नई दिल्लीः उत्तराखंड कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से भी तगड़ा झटका लग गया है। अब वो मंगलवार को विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट में वोट नहीं डाल पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। यह हरीश रावत के लिए बड़ी राहत की खबर है।
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इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने बागी विधायकों को जोरदार झटका देते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने को सही ठहराया था। इसके तुरंत बाद विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जहां जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस शिवकीर्ति सिंह ने सभी पक्षों की दलील सुनी और साढ़े चार बजे फैसला सुनाया।
क्या है मामला?
-18 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा में बजट पेश किया गया था।
-कांग्रेस के बागी विधायकों ने वोटिंग की मांग की थी।
-विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने वॉयस वोट करा लिया था।
-वॉयस वोट के बाद बजट को पास बता दिया गया था।
-अध्यक्ष ने सभी 9 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी।
बागियों ने क्या तर्क दिया था?
-बागियों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दी थी।
-बागियों ने कहा था कि जब बजट पास हो गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई कैसे हुई।
-हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद शनिवार को फैसला रिजर्व कर लिया था।
हाईकोर्ट से कांग्रेस के इन बागियों को लगा झटका
-अमृता रावत, हरक सिंह रावत, प्रदीप बत्रा, प्रणव सिंह चैंपियन, शैला रानी रावत की अर्जी रद्द।
-शैलेंद्र मोहन सिंघल, सुबोध उनियाल, उमेश शर्मा और विजय बहुगुणा को भी झटका।
हरीश रावत ने क्या कहा?
-हरीश रावत ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताई।
-उन्होंने कहा कि अदालत से हमें न्याय मिला है।
-विधानसभा से भी न्याय मिलने का दावा किया।
-स्टिंग पर नारको टेस्ट के लिए हरीश रावत राजी।