सौदा-संघर्ष नहीं, सौहार्द की बात करने आया हूं : अयोध्या में श्री श्री रविशंकर
आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर गुरुवार (16 नवंबर) को अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के पक्षकारों से मुलाकात कर इस विवाद को आम सहमति बनाकर खत्म करने पर बात करेंगे। वह यहां रामलला के दर्शन भी करेंगे।
अयोध्या : आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर गुरुवार (16 नवंबर) को अयोध्या पहुंचे। अयोध्या में राम मंदिर विवाद को सुलझाने की कोशिशों में श्री श्री रविशंकर ने कहा कि वह सौदे और संघर्ष की नहीं बल्कि सौहार्द की बात करने आए हैं। यहां उन्होंने मणिराम दास जी की छावनी के महंत नृत्य गोपालदास से करीब 15 मिनट तक बंद कमरे में मुलाकात की। बता दें कि अयोध्या के विवादित ढांचे पर निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पक्षकार हैं।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सौदा, संघर्ष नहीं, हम सौहार्द की बात करने आए हैं। हमें भारतवासियों को सौहार्द का पैगाम देना पड़ेगा, लेकिन इसमें समय लगेगा। हमें उम्मीद है कि दोनों के सहयोग से भव्य राम मंदिर बनेगा और भारत को प्रेम का संदेश मिलेगा। इस दौरान उन्होंने दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय अस्पताल का दौरा भी किया।
अयोध्या मुद्दे पर उनकी इस पहल को कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप से बात नहीं बनेगी। बैठकर बातचीत करनी पड़ेगी। मेरे पास कोई फॉर्मूला नहीं है। बात करने से ही फॉर्मूला निकलेगा। मैं सब को मनाने आया हूं। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि अयोध्या मसले पर माहौल सकारात्मक है। लोग इस संघर्ष से बाहर आना चाहते हैं। मुझे पता है कि यह आसान नहीं है। मैं हर किसी से बात करूंगा। अभी एक निष्कर्ष पर पहुंचने में बहुत जल्दी है।
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रामविलास वेदांती ने उठाए सवाल
बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेंदाती ने भी श्री श्री रविशंकर पर हमला बोला है। उन्होंने का कि मध्यस्थता करने वाले श्री श्री रविशंकर कौन हैं? उन्हें अपना एनजीओ चलाना चाहिए और विदेश से फंड लेना चाहिए। मेरा मानना है कि उनके पास बहुत पैसा है। जांच से बचने के लिए वे राम मंदिर मुद्दे में कूद गए हैं।
रामविलास वेदांती ने ये भी कहा कि जेल गए हम, लाठियां खाई हमने और अचानक से श्री श्री रविशंकर आ गए। उन्होंने कहा कि रविशंकर तब कहां थे जब हम संघर्ष कर रहे थे। वेदांती ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा तो ठीक है, वरना किसी भी कीमत पर मस्जिद नहीं बनने दिया जाएगा। राम मंदिर के लिए के लिए चाहे जितना बालिदान देना पड़े, हम पीछे नहीं हटेंगे।
सीएम योगी से मुलाकात
श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य लोगों से मुलकात की थी। सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ करीब 30 मिनट तक चली श्री श्री रविशंकर की मुलाकात में अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए संभावित रोडमैप पर चर्चा हुई। श्री श्री रविशंकर राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं।
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इनसे भी की श्री श्री रविशंकर ने मुलाकात
सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को लखनऊ में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास अयोध्या के महासचिव और समझौता वार्ता प्रभारी डॉ. पंडित अमरनाथ मिश्र, हिंदू महासभा अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज, बीजेपी नेता विनय कटियार, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, निर्मोही अखाड़ा के राजा रामाचंद्राचार्य, शिवसेना और आरएसएस के लोगों से भी मुलाकात की।
सौहार्द के साथ रास्ता निकालने की कोशिश : श्री श्री रविशंकर
श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि वह सीएम योगी आदित्यनाथ से औपचारिक मुलाकात के लिए आए थे। ये मुलाकात अच्छी रही। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर कहा कि अभी किसी पक्षकार को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। अभी सौहार्द के साथ रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। मसले को हल करने का प्रयास हो रहा है। शिव सेना, हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ बैठक हुई। बैठक में वार्ता अच्छी रही। वार्ता का ये पहला स्टेज था। इसके बाद अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम पक्षकार के साथ बैठक होगी। वहीं इस मसले पर आगे की बातचीत होगी।
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मध्यस्थता सकारात्मक परिणाम तक पहुंचेगी
इससे पहले मंगलवार को वृंदावन में श्री श्री रविशंकर ने कहा था कि अयोध्या मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता सकारात्मक परिणाम तक पहुंचेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी पक्षकार आपसी सहमति से मंदिर मामले में निर्णायक फैसला निकालने का प्रयास करेंगे।
खुद की थी पहल
श्री श्री रविशंकर ने अक्टूबर महीने में बेंगलुरु में एक बयान देकर खुद इस विवादित मसले के हल के लिए मध्यस्थता करने की बात कही थी। तभी से वह इसका ब्लूप्रिंट तैयार करने में जुटे हैं। इसके चलते उनसे शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मुलाकात कर कोर्ट के बाहर इसे सुलझाने को लेकर अपनी सहमति दी थी। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मंदिर बनाने की बात पर सहमत होता नहीं दिख रहा है।
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68 साल पुराना है विवाद, इस पहल का हो रहा विरोध
अयोध्या मसले का विवाद 68 साल पुराना है। साल 1949 में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। जिसके बाद विवादित ढांचे पर राजनीति शुरू हुई। हालांकि, अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की इस पहल का हिंदू महासभा विरोध कर रही है। वही सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की सहमति का विरोध कर रहा है।