Mashhoor Cartoonist RK Laxman: कार्टून के जादूगर आर. के. लक्ष्मण ने कैसे उभारा राजनीति को अपने कार्टून में

Famous Cartoonist RK Laxman Biography: क्या आप जानते हैं कि कार्टून के जादूगर आर. के. लक्ष्मण क्यों इतने प्रसिद्ध हुए और आखिर कैसे उन्होंने राजनीति को अपने कार्टून में उकेरा।;

Report :  Akshita Pidiha
Update:2025-01-28 14:46 IST

Bharat Ke Mashhoor Cartoonist RK Laxman Ka Jivan Parichay

Famous Cartoonist RK Laxman Biography: आर. के. लक्ष्मण का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। उनका जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर, कर्नाटक में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ। लक्ष्मण सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई आर. के. नारायण एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थे, जिन्होंने "मालगुडी डेज़" जैसी रचनाएँ दीं। बचपन से ही लक्ष्मण की कला के प्रति रुचि थी। उन्होंने स्कूल के दिनों में ही अपनी चित्रकारी के लिए सराहना प्राप्त की।

उन्होंने बचपन में अमर चित्रकथाएँ और अन्य स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं के चित्रों से प्रेरणा ली। लक्ष्मण के स्कूल टीचर ने उनकी ड्राइंग प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। उन्होंने मैसूर के प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। हालाँकि, उनका सपना हमेशा कला में करियर बनाना था।

एक बार जब उन्होंने सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई में आवेदन किया, तो उनके काम को ‘औसत’ मानते हुए खारिज कर दिया गया। यह अस्वीकृति उनके लिए बड़ा झटका थी, लेकिन उन्होंने इसे अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया और अपनी कला में सुधार करते रहे।

RK Laxman Ki Rangeen Duniya (Image Credit-Social Media)

व्यावसायिक जीवन की शुरुआत (RK Lakshman Ka Jivan Parichay)

आर. के. लक्ष्मण ने अपने करियर की शुरुआत एक स्वतंत्र कार्टूनिस्ट के रूप में की। उनके शुरुआती कार्टून मैसूर की स्थानीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उनके काम को पहली बार पहचान तब मिली जब उन्होंने प्रसिद्ध पत्र "द स्वराज्य" और "ब्लिट्ज" के लिए कार्टून बनाए।

1947 में, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, लक्ष्मण ने ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ में काम करना शुरू किया। यहाँ उन्होंने बाल ठाकरे के साथ काम किया, जो बाद में शिवसेना के संस्थापक बने। लक्ष्मण का हुनर ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के संपादकों की नजरों में आया, और उन्हें इस प्रतिष्ठित अखबार के लिए काम करने का अवसर मिला।

‘कॉमन मैन’ का जन्म 1951 में आर. के. लक्ष्मण ने ‘कॉमन मैन’ नामक अपने प्रसिद्ध कार्टून चरित्र की रचना की। यह चरित्र भारतीय समाज के आम आदमी की आकांक्षाओं, निराशाओं और संघर्षों का प्रतीक बन गया। कॉमन मैन के माध्यम से उन्होंने भारतीय राजनीति, भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों पर चुटीली लेकिन गहरी टिप्पणियाँ कीं।

RK Laxman Ki Rangeen Duniya (Image Credit-Social Media)

स्नातक होने के बाद लक्ष्मण ने अपना स्वतंत्र काम जारी रखा और 'स्वराज्य' पत्रिका में कार्टून बनाने में योगदान दिया। उन्होंने पौराणिक चरित्र नारद पर आधारित एक एनिमेटेड फिल्म के लिए चित्र भी बनाए। आर.के. करंजिया के साप्ताहिक प्रकाशन - ब्लिट्ज़ से उनको पहला ब्रेक मिला और जल्द ही वह एक कार्टूनिस्ट के तौर पर फेमस हो गए। आप सभी को मालगुडी तो याद ही होगी, जोकि एक काल्पनिक गांव है। आर.के लक्ष्मण के लगभग सभी उपन्यासों में इसका जिक्र मिलता है।

कॉमन मैन की सादगी और मासूमियत ने हर भारतीय को प्रभावित किया। यह किरदार धोती, चश्मा और एक साधारण छवि में दिखाई देता था। आर. के. लक्ष्मण ने दशकों तक इस किरदार को अपनी रचनाओं का केंद्र बनाया और इसके माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया।

