नेता जी को लेकर राजनीति में उबाल, मोदी के नहले पर कांग्रेस का दहला

Update:2018-10-21 18:38 IST

नई दिल्ली : आजाद हिंद फौज का 75वां स्थापना दिवस नेताओं के लिए मौका बनकर सामने आया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर राजनीति गरम हो गई। पीएम नरेंद्र मोदी ने जहां लाल किले से कांग्रेस पर नेताजी और सरदार पटेल जैसी विभूतियों को भुलाने का आरोप लगाया तो वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि विरासत विहीन बीजेपी जल बिन मछली जैसे तड़प रही है। बीजेपी का आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, इसलिए वह विरासत हथिया रही है। कांग्रेस ने अपनी पिछली सरकारों में नेताजी के सम्मान में किए गए कामों को गिनाते हुए पीएम को इतिहास पढ़ने की सलाह भी दे डाली।

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'एक उच्च संवैधानिक पद पर आसीन होकर शुभ अवसरों पर भी पीएम का 24 घंटे राजनीति की बात करना क्या शोभा देता है। क्या आज के शुभ दिन पर यह जरूरी था। कभी पटेल को राजनीति में घसीट लाते हैं, कभी नेताजी को।' सिंघवी ने कहा कि विरासत विहीन बीजेपी जल बिन मछली की तरह तड़प रही है। राष्ट्रीय आंदोलन, आजादी के आंदोलन की विरासत को हथियाने में लगी हुई है।

सिंघवी ने कहा कि नेताजी का पूरा राजनीतिक जीवन कांग्रेस के साथ शुरू हुआ और वह कांग्रेस के शीर्ष पर पहुंचे। जब आजादी मिली तो नेहरू ने पहला मुख्य भाषण दिया तो उन्होंने उस वक्त श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि काश हमारे साथ नेताजी होते।

सिंघवी ने कहा कि कौन था जिसने नेताजी के इंडियन नैशनल आर्मी के ट्रायल में स्वतंत्रता सेनानियों को डिफेंड किया था? क्या संघ के वकील थे? क्या बीजेपी के वकील थे? नहीं, वहां वकील जवाहरलाल नेहरू थे।'

सिंघवी ने कहा, 'नेताजी ने 1938 में नैशनल प्लानिंग कमिटी बनाई थी। इसी को आजादी के बाद प्लानिंग कमिशन का रूप मिला। नेताजी ने जिस संस्था को बनाया आज उसे ध्वस्त कर नीति आयोग बना पीएम नेताजी की दुहाई दे रहे हैं।'

सिंघवी ने पूछा, '1957 में नेताजी रिसर्च ब्यूरो किसने बनाया? नेहरू सरकार ने इसे बनाया। 1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने वैश्विक स्तर पर सेमिनार किया जिसे फर्स्ट नेताजी इंटरनैशनल सेमिनार कहा जाता है।'

सिंघवी ने बताया कि मोइरांग में आजाद हिंद फौज के शहीदों के लिए मेमोरियल बनाने के काम से लेकर नेताजी म्यूजियम तक का काम कांग्रेस सरकारों में हुआ।

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जानिए क्या कहा था पीएम ने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि एक परिवार की मौजूदगी को बड़ा बताने के लिए सुभाष चंद्र बोस, बी.आर.अंबेडकर व सरदार पटेल जैसे नेताओं के देश के लिए योगदान को भुला दिया गया।

प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद फौज को समर्पित एक संग्रहालय की आधारशिला रखी। मोदी ने कहा कि आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले सुभाष चंद्र बोस ने कैम्ब्रिज में अपने दिनों को याद करते हुए लिखा था, "हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।"

मोदी ने कहा, "यह हमारा दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद भी जिन्होंने देश व हमारी प्रणाली की नींव रखी वो भारत को विदेशी चश्मे से देखते रहे। इससे हमारी विरासत, संस्कृति, शिक्षा प्रणाली, हमारा अध्ययन सभी बुरी तरह से प्रभावित हुआ।"

मोदी ने कहा, "आज मैं निश्चित तौर पर यह कह सकता हूं कि अगर हमारे देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे शख्सियतों का मार्गदर्शन मिला होता और अगर भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होतीं। यह दुखद है कि सिर्फ एक परिवार की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए पटेल, अंबेडकर व बोस जैसे भारत के सपूतों को भुला दिया गया।"

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प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इसे बदल रही है।

उन्होंने कहा कि देश का संपूर्ण विकास बोस के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू था और राजग सरकार बोस की कल्पना के दिशा में जा रही है।

मोदी लाल किले की प्राचीर से बोल रहे थे। उन्होंने आजाद हिंद सरकार के स्थापना की 75 साल पूरे होने पर ध्वाजारोहण किया।

आजाद हिंद सरकार की स्थापना बोस द्वारा आजादी के आंदोलन के दौरान की थी।

पारंपरिक रूप से प्रधानमंत्री राष्ट्र ध्वज स्वतंत्रता दिवस पर फहराते हैं लेकिन अब मोदी 21 अक्टूबर को लाल किले पर झंडारोहण करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं।

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