काफी कुछ बोल गए तोगड़िया के आंसू, ...क्या सच में है एनकाउंटर का डर!

Update: 2018-01-16 08:20 GMT
काफी कुछ बोल गए तोगड़िया के आंसू, ...क्या सच में है एनकाउंटर का डर!

लखनऊ: विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया आज एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं। अपने बयानों और भड़काऊ भाषणों की वजह से चर्चित तोगड़िया को आज पहली बार मीडिया ने सुबकते देखा। मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या तोगड़िया को सच में एनकाउंटर का डर सता रहा है। कैर जो भी हो लेकिन ये नजारा मीडिया और जनता के बीच बनी छवि के बिलकुल विपरीत था।

अब तक तोगड़िया की पहचान कट्टर हिंदूवादी और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलने वाली शख़्सियत के रूप में रही है। लेकिन आज जब वो मीडिया के सामने आए तो उनके निशाने पर न तो अल्पसंख्यक थे और न ही कोई प्रतिद्वंद्वी। बल्कि तोगड़िया इशारों-इशारों में केंद्र सरकार और गुजरात सरकार से ही एनकाउंटर का डर बताते नजर आए।

गौरतलब है, कि प्रवीण तोगड़िया बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं। वो पेशे से सर्जन हैं, जो खुद का अस्पताल भी चलाते हैं।

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कौन हैं प्रवीण तोगड़िया?

प्रवीण तोगड़िया का जन्म गुजरात के अमरेली में साल 1956 में हुआ था। वे सौराष्ट्र के एक किसान परिवार में जन्मे थे। तोगड़िया पटेल समुदाय से आते हैं। 10 साल की उम्र में वो अहमदाबाद चले गए और आरएसएस में शामिल हो गए। पढ़ाई के लिए वो अमरेली से अहमदाबाद आए। वो बचपन से ही पढ़ने में अव्वल थे। संघ और पढ़ाई साथ-साथ चलता रहा। बाद में तोगड़िया ने मेडिकल की पढ़ाई की और डॉक्टर बने।

16 की उम्र में बने पूर्णकालिक स्वयंसेवक

प्रवीण तोगड़िया 16 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गए। आरएसएस प्रचारक रामेश्वर पालीवाल रे के मार्गदर्शन में युवा तोगड़िया ने स्वयंसेवक के रूप में अपना जीवन शुरू किया। बाद में उन्हें संघ के ही अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की जिम्मेदारी दी गई।

1983 में बने वीएचपी के महासचिव

साल 1983 में राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका देखते हुए उन्हें वीएचपी का महासचिव बनाया गया। बाद में, अशोक सिंघल के निधन के बाद तोगड़िया वीएचपी के अध्यक्ष बने। तब से वे इसी पद पर बने हैं।

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वीएचपी में करीब 20 लाख सदस्य

वर्तमान समय में विश्व हिंदू परिषद 33 हजार से अधिक गांवों और शहरों में मौजूदगी वाला संगठन है। भारत और विदेशों में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्तर पर हिंदुओं के लिए यह संगठन काम करता रहा है। इस संगठन में करीब 20 लाख सदस्य हैं।

'त्रिशूल दीक्षा' रहा था विवादों में

प्रवीण तोगड़िया वाजपेयी सरकार में अपने 'त्रिशूल दीक्षा' कार्यक्रम के लिए काफी विवादों में रहे थे। उस समय गुजरात में सरकार किसी की भी हो लेकिन तोगड़िया वहां बड़ी ताकत हुआ करते थे। तोगड़िया के रुतबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने बयानों और कार्यक्रमों के चलते वे वाजपेयी सरकार के लिए भी मुश्किलें खड़ी किया करते थे।

मोदी के शासन में कम हुआ रुतबा

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि गुजरात में नरेंद्र मोदी के सीएम बनने के बाद तोगड़िया के रुतबे में कमी आई। आज समय बदल चुका है। आज उनके बारे में कहा जाता है कि वो हाशिए पर धकेल दिए गए हैं। आज के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तोगड़िया के आंसू को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

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