Bharat Ka Sabse Bada Thug: जिसने बेच डाला ताजमहल, लाल किला और राष्ट्रपति भवन, भारत के इतिहास के सबसे बड़े ठग की कहानी
Natwarlal Kaun Tha: नटवरलाल का जीवन रहस्यमय और रोमांचक था। उनकी तेज बुद्धि और योजनाबद्ध ठगी ने उन्हें भारतीय अपराध जगत का सबसे चर्चित नाम बना दिया।;
Mr Natwarlal Ki Kahani Wiki in Hindi: नटवरलाल, जिनका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, भारतीय इतिहास के सबसे मशहूर ठगों में से एक थे। उनकी पहचान इतनी गहरी और उनकी ठगी की कहानियां इतनी अनोखी थीं कि वे एक किंवदंती बन गए। उनकी ठगी के किस्से न केवल मनोरंजक हैं बल्कि हैरतअंगेज भी। इस लेख में हम नटवरलाल के जीवन, उनकी ठगी के तरीकों, उनके अपराधों और उनके अंत के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
नटवरलाल का जन्म बिहार के सीवान जिले के बंगरा नामक गांव में 1912 में हुआ था। वे एक सामान्य ब्राह्मण परिवार से थे। बचपन से ही नटवरलाल तेज बुद्धि और कुशाग्र थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता चले गए। उन्होंने कानून की पढ़ाई की, जिससे उनके ठगी के कारनामों को एक नई धार मिली। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल कानून की बारीकियों को समझने में मदद की, बल्कि उन्हें इस बात की भी जानकारी दी कि अपराध को किस तरह से कानूनी प्रक्रिया से बचाया जा सकता है।
ठगी की शुरुआत (Bharat Ka Sabse Bada Thug Kaun Tha)
नटवरलाल का ठगी का सफर छोटे-मोटे अपराधों से शुरू हुआ। उन्होंने नकली दस्तावेज और पहचान पत्र बनाना सीखा और इसका उपयोग धोखाधड़ी के लिए किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक ठगी में छोटे व्यापारियों और लोगों को निशाना बनाया। लेकिन जल्द ही उनकी नजर बड़े शिकारों पर पड़ी।
मिथिलेश कुमार के कुल 50 नाम थे जिनमें से एक था नटवरलाल। नटवरलाल ने सबसे पहली चोरी 1000 रुपये की थी, उसने अपने पडोसी के नकली हस्ताक्षर कर उनके बैंक खाते से पैसे निकाले थे। नटवरलाल का हुनर किसी भी व्यक्ति के नकली हस्ताक्षर करने में था। वह अपने पूरे जीवनकाल में 9 बार पकड़ा गया था। अगर उसे मिली सजाओं को जोड़ा जाए तो उसे कुल 111 साल की सजा हुयी थी। उसने जो सजा पूरी की वो 20 साल से भी कम की थी। इसका कारण था उसका नाटकीय ढंग से भाग जाना। नटवरलाल जितने नाटकीय ढंग से पकड़ा जाता उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से भागने में कामयाब हो जाता था।
एक बार 75 वर्ष की आयु में 3 हवलदार नटवर लाल को पुरानी दिल्ली की तिहाड़ जेल से कानपुर ले जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर लाये। नटवरलाल जोर-जोर से हांफने लगा और एक हवलदार से बीमारी का बहाना लगा उसे दवाई लाने को कहा, दूसरे को पानी लेने भेजा और तीसरे को टॉयलेट का बहाना बनाकर लेट्रिन की बाथरूम से भाग गया।
यह कहना गलत नहीं होगा कि नटवरलाल ने ठगी की दुनिया में जो कारनामा किया उसे बयां करना मुश्किल है। नटवरलाल पर यह कहावत एक दम सही बैठती है कि ऐसा कोई बचा नहीं जिसे नटवरलाल ने ठगा नहीं। दरअसल बता दें कि नटवरलाल ने केवल देश की संपत्ति ही नहीं बल्कि भारत के दिग्गज व्यापारियों के साथ भी ठगी की है। उनकी ठगी का शिकार रतन टाटा, बिड़ला और धीरूभाई अंबानी तक बन चुके है।
मशहूर कारनामे
