण कर रहे हैं, जिसमें लागत कम करना, उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करना, फसलों की कटाई और कटाई के बाद क्षति को न्यूनतम करना और आय सृजन के बेहतर अवसर पैदा करना शामिल है।"

उन्होंने कहा, "अगर हमारी हस्तक्षेप की नीति पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि बीज से बाजार तक हर कदम पर किसानों की मदद करने का मकसद उसमें समाहित है।"

मोदी ने कहा, "किसानों को न सिर्फ फसलों की लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा, बल्कि उनको ई-नाम (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) की मदद से उचित दाम भी मिलेगा।"

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पांच साल की अवधि में कृषि क्षेत्र के लिए 2.12 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जबकि पूर्व में कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने महज 1.21 लाख करोड़ रुपये का आवंटन कृषि के लिए किया था।

उन्होंने कहा, "उनके विपरीत हमारी पहलें फाइलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह जमीन पर भी कार्य कर रही हैं।"

मोदी ने कहा कि संप्रग शासन के दौरान किसानों को अवैज्ञानिक पद्धति से खेती करने को बाध्य किया गया।

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उन्होंने कहा, "उनको (किसानों) अक्सर यूरिया के लिए लाठी खानी पड़ती थी। उनके लिए कोई उचित फसल बीमा नहीं था और न ही उनको फसलों की उचित कीमत मिलती थी।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के लिए किसानों को अब मृदा स्वास्थ्य कार्ड से लैस किया गया है। यूरिया की किल्लत अतीत की बात बन गई है और नीम लेपित यूरिया से पैदावार बढ़ रही है। अब किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के साथ समग्र फसल बीमा कवर मिल रहा है।"

मोदी ने निजी क्षेत्र से कृषि में निवेश बढ़ाने की अपील की, क्योंकि कुल निवेश में इसकी हिस्सेदारी महज 1.75 फीसदी है।

उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी से लेकर खाद्य प्रसंस्करण और आधुनिक मशीनरी से लेकर अनुसंधान तक निजी क्षेत्र के लिए भारी संभावनाएं हैं। अगर निजी क्षेत्र की बाजार समझ और विश्व की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के समन्वय का हमारे किसानों के कठिन श्रम और संकल्प के साथ मेल होगा तो यह किसानों और निजी क्षेत्र दोनों के लिए लाभकारी होगा।"

नौकरियों की कमी नहीं, नौकरियों के आंकड़े नहीं हैं : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्षी नौकरियों के मामले में 'अपनी इच्छानुसार' एक तस्वीर बना रहे हैं, क्योंकि हमारे पास नौकरियों पर पर्याप्त आंकड़े मौजूद नहीं हैं। मोदी ने 'स्वराज्य' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा, "नौकरियों की कमी से ज्यादा, नौकरियों पर आंकड़े की कमी की समस्या है। हमारे विपक्षी स्वाभाविक रूप से इस अवसर का इस्तेमाल अपनी इच्छानुसार तस्वीर बनाने और हमपर आरोप मढ़ने में कर रहे हैं। मैं हमारे विपक्षियों को नौकरी के मुद्दे पर हमपर आक्षेप लगाने का आरोप नहीं लगाता हूं, आखिरकार किसी के पास भी नौकरियों पर वास्तविक आंकड़ा मौजूद नहीं है।"

उन्होंने कहा कि नौकरियों को मापने का पारंपरिक ढांचा 'नए भारत की नई अर्थव्यवस्था में नए रोजगार को मापने के लिए पर्याप्त नहीं है।'

उन्होंने साथ ही कहा कि यह हमारे नौजवानों के हितों और आकांक्षाओं को पूरा नहीं करता है।

उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए, देश में सामान्य सेवा केंद्रों को चलाने वाले ग्रामीण स्तर पर तीन लाख उद्यमी हैं और ये ज्यादा रोजगार पैदा कर रहे हैं। स्टार्ट-अप नौकरियों की संख्या बढ़ रही है और यहां लगभग 15,000 स्टार्ट-अप्स हैं, जिसे सरकार ने मदद दी है और कइयों का संचालन शुरू होने वाला है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर हम नौकरियों की संख्या को देखे तो, ईपीएफओ के पेरोल डेटा के अनुसार, सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक 41 लाख औपचारिक नौकरियों का सृजन हुआ है। ईपीएफओ के डेटा पर अध्ययन के अनुसार, पिछले वर्ष औपचारिक क्षेत्र में 70 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है।"

मोदी ने कहा कि औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों के सृजन से अनौपचारिक क्षेत्र में भी अतिरिक्त उत्पाद प्रभाव (स्पिनऑफ इफेक्ट) पैदा होगा, जोकि कुल नौकरियों का 80 प्रतिशत बैठता है।

उन्होंने कहा, "अगर आठ माह में औपचारिक क्षेत्र में 41 लाख नौकरियों का सृजन होता है, तो औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र में कितनी नौकरियों का सृजन होगा।"

मोदी ने कहा, "मुद्रा योजना के अंतर्गत 12 करोड़ से ज्यादा ऋण दिए गए हैं। क्या यह आशा करना गलत है कि एक ऋण से कम से कम एक व्यक्ति की जीविका का निर्माण होता है या सहायता मिलती है।"

उन्होंने कहा, "पिछले एक वर्ष में एक करोड़ से भी ज्यादा घरों का निर्माण हुआ है। इससे कितना रोजगार पैदा हुआ? अगर प्रति माह सड़क का निर्माण दोगुना हो रहा है, अगर रेलवे, राजमार्गो, विमानन कंपनियों में जबरदस्त वृद्धि हो रही है, तो यह किसकी ओर इशारा करता है?"

मोदी ने रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस में 'स्थिरता की कमी' का आरोप लगाया और कहा कि अगर राज्य सरकार लाखों नौकरियों के सृजन का दावा कर रही है तो, यह कैसे हो सकता है कि केंद्र सरकार नौकरियों का सृजन नहीं कर रही है?

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