Bhagavat Gita Quotes: श्री कृष्ण कहते हैं श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद और गरिमा के अनुरूप कार्य करने चाहिए
Bhagavat Gita Quotes: भगवत गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे मनुष्य को अपने हर प्रश्न का उत्तर मिल जायेगा, आइये नज़र डालते हैं इन कोट्स पर जो आपको जीवन के हर पड़ाव में बेहद उपयोगी लगेंगे।
Report : Shweta Srivastava
Update:2024-06-21 10:53 IST
Bhagavat Gita Quotes: भगवत गीता में वर्णित श्लोक मनुष्य के जीवन के लिए बेहद उपयोगी हैं। इसका अर्थ समझ लिया तो सफलता के शिखर पर पहुंच सकते हैं और जीवन में आई किसी भी समस्या का सामना भी आप आसानी से कर लेंगें। जीवन की किसी भी तरह की उलझन से कैसे निकलना है इसके बारे में भी आपको ये महान ग्रन्थ कई सारी जानकारी देता है। आइये एक नज़र डालते हैं भगवत गीता के इन कोट्स पर।
भगवत गीता कोट्स (Bhagavat Gita Quotes)
- “मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।”
- “जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।”
- “जिस मनुष्य के अंदर ज्ञान की कमी और ईश्वर में श्रद्धा नहीं होती, वो मनुष्य जीवन में कभी भी आनंद और सफलता को प्राप्त नहीं कर पाता।”
- “जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा। तो उसका विनाश कर धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु, मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा।”
- “जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।”
- “मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है। इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।”
- “वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।”
- “अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।”
- “जो कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उस व्यक्ति का विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।”
- “अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।”
- “मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।”
- “इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है कि, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।”
- “क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।”
- “अपने आपको ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो, यही सबसे बड़ा सहारा है। जो कोई भी इस सहारे को पहचान गया है वह डर, चिंता और दुखों से आजाद रहता है।”
- “मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय, लाभ या हानि, प्रसन्नता या दुःख इत्यादि के बारे में सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए।”
- “तुम क्यों व्यर्थ में चिंता करते हो ? तुम क्यों भयभीत होते हो ? कौन तुम्हे मार सकता है ? आत्मा न कभी जन्म लेती है और न ही इसे कोई मार सकता है, ये ही जीवन का अंतिम सत्य है।”
- “जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।”
- “श्रेष्ठ पुरुष को सदैव अपने पद और गरिमा के अनुरूप कार्य करने चाहिए। क्योंकि श्रेष्ठ पुरुष जैसा व्यवहार करेंगे, तो इन्हीं आदर्शों के अनुरूप सामान्य पुरुष भी वैसा ही व्यवहार करेंगे।”
- “जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी संकोच के, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए, वह सात्विक माना जाता है।”
- “जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है। ऐसे मनुष्य के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी और मान-अपमान एक से है।”
- “आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो।”