Akshay Tritiya Kyo Manai Jati: अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है, जानिए इसका महत्त्व

Akshay Tritiya Kyo Manai Jati: आइये जानते हैं कि अक्षय तृतीया का त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्त्व है।

Update:2024-04-05 10:49 IST

Akshay Tritiya 2024 (Image Credit-Social Media)

Akshay Tritiya Kyo Manai Jati: अक्षय तृतीया भारत भर में विशेष रूप से हिंदुओं और जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक शुभ त्योहार है। इस दिन को विशेष माना जाता है लोग किसी भी शुभ काम का प्रारम्भ करने के लिए इस दिन को अच्छा मानते हैं। साथ ही ये दिन सौभाग्य, भाग्य और समृद्धि का दिन होता है। हर कामना पूरी करने वाला त्योहार अक्षय तृतीया, किसी भी प्रयास की सफलता के लिए अनुकूल माना जाता है। ये दिन अक्ती या आखा तीज के रूप में भी जाना जाता है, अक्षय तृतीया हिंदू माह वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, अक्षय तृतीया, आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में आती है। आइये जानते हैं इस साल कब है अक्षय तृतीया।

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया (Why We Celebrate Akshay Tritiya)

अक्षय तृतीया इस साल यानि 2024 को 10 मई शुक्रवार को है। अक्षय तृतीया भारतीय माह वैशाख के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ये अप्रैल-मई महीने में आता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपने सर्वश्रेष्ठ ग्रह पर होते हैं। इस दिन को 'आखा तीज' के नाम से भी जाना जाता है।

अक्षय तृतीया का महत्व

ज्योतिष के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन, सूर्य और चंद्रमा अपने सबसे चमकीले चरण में होते हैं। वे उस दिन सबसे अधिक प्रकाश उत्सर्जित करते हुए सर्वोच्च स्थान पर होते हैं। शुक्र ग्रह भी अपनी सबसे चमकीली स्थिति में होता है। इसके साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि दुनिया में ऊर्जाएं शून्य डिग्री का आयाम बनाते हुए रैखिक रूप से मिलती हैं। यह घटना एक प्रकार का ब्रह्मांडीय रीसेट बनाती है, जो सकारात्मकता और समृद्धि की लहर को उत्तेजित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी तृतीया तिथि अक्षय तृतीया है। जैसा कि नारद पुराण में लिखा है, अक्षय तृतीया तब हुई थी जब त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इस तृतीया पर किए गए पवित्र संस्कार चिरस्थायी या अक्षय होते हैं। ऐसा माना जाता है कि सत्य युग और त्रेता युग की शुरुआत वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में हुई थी, जबकि द्वापर युग की शुरुआत माघ महीने के कृष्ण पक्ष में और कलियुग की शुरुआत भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में हुई थी। त्रेता युग से इसे ऐसे ही मनाया जाता आया है इसी लिए आज भी लोग इसे मानते हैं। 

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