नाक में नकेल! पाकिस्तान को कड़ी शर्तो के साथ अमेरिकी मदद

Update: 2017-07-15 12:03 GMT

वाशिंगटन : अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने 696 अरब डॉलर की एक व्यापक रक्षा नीति पारित की है, जिसके प्रावधानों में वाशिंगटन द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता पर प्रतिबंधों को और कड़ा किया जाना शामिल है। वित्तविर्ष 2018 के लिए नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट (एनडीएए) शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बजट अनुरोध को पार कर गया और उसे 344 मतों के साथ पारित कर दिया गया, जबकि इसके विरोध में 81 मत पड़े।

समाचारपत्र डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस (संसद) की एक अन्य समिति ने स्टेट एंड फॉरेन ऑपरेशंस बिल को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जिसका मकसद भी पाकिस्तान को अमेरिकी असैन्य तथा सैन्य सहायता पर प्रतिबंधों को बढ़ाना है।

विदेश मामलों से संबंधि विधेयक अब मतदान के लिए सीनेट के पास जाएगा। रक्षा विधेयक वित्तवर्ष 2018 के लिए 696 अरब डॉलर के रक्षा खर्च की मंजूरी प्रदान करता है, जिसमें पेंटागन के अभियानों के लिए लगभग 30 अरब डॉलर का प्रावधान है।

विधेयक को इस सप्ताह की शुरुआत में जारी किया गया था, जिसमें पाकिस्तान को असैन्य तथा सैन्य मदद पर शर्त लगाई गई है कि उसे हक्कानी नेटवर्क तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में अन्य आतंकवादी समूहों के कथित समर्थन को बंद करना होगा।

अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी व सांसदों ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि वह तालिबान आतंकवादियों को हराने में वाशिंगटन तथा अफगानिस्तान की मदद करे।

उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसा करने में अगर पाकिस्तान नाकाम होता है, तो उसके साथ संबंधों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

अमेरिकी अधिकारियों ने हालांकि तालिबान के साथ शांति वार्ता करने के विकल्प को खुला रखा है।

एक प्रेस वार्ता में विदेश विभाग के प्रवक्ता हिथर नाउर्ट ने तालिबान को एक आतंकवादी संगठन करार देने से परहेज किया।

यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप सरकार तालिबान को आतंकवादी समूह करार देने जा रही है, नाउर्ट ने कहा, "हमारी अफगान नीति की समीक्षा अभी जारी है। अभी तक उसकी घोषणा नहीं की गई है।"

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