क्या ढहेगा त्रिपुरा का 'लाल किला'? सर्वे रिपोर्ट तो यही इशारा कर रहे

Update: 2018-02-07 08:44 GMT
क्या ढहेगा त्रिपुरा का 'लाल किला'? सर्वे रिपोर्ट तो यही बता रहे

विनोद कपूर

लखनऊ: देश के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में 'लाल किला' गिरने की आशंका व्यक्त की जा रही है। सभी सर्वे रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पिछले 25 साल से त्रिपुरा में चल रहा सीपीएम (माकपा) का शासन इस बार खत्म होने को है। इसकी वजह है सत्ता विरोधी लहर। वो भी तब जब राज्य के सीएम माणिक सरकार हैं, जिनकी सादगी और सरलता देश के किसी भी राजनीतिज्ञ और राजनीति में आने वाले युवाओं को प्रेरणा दे सकती है।

वो सीएम के रूप में मिलने वाले वेतन की आधी रकम पार्टी फंड में दे देते हैं और अपने परिवार के दो कमरे में मकान में रहते हैं। उनकी पत्नी शिक्षिका हैं जो अब नौकरी से अवकाश प्राप्त कर चुकी हैं। उनके बैंक खाते में अभी भी 5,000 रुपए से कम जमा है।

ओपिनियन पोल में सत्ता गंवा रही सीपीआईएम

जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों और राजनेताओं के दावों-प्रतिदावों और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। 60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा के लिए 18 फरवरी को वोट डाले जाएंगे लेकिन अभी से ही कयास लगाने का दौर जारी है। खबरिया चैनल के ओपिनियन पोल के मुताबिक, 25 सालों से सत्ता पर काबिज सीपीआईएम इस बार सत्ता से बेदखल होती नजर आ रही है।

बीजेपी बना सकती है सरकार

सर्वे की मानें, तो पहली बार बीजेपी की सरकार बनती दिखाई दे रही है। खबरिया चैनल ने ओपिनियन पोल में दावा किया है कि बीजेपी और आईपीएफटी के गठबंधन को 31 से 37 सीटें मिल सकती हैं, जबकि सीपीआईएम को 23 से 29 सीटें हासिल हो सकती हैं। कांग्रेस एवं अन्य दलों को यहां एक भी सीट नहीं मिलने का अनुमान जताया गया है। कहा जा रहा है कि त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से सीपीआईएम की सरकार रही है इसलिए माणिक सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर चल रही है। हालांकि, माणिक सरकार फिर से धनपुर से चुनाव जीतने में सफल होंगे।

असम में बीजेपी ने दी दस्तक

गौरतलब है कि पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने उत्तर पूर्व के राज्यों की ओर ज्यादा ध्यान दिया है। अब तक केंद्र में बनने वाली सरकारों के लिए उत्तर-पूर्व के राज्यों का कोई मतलब नहीं था क्योंकि वहां से ज्यादा सांसद चुनकर नहीं आते। संभवत: यही कारण था कि पूर्वोत्तर के सात राज्यों का सही विकास नहीं हुआ। इसीलिए उन राज्यों में उग्रवादी गतिविधियां पनपी और बढीं। बीजेपी ने सबसे पहले उत्तर-पूर्व के राज्य असम में दस्तक दी और पार्टी का दायरा मणिपुर, मेघालय नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा तक फैलाया।

शाह की मेहनत रंग लाई

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तो पूर्वोत्तर राज्यों में पार्टी को बढ़ाने के लिए डेरा ही डाल दिया था। असम में जब बीजेपी की सरकार बनी तो पार्टी का हौसला बढा और अन्य राज्यों में पार्टी का विस्तार किया। अब इन राज्यों में बीजेपी को लोग जानने पहचानने लगे हैं।

त्रिपुरा में तेजी से हुआ बीजेपी का प्रसार

सर्वे के मुताबिक, त्रिपुरा में बीजेपी का प्रसार बहुत तेजी से हुआ है। पूरे राज्य में बीजेपी की लहर दिख रही है। माणिक सरकार के खिलाफ उभरे असंतोष का फायदा यहां सिर्फ बीजेपी को मिलने का दावा किया गया है। सर्वे में कहा गया है कि बेरोजगारी और आदिवासियों के बीच स्वतंत्र त्रिपुरा की मांग एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है। पूरे राज्य में 18 फरवरी को मतदान होगा जबकि 3 मार्च को वोटों की गिनती की जाएगी।

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