ताज के 'फेसपैक' से विदेशी नाखुश! देखने वाले स्थानों की सूची में 3rd पर

Update: 2018-01-04 05:07 GMT
ताज के 'फेसपैक' से विदेशी नाखुश! 10 ना देखने वाले स्थानों की सूची में तीसरे नंबर पर

मानवेंद्र मल्होत्रा

आगरा: एक बार फिर ताजमहल सुर्खियों में है। एक बार फिर ताजमहल का नाम 'लिस्ट' में है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। दरअसल, ताजमहल की खूबसूरती निखारने का प्रयास विदेशी पर्यटकों में अच्छा सन्देश नहीं जा रहा है। यानि ताज का 'मडपैक ट्रीटमैंट' का विदेशी टूरिस्टों को नहीं भा रहा।

ये हम नहीं कह रहे। ये कहना है अमेरिकन ट्रेवलर वेबसाइट 'फोडर्स डॉट कॉम' का, जिसने ताजमहल को 2018 में टॉप 10 ना देखने वाले स्थलों की सूची में तीसरे नंबर पर रखा है। इस वेबसाइट का मानना है कि इस दौरान मडपैक के चलते ताज का गुंबद ढंका रहेगा। आप उसके साथ सेल्फी नहीं ले सकेंगे। बेहतर होगा आप भारत के अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों का रुख करें। कई पोर्टलों ने ताज की बदइंतजामी को लेकर यहां ना जाने की सलाह पर्यटकों को दी है।

नहीं घूमने लायक की सूची में ताज तीसरे नंबर पर

अमेरिकन ट्रेवल वेबसाइट 'फोडर्स डॉट कॉम' ने जिन 10 स्थानों को साल 2018 में घूमने लायक नहीं बताया है ताजमहल उसमें तीसरे नंबर पर है। चीन की दीवार को इस सूची में नौवें नंबर पर रखा गया है। इस पोर्टल पर ताजमहल पर प्रदूषण के प्रभाव और पीले पन तथा मडपैक ट्रीटमेंट की जानकारी पर्यटकों को दी गई है। वहीं, चीन की दीवार के लिए स्मॉग और प्रदूषण का रेड अलर्ट वजह बताया है।

बदइंतजामी पर दी जा रही प्रतिक्रियाएं

इसके अलावा 'यूएसए टुडे' ने भी ताज को ना घूमने लायक स्थलों की टॉप 3 सूची में शामिल किया है। ट्रेवल वेबसाइट ट्रिप एडवाइजर समेत आधा दर्जन वेबसाइटों पर क्रिसमस से लेकर नए साल के बीच ताज पर बदइंतजामी पर प्रतिक्रियाएं दी गई हैं।

वेबसाइट ने ये दिया हवाला

बता दें, कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ऑफ सीजन में ताज की खूबसूरती बरकरार रखने के लिए मडपैक की तैयारी कर रहा है। साथ ही मुख्य गुंबद पर भी मडपैक किया जाना है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगेगा। पूरे गुंबद को कवर किया जाएगा, इससे ताज की खूबसूरती काम पड़ जाएगी। इसी का हवाला देते हुए वेबसाइट ने पर्यटकों को आगरा नहीं जाने की सलाह दी है।

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एएसआई का इस दावे से इंकार

एएसआई के अधीक्षक भुवन विक्रम सिंह का कहना है, 'यह सही है की मुख्य गुंबद पर मडपैक लगाने के लिए उसे बांस-बल्लियों से ढंका जाएगा। लेकिन उसमें कितना समय लगेगा, यह तय नहीं है। किसी बेबसाइट पर भ्रामक प्रचार से पर्यटन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि पर्यटक किसी एक बेबसाइट को देखकर नहीं आता।' बता दें, कि विदेशी पर्यटकों में सबसे ज्यादा अमेरिकन (17 फीसदी) और ब्रिटिश (15 प्रतिशत) ताज देखने भारत आते हैं।

पर्यटन उद्योग को होगा नुकसान

इस संबंध में पर्यटन से जुड़े व्यवसायी संदीप अरोरा का कहना है, कि 'इस तरह की बातों से आगरा के पर्यटन उद्योग को नुकसान होगा। एएसआई को ताज के मुख्य गुंबद पर मडपैक के लिए सुझाव दिए जा चुके हैं। जिसके तहत पर्यटन सीजन में मुख्य गुंबद पर मेहताब बाग की तरफ और ऑफ सीजन में सामने वाले हिस्से पर मडपैक करने को कहा गया था। इसका मकसद था, पर्यटकों में ताज को लेकर आकर्षण बरकरार रखना।'

क्या है 'मडपैक ट्रीटमैंट'

ताज के पत्थरों को बचाने और पीलापन खत्म करने के लिए विशेष रसायनों के साथ मिलाकर मुल्तानी मिट्टी का एक लेप तैयार किया गया है। इसे मड पैकिंग का नाम दिया गया है। इसको लगाने से एक तरफ जहां ताज को सूर्य की तेज किरणों और गर्मी से सुरक्षा मिलती है। वहीं, पत्थरों का पीलापन भी गायब होने लगता है।

पुरातत्व विभाग के अनुसार लगभग एक दशक से ऐसा किया जा रहा है, लेकिन कार्बन कण कम नहीं होने से हर साल इसे दोहराना पड़ता है। इसलिए अभी जिस हिस्से पर मुल्तानी मिट़्टी हटाई गई है, वह हिस्सा अधिक चमक रहा है।

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