राजनीति और समाज पर व्यंग्य आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में हमेशा एक सटीक और व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण होता था। उनकी रचनाएँ नेताओं और अधिकारियों की आलोचना करने में कभी पीछे नहीं हटीं। उन्होंने नेहरू, इंदिरा गांधी और अन्य प्रमुख नेताओं को अपने कार्टूनों में चित्रित किया। उनके कार्टून न केवल हँसी का माध्यम थे, बल्कि गहरे सामाजिक और राजनीतिक संदेश भी देते थे।

1975 में, जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया, प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। इस कठिन समय में भी लक्ष्मण ने अपनी आवाज को दबने नहीं दिया। उन्होंने अपने कार्टूनों के माध्यम से लोगों की भावनाओं और असंतोष को व्यक्त किया।

व्यावसायिक उपलब्धियाँ और योगदान (Famous RK Lakshman Achievements)

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में काम करते हुए लक्ष्मण ने भारतीय कार्टूनिंग को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया। उनके कार्टून न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हुए। उनके व्यंग्य का प्रभाव इतना गहरा था कि कई बार नेताओं को उनके कार्टूनों को गंभीरता से लेना पड़ता था।

लक्ष्मण की कला केवल कार्टून तक सीमित नहीं थी। उन्होंने बच्चों की कहानियाँ लिखीं और उनकी कई पुस्तकों को पाठकों ने सराहा। उनकी आत्मकथा ‘द टनल ऑफ टाइम’ ने उनके जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों को सजीव किया। इसके अलावा, उन्होंने ‘द होटल रिवेरा’ जैसी कई रचनाएँ भी लिखीं।

RK Laxman Ki Rangeen Duniya (Image Credit-Social Media)

विवाद और आलोचनाएँ आर. के. लक्ष्मण का करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। उनके कई कार्टूनों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई। कई बार उनकी आलोचना यह कहकर की गई कि वे अपने व्यंग्य में ज्यादा कठोर होते हैं। फिर भी, उन्होंने कभी अपनी शैली नहीं बदली। उनका मानना था कि कला को सच बोलना चाहिए, चाहे वह किसी को पसंद आए या न आए।

सरकार में अप्रत्यक्ष भूमिका हालाँकि लक्ष्मण ने कभी सरकारी पद नहीं संभाला, उनके कार्टूनों ने सरकार की नीतियों और योजनाओं को प्रभावित किया। उनके व्यंग्यात्मक चित्र नेताओं को उनकी कमियों का एहसास कराते थे।

सम्मान और पुरस्कार आर. के. लक्ष्मण को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले। इनमें प्रमुख हैं:

  • पद्म भूषण (1984)
  • रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1984)
  • पद्म विभूषण (2005)
  • कर्नाटक रत्न और अन्य प्रतिष्ठित सम्मान।

उनकी रचनाएँ भारत के कार्टूनिंग इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं। उन्होंने युवा कलाकारों को प्रेरित किया और कार्टूनिंग को एक गंभीर कला रूप के रूप में स्थापित किया। व्यक्तिगत जीवन आर. के. लक्ष्मण का विवाह प्रसिद्ध नृत्यांगना कमला लक्ष्मण से हुआ। उनका जीवन सादगी और शांति का प्रतीक था। वे अपने काम में डूबे रहते थे और व्यक्तिगत प्रसिद्धि से दूर रहना पसंद करते थे। उनका जीवन उनके काम के प्रति पूर्ण समर्पण का उदाहरण था।

बता दें कि साल 2003 में आर के लक्ष्मण को स्ट्रोक हुआ था। जिसके कारण उनके शरीर का बायां अंग लकवाग्रस्त हो गया था। फिर साल 2010 में उनको कई बार स्ट्रोक आया और उनकी स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर हो गई। आर. के. लक्ष्मण का निधन 26 जनवरी 2015 को पुणे में हुआ। उनकी मृत्यु ने भारत को एक महान कलाकार से वंचित कर दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पॉकेट कार्टून ने लक्ष्मण के ‘कॉमन मैन’ को पूरे देश का प्रतीक बना दिया. एक समय था जब प्रशासन की वजह से खड़ी की गई रोज़मर्रा की तमाम दिक्क़तों को लक्ष्मण अपने कार्टून में आम आदमी की तक़लीफ़ के रूप में उकेर देते थे.उनकी कला, उनके विचार, और उनका ‘कॉमन मैन’सआज भी भारतीय समाज और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी रचनाएँ हमें हँसी और आत्ममंथन दोनों का अवसर प्रदान करती हैं।

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