नई दिल्ली : आरएसएस के तीन दिन के व्याख्यानमाला कार्यक्रम 'भारत का भविष्य' के अंतिम दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने सवालों के जवाब दिए।
भागवत ने कहा कि राममंदिर का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए। भगवान राम अपने देश के बहुसंख्य लोगों के लिए भगवान हैं लेकिन वे केवल भगवान नहीं हैं। उनको लोग इमामे हिंद मानते हैं। इसलिए जहां राम जन्मभूमि है वहां मंदिर बनना चाहिए।
भागवत ने इस दौरान जाति व्यवस्था, आरक्षण, अल्पसंख्यक, समलैंगिकता, जम्मू-कश्मीर और शिक्षा नीति जैसे कई मुद्दों पर आए सवालों के जवाब दिए।
गवत ने कहा, 'समाज का प्रत्येक व्यक्ति समाज का एक अंग है। उनकी व्यवस्था करने का काम समाज को ही करना चाहिए। समय बहुत बदला है, समय के साथ समाज भी बदलता है।
भागवत ने कहा कि अंतरजातीय विवाह का समर्थन करते हैं। मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए। स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतरजातीय विवाह किया है।
भागवत ने कहा, अंग्रेजी हमारे मन में है, नीति नियामक में नहीं। मातृभाषाओं को सम्मान देना शुरू करें।
भागवत ने कहा, 'सामाजिक विषमता को हटाकर समाज में सबको अवसर मिले। संविधान सम्मत आरक्षण को संघ का समर्थन है। आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही करेंगे। आरक्षण समस्या नहीं है। आरक्षण की राजनीति समस्या है।
उन्होंने कहा, 'संघ के सरसंघचालक होने के नाते मेरा मत है कि राम मंदिर जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनना ही चाहिए। राम जहां आस्था का विषय नहीं हैं, वहां भी वह मर्यादा का विषय है। करोड़ों लोगों की आस्था का विषय है।
संघ प्रमुख ने कहा कि गोरक्षा में जुड़े लोगों को मॉब लिंचिंग से जोड़ना ठीक नहीं है। गोरक्षा कैसे होगी इस पर भागवत ने कहा, किसी प्रश्न पर हिंसा करना अपराध है और उसपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए परंतु गाय परंपरागत श्रद्धा का विषय है। अपने देश में अर्थायाम का आधार गाय बन सकती है। गौरक्षा होनी चाहिए। गाय को रखना जरूरी है। खुला छोड़ देंगे तो घटनाएं होंगी।
संघ प्रमुख ने कहा, 'संघ का प्रस्ताव है कि जनसंख्या का विचार एक बोझ के रूप में है, लेकिन जनसंख्या काम करने वाले हाथ भी देती है। डेमोग्राफिक बैलेंस की बात समझनी चाहिए। इसे ध्यान में रखकर नीति हो। अगले 50 साल को ध्यान में रखकर नीति बने।
एससी/एसटी कानून के बारे में भागवत ने कहा कि अत्याचार दूर करने के लिए एक कानून बना, यह अच्छी बात है लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उसका दुरुपयोग होता है इसलिए संघ मानता है कि उस कानून को ठीक से लागू करना चाहिए और उसका दुरुपयोग रोकना चाहिए। ये सिर्फ कानून से नहीं होगा। समाज की समरसता की भावना इसमें काम करती है। सदभावना जागृत करने की बहुत आवश्यकता है।
भागवत ने कहा, 'धारा 370 और 35ए के बारे में हमारे विचार सब जानते हैं। हमारा मानना है कि ये नहीं होने चाहिए। भटके युवाओं के लिए देश संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। वहां के लोगों का सहयोग और समर्थन भी मिलता है। मैं विजयदशमी के भाषण में बोला था, कश्मीर के लोगों के साथ मेल-मिलाप बढ़ना चाहिए।' उन्होंने कहा कि एक देश के लोग एक कानून के भीतर रहें। समान नागरिक संहिता का मतलब सिर्फ हिंदू और मुसलमान ही नहीं है।