लखनऊ: आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे के प्रयास में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शनिवार को साक्षी सॉफ्टवेयर को 'ई-कोर्ट' प्रणाली के साथ एकीकृत करने का फैसला किया। इस सॉफ्टवेयर का निर्माण उत्तर प्रदेश की युवा आईएएस अधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने किया है जो इस समय हरदोई के जिलाधिकारी के तौर पर तैनात हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबासाहेब भोसले ने आईटी की अपनी समिति के समक्ष नए सॉफ़्टवेयर 'सम्मन प्रबंधन प्रणाली' की एक प्रस्तुति देने के लिए कहा, जहां उसे काफी सराहा गया।
ये सॉफ्टवेयर या ऐप गवाहों, अदालत के नाम, पुलिस स्टेशन और उसके आवासीय पते के बारे में जानकारी सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही एसएमएस के जरिए पुलिस थाने के प्रभारी और जिला एसपी के माध्यम से स्वचालित रूप से तत्काल प्रीलोडेड ईमेल पर पहुंच जाएगा। इससे अदालतों में गवाहों की उपस्थिति में मदद मिलेगी, और अदालती सुनवाई में अनावश्यक स्थगन से बचने में मदद मिलेगी।
इस सॉफ्टवेयर के चलन में आने के बाद आपराधिक मामलों की लंबी-लंबित सूची में गिरावट आएगी। यह न केवल अदालत के भार को कम करेगा बल्कि न्यायालय के सिद्ध सिद्धांत का भी ध्यान रखेगा, ‘न्याय में देरी से न्याय अस्वीकृत’ है। मुकदमे के विलंब में गवाहों की अनुपस्थिति का सबसे बड़ा कारक रहा है, जबकि अत्यधिक देरी अक्सर उन पर प्रभाव डालती है, इस सॉफ्टवेयर के चलन में आने के बाद इससे भी मुक्ति मिलेगी।
आपको बता दें, हाल में ही संपन्न हुए राज्य के आम चुनाव में निर्वाचन आयोग में अपनी तैनाती के दौरान शुभ्रा ने काफी चर्चा बटोरी थी।