International Women's Day 2025: इतिहास के पन्नों में दबी हुई हैं इन महिलाओं की कहानी, जानिए इनके बारे में

International Women's Day 2025: आज हम आपको कुछ ऐसी महान भारतीय महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में इतिहास के पन्नों में ज़्यादा कुछ नहीं लिखा है। आइये इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर जानते हैं ऐसी ही महिलाओं का इतिहास।;

Update:2025-03-04 11:02 IST

International Women's Day 2025 (Image Credit-Social Media)

International Women's Day 2025: कवि के शब्दों में और बच्चों की किताबों में ज़्यादातर महान पुरुषों के व्यक्तित्व और उनके जीवन के कथानक को प्रस्तुत किया जाता रहा है। वहीं कई ऐसी महिलाएं भी हुईं जिन्होंने भारतीय इतिहास में अपनी अहम भूमिका निभाई। लेकिन उनको इतिहास में वो जगह नहीं मिली जो उन्हें मिलनी चाहिए थी। कई कवियों ने देश की कई वीरांगनों और रानियों पर काफी कुछ लिखा भी लेकिन वहीँ कुछ ऐसे महिलाएं भी हुईं जिनका ज़िक्र इतिहास के पन्नों में कहीं दबकर रह गया।

इतिहास के पन्नों में दबी हुई हैं इन महिलाओं की कहानी

आज के दौर में महिलाएं हर उस क्षेत्र में शामिल हैं जहाँ पुरुषों की भूमिका अहम् मानी जाती थी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम ऐसी कुछ महिलाओं के बारे में बात करेंगे जिन्होंने भारतीय इतिहास में अपनी सफल भूमिका निभाई और जिनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आइये जानते हैं इतिहास में खो गईं इन महान महिलाओं की कहानी और उनका इतिहास।

आज हम आपको कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इतिहास में ज़िक्र बहुत कम हुआ है। लेकिन उनके बलिदान और त्याग की कहानी अविस्मरणीय है। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ महिलाओं के बारे में उनकी कहानी जिन्होंने भारतीय इतिहास में अहम् भूमिका तो निभाई लेकिन वो उसी इतिहास के पन्नों में कहीं खो गईं।

कश्मीर की मध्ययुगीन रानी दिद्दा (980-1003 ई.)

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कश्मीर के मध्ययुगीन रानी दिद्दा अपनी चतुर राजनीतिक चालों के लिए जानी जाती थीं। उन्होंने बेहद शक्ति और समझदारी के साथ अपने राज्य का संचालन किया। उनके सामने कई ऐसी चुनौतियां आई जिनका उन्होंने बेहद निडर होकर सामना किया ऐसे में वो शारीरिक चुनौतियों को भी झेलती रही। कई मुश्किलें आने के बावजूद भी उन्होंने कश्मीर के इतिहास में एक ऐसा अध्याय लिखा जिसे आज भी पढ़कर लोग अचंभित हो जाते हैं। लेकिन विडम्बना ये है कि आपको इतिहास के पन्नों में उनका परिचय महारानी दिद्दा लोहार वंश के राजा सिंहराज की पुत्री और काबुल के हिंदू शाही भीम शाही की पौत्री के रूप में मिलेगा। इससे ज़्यादा उनके बारे में इतिहास में कुछ नहीं है।

कित्तूर चेन्नम्मा​

International Women's Day 2025 (Image Credit-Social Media)

ऐसी ही कहानी है कर्नाटक के कित्तूर की रानी कित्तूर चेन्नम्मा की। जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ एक सशस्त्र विद्रोह का नेतृत्व किया। उनके साहस भरे विद्रोह ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी जिससे उनकी भूमिका भारतीय शासको में से एक के रूप में उभरी। कई तरह की बाधाओं और तकलीफों का सामना करने के बाद भी उनके विद्रोह ने औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के खिलाफ क्रांति ला दी और स्वतंत्रता के संघर्ष में आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया।

रानी मंगम्मल​

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मदुरै नायक साम्राज्य की रानी रेजीमेंट रानी मंगम्मल 17वीं शताब्दी में अपने उल्लेखनीय शासन के लिए जानी जाती रही है। उन्होंने एक आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक उन्नति का नेतृत्व किया। अपने शासनकाल में मदुरै के इतिहास में उन्होंने एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। उन्होंने समृद्ध व्यापार कलात्मक संरक्षण और सामाजिक कल्याण की पहल की वो दूरदर्शी शासन के रूप में उभरी उनके योगदान के लिए आज भी उनकी प्रशंसा की जाती है।

चांद बीबी​

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दक्कन की रानी चांद बीबी 19वीं सदी में अहमदनगर पर वीरता और रणनीतिक प्रतिभा के लिए जानी जाती है। मुगल सम्राट अकबर की सेना का सामना करते हुए उन्होंने अदम्य साहस का परिचय दिया। इतना ही नहीं वो सफलतापूर्वक अपने राज्य की रक्षा भी कर पाईं। उन्होंने सैन्य कौशल में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए बेहद वीरता के साथ शासन किया।

अहिल्याबाई होल्कर​

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मालवा की शासक अहिल्याबाई होल्कर ने 18वीं शताब्दी में शासन किया उन्हें आज भी अपने प्रशासनिक कौशल, निष्पक्ष शासन और परोपकार के लिए जाना जाता है। मध्य भारत में कई मंदिरों, घाट और किलो का निर्माण कराने में उनका व्यापक योगदान रहा। आज भी अपनी दूरदर्शिता और उनके समर्पण के लिए लोग उन्हें याद करते हैं।

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