SC का फैसला: J&K के केस दूसरे राज्यों में हो सकते हैं ट्रांसफर

Update: 2016-07-19 06:57 GMT

नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के केस दूसरे राज्यों में ट्रांसफर हो सकते हैं। अनीता सिंह की याचिका पर पांच जजों की संविधान पीठ नेे यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

-सुप्रीम कोर्ट का कर्तव्य है कि वह देश के सभी नागरिकोंं को सम्मान दिलाए और आर्टिकल 136 के तहत उसे सभी नागरिकों को न्याय दिलाने का भी अधिकार है।

-CrPC 25 के अनुसार देश के किसी राज्य से कोई केस दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो सकता है।

-संविधान में आर्टिकल 14 में लिखा है कि सबको न्याय पाने का अधिकार है।

- लेकिन जम्मू-कश्मीर में रनबीर पैनल कोड RPC में ये प्रावधान नहीं है। इसलिए केस ट्रांसफर नहीं हो सकते थे।

- अब सुप्रीम कोर्ट जम्मू कश्मीर के केस देश में कहीं भी ट्रांसफर कर सकता है।

क्या है इस फैसले का महत्व

जम्मू-कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ डॉ. हरिओम कहते हैं- यह फैसला ऐतिहासिक है। इससे उन लोगों को सहारा मिलेगा जिन्हें मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बाहर जाने से रोका जाता था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम फैसला देते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कहा था कि क्यों ना जम्मू-कश्मीर में हिदुओं को माइनॉरिटी का दर्जा दिया जाए? सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से उन ताकतों की हार हुई है जो इस राज्य को अलगाव की ओर ले जाने में लगे रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू किए जाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है।

क्‍या है रणबीर दंड संहिता (आरपीसी)

-जम्मू कश्मीर में भारतीय दंड संहिता यानी(आईपीसी) की जगह रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) का इस्तेमाल किया जाता है।

-इसे रणबीर आचार संहिता भी कहा जाता है।

-भारतीय संविधान की धारा 370 के मुताबिक जम्मू कश्मीर राज्य में भारतीय दंड संहिता का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

-ब्रिटिश काल से ही इस राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू है।

-दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले ही जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत था।

-उस वक्त जम्मू कश्मीर में डोगरा राजवंश का शासन था।

-महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे। इसलिए वहां 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी।

 

 

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