नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना करते हुए कहा कि उनका एकल जीएसटी स्लैब का सुझाव त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कर संग्रह के आधार पर बीच की श्रेणी के कुछ कर स्लैब के विलय की गुंजाइश होगी, मगर एकल-स्लैब प्रणाली भारत में काम नहीं करेगी।
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वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के लागू होने के एक साल पूरे होने पर जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, "राहुल गांधी भारत के लिए एकल जीएसटी स्लैब की वकालत कर रहे हैं। यह त्रुटिपूर्ण सुझाव है। एकल जीएसटी स्लैब सिर्फ उन्हीं देशों में काम कर सकता है, जहां पूरी आबादी की खर्च करने की क्षमता एक जैसी और उच्चस्तर की है।"
उन्होंने कहा, "सिंगापुर मॉडल से आकर्षित होने की बात समझ में आती है, लेकिन सिंगापुर जैसे देश की आबादी और भारत की आबादी अलग-अलग है।"
उन्होंने आगे कहा कि सिंगापुर खाद्य पदार्थो और विलासिता की वस्तुओं पर सात फीसदी जीएसटी लगा सकता है, लेकिन वह मॉडल यहां काम नहीं करेगा।
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जेटली ने कहा, "जीएसटी एक प्रतिगामी कर है, जिसमें गरीबों को काफी राहत देने देने की जरूरत है। इसलिए अधिकांश खाद्य पदार्थ जैसे कृषि उत्पादों और आम आदमी द्वारा उपयोग किए जाने वाले उत्पादों को कर से बाहर रखा जाता है। कुछ अन्य उत्पादों पर नाममात्र का कर लगाया जाता है, जबकि कुछ अन्य उत्पादों पर कर की दर ऊंची होती है।"
उन्होंने कहा, "आखिरकार, कर संग्रह बढ़ने की स्थिति में 28 फीसदी कर की श्रेणी से कई मदों को निकालकर निचली श्रेणी में लाई जा सकती है। सिर्फ सिन प्रोडक्ट यानी नीति विरुद्ध इस्तेमाल होने वाले उत्पाद और विलासिता की वस्तुएं इस श्रेणी में रहेंगी।"
जेटली ने राहुल गांधी और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग किए जाने पर उनकी आलोचना की और कहा कि राज्यों के वित्तमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हैं।
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उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक फॉर्मूला पर काम किया है, ताकि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी संविधान संशोधन में शामिल किया जाए, लेकिन इसे किस तिथि से जीएसटी में शामिल किया जाएगा, उसे जीएसटी परिषद ही तय कर सकती है।
प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर बिना पोर्टफोलियो के मंत्री के रूप में सूचीबद्ध जेटली ने कांग्रेस की अगुवाई वाली पूर्व संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जब पूर्ववती सरकार ने जीएसटी लागू करने की कोशिश की तो उसे राज्यों का साथ नहीं मिला।