Bhartiya Samvidhan Ki Mahan Mahilayen: ये हैं वो महान महिलाएं, जो भारत के संविधान सभा की रहीं हैं सदस्य
Bhartiya Samvidhan Ki Mahan Mahilayen: क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के संविधान की रचना में किन महिलाओं ने अपनी भागीदारी निभाई है। आइए, जानते हैं इस विषय पर विस्तार से...;
Bhartiya Samvidhan Ki Mahan Mahilayen: जहां महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का नाम लिया जाता है, वैसे ही रानी लक्ष्मीबाई सरोजिनी नायडू और बेगम हजरत महल, कित्तूर चेन्नम्मा, मराठा महारानी ताराबाई, सिख योद्धा मई भागो, रानी दुर्गावती को अंग्रेजों और मुगलों के खिलाफ बगावत करने के लिए याद किया जाता है। समाज के रूढ़िवादी सोच के बीच भी इन महिलाओं ने अपने अदम्य साहस के बल पर इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया है। हमारे देश में भारतीय महिलाएं हर दौर में अपनी खास पहचान और कृतिमान की वजह से जानी जाती रही हैं। देश की आजादी में ही नहीं, बल्कि देश के संविधान बनाने में भी महिलाओं का अहम योगदान रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए संविधान निर्माण करना कोई आसान काम नहीं था। देश के संविधान निर्माण में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। संविधान को बनाने में जितना पुरुषों का योगदान रहा उतना ही महिलाओं का भी बराबर योगदान रहा है। दोनों पक्षों की ओर से कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से देश को संविधान के समक्ष संविधान रखा गया था। क्या आप जानते हैं कि हमारे देश के संविधान की रचना में किन महिलाओं ने अपनी भागीदारी निभाई है। आइए, जानते हैं इस विषय पर विस्तार से -
दुर्गाबाई देशमुख
दुर्गाबाई देशमुख ने न केवल देश को आजाद कराने में, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति बदलने के लिए भी लड़ाई लड़ी। दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई, 1909 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में हुआ था।
भारत के दक्षिणी इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने बालिका हिन्दी पाठशाला की भी नींव रखी। दुर्गाबाई 12 साल की छोटी-सी उम्र में ही असहयोग आंदोलन में एक महिला होने के बावजूद मजबूत भागीदारी निभाई थी। इन्होंने पेशे से वकील होने के नाते उन्होंने संविधान के कानूनी पहलुओं में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विजय लक्ष्मी पंडित
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने देश की आजादी में अपना खास योगदान दिया है। जिसके लिए इन्हें लगातार साल 1932 से 1933, फिर 1940 और साल 1942 से 1943 तक अंग्रेजों द्वारा उन्हें जेल में बंद किया था।
साल 1936 में वह संयुक्त प्रांत की असेंबली के लिए चुनी गईं और 1937 में स्थानीय सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री बनीं। इस पद पर कार्य करने वाली वह पहली महिला के तौर पर जानी जाती हैं।
सरोजिनी नायडू
भारत की नाइटिंगेल के नाम से लोकप्रिय सरोजिनी नायडू एक प्रगतिशील महिला थीं। उन्होंने लंदन के किंग्स कॉलेज से पढ़ाई की थी तथा महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थीं और उनके कई आंदोलनों से जुड़ी भी रही थीं।सरोजिनी नायडू पहली भारतीय महिला थीं, जिन्हें भारतीय नेशनल कांग्रेस की अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
कमला चौधरी