- ताजमहल और राष्ट्रपति भवन की बिक्री- नटवरलाल के सबसे प्रसिद्ध कारनामों में से एक था ताजमहल, राष्ट्रपति भवन और लाल किला बेचने का दावा। उन्होंने विदेशी पर्यटकों को इन ऐतिहासिक धरोहरों को खरीदने का झांसा दिया। उन्होंने इन सौदों को इतना वास्तविक बना दिया कि लोग बिना शक किए उनके झांसे में आ गए।
- नामी उद्योगपतियों को ठगना- नटवरलाल ने बिरला और टाटा जैसे उद्योगपतियों को भी ठगा। उन्होंने नकली चेक और नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और बड़ी रकम ऐंठी।
- बैंकों से करोड़ों की धोखाधड़ी- नटवरलाल ने भारत के कई बड़े बैंकों को भी ठगा। उन्होंने नकली पहचान पत्र और दस्तावेज बनाकर करोड़ों रुपये उधार लिए और फिर गायब हो गए।
- नेताओं और अफसरों को ठगना- नटवरलाल ने कई बार राजनेताओं और उच्च अधिकारियों को भी अपना शिकार बनाया। उनकी चालाकी और वाक्पटुता इतनी प्रभावशाली थी कि लोग उन्हें आसानी से भरोसा कर लेते थे।
ठगी के तरीके
नटवरलाल की ठगी के तरीके बेहद अनूठे और योजनाबद्ध थे। वे अपने शिकार की पूरी जानकारी जुटाते थे और फिर अपने जाल में फंसाते थे।
- नकली दस्तावेज: वे नकली दस्तावेज और पहचान पत्र बनाकर खुद को बड़े अधिकारियों या प्रभावशाली व्यक्तियों के रूप में पेश करते थे।
- वाकपटुता: उनकी बोलने की कला इतनी प्रभावशाली थी कि लोग आसानी से उनकी बातों पर विश्वास कर लेते थे।
- सटीक योजना: वे हर ठगी को अंजाम देने से पहले उसकी गहराई से योजना बनाते थे।
- वेशभूषा का बदलाव: वे अपने लुक को बदलने में माहिर थे। वे कभी नेता, कभी अफसर और कभी व्यापारी बन जाते थे।
गिरफ्तारी और भागने की कला
नटवरलाल को कई बार गिरफ्तार किया गया। लेकिन हर बार वे पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहे। उनकी सबसे चर्चित फरारी 1996 में हुई, जब उन्हें कानपुर जेल ले जाया जा रहा था। वे पुलिस की नजरों से बचकर भाग निकले। यह उनकी आखिरी फरारी थी और इसके बाद वे कभी नजर नहीं आए।
नटवरलाल की मृत्यु को लेकर भी कई रहस्य हैं। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उनकी मृत्यु 25 जुलाई, 2009 को हुई। हालांकि, उनके वकील का दावा था कि नटवरलाल की मृत्यु 1996 में ही हो गई थी। उनकी मृत्यु से जुड़े कई सवाल आज भी अनुत्तरित हैं।
नटवरलाल का नाम आज भी भारत में ठगी और चालाकी के पर्याय के रूप में लिया जाता है। उनकी कहानियां कई किताबों, फिल्मों और धारावाहिकों का हिस्सा बनीं। उनकी ठगी की कला और उनकी योजनाओं की जटिलता ने उन्हें भारत के सबसे प्रसिद्ध ठग का दर्जा दिया।नटवरलाल की प्रसिद्धी का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बॉलीवुड में उनके जीवन पर आधारित फिल्म भी बनाई जा चुकी है। फिल्म का नाम ‘राजा नटवरलाल’था। इस फिल्म में परेश रावल और इमरान हाशमी ने अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा आजतक न्यूज चैनल ने 2004 में नटवरलाल के जीवन पर आधारित कई एपिसोड भी प्रसारित किए थे।
नटवरलाल का जीवन रहस्यमय और रोमांचक था। उनकी तेज बुद्धि और योजनाबद्ध ठगी ने उन्हें भारतीय अपराध जगत का सबसे चर्चित नाम बना दिया। हालांकि, उनके कारनामों ने कई लोगों को नुकसान पहुंचाया। लेकिन उनकी कहानियां आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। नटवरलाल का जीवन यह सिखाता है कि बुद्धिमत्ता और चालाकी का उपयोग अगर गलत दिशा में किया जाए, तो उसका अंत हमेशा दुखद होता है।