अहमदाबाद: गुजरात में 2002 में हुए दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड मामले में गुरुवार को अहमदाबाद में स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने इस मामले में 24 आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि 36 लोगों को बरी कर दिया। बरी किए गए लोगों में बीजेपी के पार्षद बिपिन पटेल भी शामिल हैं। अदालत 6 जून को दोषियों को सजा सुनाएगी।
कोर्ट ने वीएचपी नेता अतुल और कांग्रेस के कॉरपोरेटर मेघसिंह चौधरी को दोषी करार दिया है, जबकि पी.आई. के.जी.एरडा और बीजेपी कॉरपोरेटर विपिन पटेल को बेगुनाह ठहराया है। फैसले की खास बात ये है कि अदालत ने दंगों के पीछे किसी साजिश की बात नहीं मानी।
क्या था मामला
-गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी को कुछ लोगों ने साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी जिसमें 25 से ज्यादा लोग जिंदा जल गए थे।
-सभी लोग अयोध्या से रामलला का दर्शन कर जा रहे थे।
-28 फरवरी 2002 को भड़की हिंसा के दौरान भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था।
-इस हमले में 69 लोग मारे गए थे, जिनमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी थे।
-एक आरोपी विपिन पटेल बीजेपी के मौजूदा काउंसलर हैं।
-7 नवंबर 2007 को गुजरात हाईकोर्ट ने भी शिकायत को एफआईआर मानकर जांच करवाने से मना कर दिया।
-घटना के बाद 39 लोगों के शव बरामद किए गए थे जबकि सात साल बाद बाकी 30 लापता लोगों को मृत मान लिया गया था।
-गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे, सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था । यहां पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी रहते थे।
-39 लोगों के शव बरामद हुए और अन्य को गुमशुदा बताया गया, लेकिन 7 साल बाद भी उनके बारे में कोई जानकारी न मिलने पर उन्हें मृत मान लिया गया।
-अब कुल मौतों का आंकडा 69 है ।मृतकों में एहसान जाफरी भी थे ।
-पुलिस ने ये फरियाद लेने से मना कर दिया।
-उन्होंनें कहा कि सबूत के अभाव में रिहा किए गए 36 लोगों के खिलाफ बड़ी अदालत में अपील का विकल्प खुला है।
मोदी से भी हुई थी पूछताछ
-26 मार्च 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने दंगों के 10 बड़े केसों की जांच के लिए एक एसआईटी बनाई।
-मार्च 2009 में जकिया की शिकायत की जांच करने का जिम्मा भी सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा।
-27 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने समन किया और कई घंटों की पूछताछ हुई।
-10 अप्रैल 2012 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने माना कि मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।