Motivational Story in Hindi: संसार रूपी विशाल वन का वर्णन
Best Motivational Story in Hindi: इतने में ही कुएं के भीतर उसे एक बडा भारी सर्प दिखाई दिया और उसके ऊपर एक विशालकाय हाथी दिखाई दिया ।
Best Motivational Story in Hindi: महात्मा विदुर ने पुत्र शोक से व्यथित धृतराष्ट्र को समझाते हुए कहा था हे राजन इस संसार रुपी गहनतम वन कर एक दृष्टांत सुनिये -इस वन कर कर वर्णन महर्षियों ने किया है। एक ब्राम्हण किसी विशाल वन में जा रहा था ।वह एक दुर्गम स्थान पर पहुंचा उसने सिंह व्याघ्र हाथी और रीछ आदि भयंकर जन्तुओं से भरा देखकर उसका हृदय बहुत ही घबरा उठा,उसे रोमांच हो गयाl मन में बडी उथल पुथल होने लगती । उस वन में इधर-उधर दौडकर उसने बहुत ढूंढा कि कहीं सुरक्षित स्थान मिल जाये पर न तो वह वन से बाहर निकल पाया न ही जंगली जीवों से त्राण ही पा सकता। इतने में ही उसने देखा कि वह भीषण वन सब ओर जाल से घिरा हुआ है ।एक अत्यंत भयानक स्त्री ने उसे अपनी भुजाओं से घेर लिया है तथा पर्वत के मान ऊंचे पसंद शिर वाले नाग भी उसे सब ओर से घेरे हुये हैं। उस वन कर बीच में एक झाड झंकाड से घिरा हुआ एक कुंआ था ।वह ब्राम्हण इधर-उधर भटकते हुए उसी कुंएं में गिर गया,किंतु लता जाल में फंस कर वह ऊपर को पैर और नीचे कर शिर किये हुए बीच मे ही लटक गया।
इतने में ही कुएं के भीतर उसे एक बडा भारी सर्प दिखाई दिया और उसके ऊपर एक विशालकाय हाथी दिखाई दिया ।उसके शरीर का रंग सफेद और काला था तथा उसके छ:मुख और बारह पैर थे ।वह धीरे धीरे कुएं की ओर ही आ रहा था ।कुएं के किनारे पर जो वृक्ष खड़ा था उसकी शाखाओं पर तरह तरह की मधुमक्खियों ने छत्ता लगा रखा था ।उससे मधु की कई धारायें गिर रही थीं।मधु तो स्वभाव से ही प्रिय है ।अतः उस कुएं में लटका हुआ पुरुष इन मधु की धाराओं को ही पीता रहता था ।इस संकट के समय भी उन्हें पीते पीते उसकी तृष्णा शांत नहीं हुई और न उसे वैराग्य ही हुआ ।जिस वृक्ष के सहारे लटका हुआ था, उसे रात दिन काले और सफेद दो चूहे काट रहे थे।इस प्रकार इस स्थिति में उसे कई प्रकार के भयं ने घेर रखा था ।वन की सीमा के पास हिंसक जंतुओं से और अत्यंत उग्र रूपा स्त्री से भय था, कुएं के नीचे नाग से और ऊपर हाथी से आशंका थी ,पांचवां भय चूहों के काट देने से वृक्ष गिरने का था। छठा भय मधु के लोभ कम कारण मधुमक्खियों सेभी था।इस प्रकार संसार भावाटवी में पडकर भी वह वही डटा रहा तथा जीवन की आशा बनी रहने से उसे उससे वैराग्य भी नही होता था।
महर्षियों ने जो यह जो भवाटवी का वर्णन किया है इसमें जो दुर्गम जंगल बताया गया है वह संसार ही है।दुर्गम जंगल ही गहनता है।इसमें जो तरह तरह के ह्रीं जीव बताये गये हैं वह सब व्याधियां हैं,तथा इसमें अत्यंत उग्र रूपा स्त्री बताई गयी है वह हठ वृद्धावस्था जो मनुष् के रूप रंग को बिगाड़ देती है।उस वन में जो कुआं है वह मनुष्य देह है ।उसमे जो नीचे नाग बैठा हुआ है वह स्वयं काल है। कुएं के भीतर जो जो लता है जिसके तंतुओं में मनुष्य लटका हुआ है वह इसके जीवन की आशा है । ऊपर की ओर जो छ:मुख वाला हांथी है वह सम्वत्सर है । छ:ऋतुवें उसके मुख हैं। बारह महीने उसके पैर हैं।उस वृक्ष को जो दो चूहे काट रहे हैं वें रात और दिन हैं तथा तरह तरह की मनुष्य की कामनायें ही मधुमक्खियां हैं।उनके छत्ते से जो मधु धारायें चू रही हैं उन्हें भोगों से प्राप्त होने वाले रस समझो,जिनमें अधिकांश मनुष्य डूबे रहते हैं।
बुद्धिमान लोग संसार चक्र की गति कर इसी प्रकार समझते हैं तथा वैराग्य रूपी तलवार से इसके पाशो को काट डालते हैं।