मां-बाप सरकारी नौकरी में हों तो एक की मौत पर आश्रित को नौकरी नहीं

Update:2016-07-19 23:01 IST

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जब मां-बाप दोनों सरकारी नौकरी में हों तो मां की मौत पर बेटे को मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति की मांग करना गलत होगा। बेटा यह नहीं कह सकता कि वह केवल अपनी मां का ही आश्रित है। सिंगल जज ने बेटे की यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि तलाकशुदा या अकेली मां ही बेटे की नैसर्गिंक संरक्षिका होती है। अन्यथा पिता नैसर्गिक संरक्षक होगा। इस आदेश के खिलाफ विशेष अपील भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने संतोष कुमार भारती की विशेष अपील पर दिया है। मालूम हो कि कौशिल्या देवी सीनियर प्राइमरी स्कूल बिसार बलिया की प्रधानाचार्या थी। सेवाकाल में 15 दिसंबर 12 को उनकी मौत हो गई थी। याची ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग में अर्जी दी। विभाग ने यह कहते हुए अर्जी निरस्त कर दी कि याची के पिता राम नगीना जीवित हैं और वह भी सरकारी कर्मचारी हैं। पिता के नौकरी पर रहते हुए वह नहीं कह सकता कि केवल मां का ही आश्रित रहा है।

ऐसा कहना मृतक आश्रित की अनुकम्पा नियुक्ति की योजना के विपरीत है। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। एकल जज न्यायमूर्ति बी­अमित स्थालेकर ने याचिका खारिज कर दी थी। जिसे विशेष अपील दायर कर याची ने चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपील खारिज कर दी और एकल जज के फैसले की पुष्टि की।

पुलिस भर्ती बोर्ड की कम्प्यूटर आपरेटर टेस्ट में गड़बड़ी

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड द्वारा आयोजित कम्प्यूटर आपरेटर ग्रेड-ए-हिन्दी-अंग्रेजी, टाइपिंग टेस्ट के समय कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व भर्ती बोर्ड से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर ने राजेश यादव और 8 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में टाइपिंग टेस्ट कराने की मांग की गई है।

याची का कहना है कि कम्प्यूटर साफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते सही शब्द टाइप करने पर गलत शब्द टाइप हो रहा है। जिसके चलते टाइपिंग की गणना में काफी फर्क आया है। लोगों को पूरे प्रदेश में टेस्ट देने में परेशानी हुई है तथा परिणाम भी गलत तरीके से प्रभावित हुए हैं।

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