गुहा ने लिखा- 'सुपरस्टार सिंड्रोम' कर रहा क्रिकेट को बर्बाद, धोनी-गावस्कर निशाने पर
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की प्रशासनिक समिति से इस्तीफा देने वाले रामचंद्र गुहा का इस्तीफा पत्र सामने आया है। पत्र में उन्होंने वन डे मैचों के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स पर निशाना साधा है। बता दें, कि गुरुवार को रामचंद्र गुहा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
रामचंद्र गुहा ने धोनी के टेस्ट टीम में ना होने के बावजूद उन्हें सैलरी संबंधित कॉन्ट्रैक्ट में 'ए' ग्रेड पर रखे जाने पर आपत्ति जताई है। इसके अलावा, पूर्व क्रिकेटर सुनील गावसकर पर भी उन्होंने निशाना साधा है। गौरतलब है कि गुहा का इस्तीफा पत्र ऐसे समय समय आय है जब टीम इंडिया के नए कोच के चयन की तैयारी चल रही है। कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच तनातनी की खबरें भी हाल के दिनों में सुर्ख़ियों में रही हैं।
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गुहा की चिट्ठी में क्या?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के चेयरमैन विनोद राय को लिखे पत्र में गुहा ने अपनी राय रखी है। खास तौर पर उन्होंने क्रिकेट टीम के सितारों को निशाने पर रखा है। गुहा का आरोप है कि 'सुपरस्टार सिंड्रोम' ने भारतीय टीम के कॉन्ट्रैक्ट को प्रभावित किया है। उन्होंने लिखा है कि 'बीसीसीआई बड़े क्रिकेटरों को खास तवज्जो देती है। जबकि, क्रिकेट प्रशासकों की समिति (सीओए) हितों के टकराव संबंधी मुद्दों को हल करने में नाकाम रहा है।
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गावस्कर पर निशाना
गुहा ने आगे लिखा है कि राष्ट्रीय टीम के कोच आईपीएल के लिए असली काम को नजरअंदाज कर रहे हैं। दिल्ली डेयरडेविल्स के कोच राहुल द्रविड़ इस वक्त इंडिया 'ए' और इंडिया जूनियर टीम के कोच भी हैं। वहीं, बीसीआई के कॉन्ट्रैक्ट पर बतौर कॉमेंटेटर काम कर रहे सुनील गावस्कर को प्लेयर मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख होने पर भी सवाल उठाए हैं।
अनिल कुंबले का मुद्दा भी उठाया
रामचंद्र गुहा ने पत्र में कोच को लेकर जारी विवाद पर भी साफ-साफ़ लिखा है। उन्होंने इस मुद्दे को हल करने में अपनाए गए कथित 'अव्यावसायिक' रवैए की आलोचना की। उन्होंने अनिल कुंबले के शानदार रेकॉर्ड के बावजूद उनके कॉन्ट्रैक्ट को पुनः अनुबंधित ना होने का मामला उठाया। गुहा का आरोप है कि 'सीओए घरेलू क्रिकेटरों की उपेक्षा करता है। क्योंकि उनके और इंटरनेशनल खिलाड़ियों की मैच फीस में बड़ा अंतर है।' साथ ही यह भी आरोप लगाया कि अयोग्य करार दिए गए अफसर भी बीसीसीआई की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं।