Gujarat Police Technology: गुजरात पुलिस की नई तकनीकी क्रांति, अब ड्रोन बनेंगे मुख्य हथियार
Gujarat Police GP-DRASTI: GP-DRASTI का पूरा नाम है Gujarat Police - Drone Response and Aerial Surveillance Tactical Interventions। इस योजना का मूल उद्देश्य है...;
Gujarat Police New Technology GP-DRASTI Drone
Gujarat Police New Technology: तेजी से बदलती तकनीक ने हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है और अब सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की दुनिया में भी इसका गहरा असर दिखने लगा है। भारत में पारंपरिक पुलिसिंग के तरीकों को आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ने की पहल कई राज्यों ने की है, लेकिन गुजरात पुलिस ने इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य ने 'GP-DRASTI' नामक एक अत्याधुनिक परियोजना की शुरुआत की है, जो पुलिसिंग के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक को एक रणनीतिक हथियार के रूप में स्थापित करने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास है। GP-DRASTI का पूरा नाम है Gujarat Police - Drone Response and Aerial Surveillance Tactical Interventions। इस योजना का मूल उद्देश्य है: किसी भी आपराधिक घटना या आपात स्थिति पर सबसे तेज़ प्रतिक्रिया देना, इलाके की तत्काल निगरानी करना, और संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित करना।
जहां पहले किसी घटना पर पहुंचने में पुलिस को कई मिनट या घंटे भी लग सकते थे, अब वही काम हाई-टेक ड्रोन सिर्फ 2 से 3 मिनट में कर पा रहे हैं। ये ड्रोन सिर्फ़ घटनास्थल की निगरानी ही नहीं करते, बल्कि कंट्रोल रूम को लाइव फीड भी भेजते हैं, जिससे स्थिति का विश्लेषण करते हुए सटीक रणनीति बनाई जा सके। इस परियोजना की शुरुआत के साथ गुजरात भारत के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है जो तकनीक का उपयोग करके कानून व्यवस्था को नया आयाम देने जा रहे हैं।
ड्रोन से होगी तत्काल प्रतिक्रिया
GP-DRASTI परियोजना के अंतर्गत जब किसी घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को प्राप्त होती है, तो पीसीआर वैन के साथ-साथ एक ड्रोन बेस स्टेशन को भी अलर्ट किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, घटनास्थल पर पीसीआर वैन के साथ-साथ ड्रोन भी भेजा जाता है। सूरत और अहमदाबाद में किए गए पायलट प्रयोग में यह बात सामने आई कि ड्रोन घटनास्थल तक पीसीआर वैन की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से सिर्फ़ 2 से 2.5 मिनट में पहुंच जाते हैं। इससे न केवल पुलिस की प्रतिक्रिया समय में भारी कमी आती है, बल्कि घटनास्थल पर पहुंचते ही अधिकारी तुरंत स्थिति का मूल्यांकन कर रणनीतिक निर्णय भी ले सकते हैं।
तकनीकी विशेषताएं और निगरानी की शक्ति
GP-DRASTI परियोजना के तहत उपयोग किए जा रहे ड्रोन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। इनमें हाई-रेजोल्यूशन थर्मल कैमरे जिनमें दिन और रात दोनों समय में निगरानी संभव। इनसे 200 मीटर तक की उड़ान क्षमता संभव है। जहां ऊंचाई से व्यापक दृश्य मिलता है। GP-DRASTI परियोजना के तहत उपयोग किए जा रहे ड्रोन से 2 किलोमीटर की ऑपरेशनल रेंज की मदद मिलती है। जिनसे बड़े क्षेत्र को कवर कर सकते हैं। इसके अलावा GP-DRASTI ड्रोन से कंट्रोल रूम में तुरंत दृश्य उपलब्ध होता है। इन विशेषताओं के चलते पुलिस किसी भी स्थिति का आकलन सटीकता से कर सकती है और जरूरत के अनुसार बल की तैनाती की जा सकती है।
प्रशिक्षण और चरणबद्ध विस्तार
इस परियोजना को प्रभावी बनाने के लिए छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। पहले चरण में यह प्रणाली अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट के 33 पुलिस स्टेशनों में लागू की जाएगी। प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद GP-DRASTI सबसे पहले अहमदाबाद के आठ पुलिस स्टेशनों में सक्रिय रूप से काम करेगी, इसके बाद इसे अन्य महानगरों तक विस्तारित किया जाएगा। जैसे-जैसे अधिक ड्रोन और स्टाफ प्रशिक्षित होते जाएंगे, इस प्रणाली का दायरा पूरे राज्य में बढ़ाया जाएगा।
नीति और भविष्य की योजनाएं
गुजरात सरकार ने 'Drone Promotion and Usage Policy' भी जारी की है, जिसका उद्देश्य सरकारी तंत्र में ड्रोन के उपयोग को व्यापक बनाना है। गृह विभाग अब भीड़ प्रबंधन, वीवीआईपी सुरक्षा, तटीय निगरानी, आपदा प्रबंधन, ट्रैफिक कंट्रोल, खोज एवं बचाव कार्यों जैसी विविध जिम्मेदारियों में ड्रोन का प्रयोग करेगा।
यह नीति न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगी, बल्कि युवाओं के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी।
GP-DRASTI परियोजना गुजरात पुलिस की ओर से एक दूरदर्शी और अत्याधुनिक पहल है, जो राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को डिजिटल युग में सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। अपराधों पर नियंत्रण, आपात प्रतिक्रिया में तीव्रता और निगरानी तंत्र की पारदर्शिता—इन सभी क्षेत्रों में यह पहल मील का पत्थर साबित हो सकती है।
यदि यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है, जिससे भारत में "स्मार्ट पुलिसिंग" की नई शुरुआत होगी।