नई दिल्ली : ईरान पर नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध आरम्भ हो रहे हैं। ऐसे में इंडिया को डर है कि बड़े तेल निर्यातक को खो देने के बाद पेट्रोलियम की कीमतें बेतहाशा बढ़ने लगेंगी।
क्या है पूरा मामला
गत सप्ताह पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सरकारी रिफाइनरी ने ईरान से नवंबर के लिए 1.25 मिलियन टन पेट्रोलियम पदार्थ बुक किया था और वो इस खेप के देश में आने के लिए आशांवित थे। लेकिन अब सूत्रों की माने तो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के आर्थिक प्रतिबंध के बाद ऐसा लगता है कि ये सौदा पूरा होने से रहा। इसीलिए केंद्र सरकार मान कर चल रही है कि एक बड़े निर्यातक को खोने के बाद हमें तेल के लिए अधिक कीमत चुकानी होंगी जो खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बनेंगी।
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कब से लागू होंगे ईरान पर प्रतिबंध
ईरान पर कुछ प्रतिबंध अगस्त में ही लग चुके हैं लेकिन तेल और बैंकिंग से जुड़े प्रतिबंध चार नवंबर से लागू होने हैं। इन प्रतिबंधों के लागू होने के बाद पेट्रोलियम पदार्थ खरीदने के लिए डॉलर में भगुतान नहीं हो सकेगा। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इस बात पर जोर दे रही कि ईरान भारतीय करेंसी में पेमेंट लेने को तैयार हो जाए।
सामने आया दोस्त
बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब भारत के साथ आकर खड़ा हो गया है उसने कहा कि वो भारत की ऊर्जा जरूरतों को समझता है और इसे पूरी करने के लिए वह हरसंभव कोशिश करेगा।
आपको बता दें, सऊदी अरब से भारत काफी बड़ी मात्रा में तेल की सप्लाई होती है।
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