कमला चौधरी एक प्रसिद्ध कथा लेखिका भी थीं और उनकी कहानियां आमतौर पर महिलाओं के अधिकारों पर ही आधारित होती थीं।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के 54वें सेशन में वह उपाध्यक्ष बनीं और 1970 के आखिरी दशकों में वह लोकसभा तक भी पहुंचीं। उन्होंने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया।
बेगम एजाज रसूल
बेगम एजाज रसूल संविधान सभा की अकेली मुस्लिम महिला सदस्य थीं। वह सभा की मौलिक अधिकारों की सलाहकार समिति की सदस्य होने के साथ ही साथ अल्पसंख्यक उपसमिति की भी सदस्य थीं।
वर्ष 1908 में पंजाब के संगरूर जिले में जन्मी बेगम एजाज अपने पति नवाब रसूल के साथ अल्पसंख्यक समुदाय के लिए पैरोकार बनकर उभरीं साथ ही ये मुस्लिम लीग की भी सदस्य थीं।
अम्मू स्वामीनाथन
अम्मू स्वामीनाथन संविधान सभा में यह मद्रास की प्रतिनिधि थीं। वह महात्मा गांधी के बताए नक्शे कदम पर चलते हुए आजादी की लड़ाई में भाग लिया।
अम्मू स्वामीनाथन एक सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी और कुशल राजनीतिज्ञ थीं।
लीला रॉय
लीला रॉय सुभाष चंद्र बोस की महिला सब-कमेटी की सदस्य भी रहीं।
संविधान निर्माण में महिला के अधिकारों के मुद्दों को उठाने वाली लीला रॉय ने जीवन पर्यंत महिला अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की।
दक्श्यानी वेलायुद्धन
दक्श्यानी वेलायुद्धन संविधान सभा की अकेली दलित महिला सदस्य थीं। संविधान के निर्माण के दौरान दक्श्यानी ने दलितों से जुड़ी अनगिनत समस्याओं के मुद्दे को सबके सामने रखा था।
एक दलित समुदाय से राजनीति की ओर रुख करने के साथ विज्ञान में स्नातक करने वाली भारत की पहली दलित महिला थीं।
हंसा मेहता
हंसा मेहता संविधान सभा की मौलिक अधिकारों की उप समिति की सदस्य थीं।
उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा में ’ऑल मैन आर बोर्न फ्री एंड इक्वल’ को बदल कर ’ऑल ह्यूमन बीइंग आर बोर्न फ्री एंड इक्वल ’ करवाने के अभियान के लिए भी जाना जाता है। हंसा मेहता समाज सेविका एवं स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ये एक बेहतरीन कवयित्री एवं लेखिका भी थीं।
मालती चौधरी
1934 में मालती चौधरी गांधी जी की पैदल यात्रा में उनके साथ बराबर जुड़ीं रहीं।
कमजोर समुदायों के विकास के लिए इन्होंने महिला होने के बावजूद अपनी आवाज बुलंद की। गरीबों की मसीहा कही जाने वाली मालती चौधरी सत्याग्रह सहित कई आंदोलनों से जुड़ी रहीं।
राजकुमारी अमृत कौर
राजकुमारी अमृत कौर का लखनऊ से गहरा नाता है। इनका जन्म 2 फरवरी, 1889 में उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ में हुआ था।
स्वतंत्रता की लड़ाई में इनका अहम योगदान रहा। आजादी के बाद यह प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में देश की पहली महिला कैबिनेट मिनिस्टर बनीं। उन्हें हेल्थ मिनिस्टर बनाया गया था। वह संविधान सभा की सलाहकार समिति एवं मौलिक अधिकारों की उप समिति की सदस्य थीं।
सुचेता कृपलानी
ये एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं। वह भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख के रूप में कार्य किया।
आजाद भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में पहचानी जाती हैं। कृपलानी का जन्म 1908 में 25 जून को हरियाणा के अंबाला में हुआ था। वे प्रसिद्ध गांधीवादी नेता आचार्य कृपलानी की पत्नी थीं।
रेणुका रे
वंचित समुदाय के विकास के लिए मंडल आयोग के नाम से प्रचलित उनकी सिफारिशों को मील का पत्थर माना भी जाता है। रेणुका रे की अगुवाई में ही 1959 में समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए एक समिति का निमार्ण हुआ था जिसको रेणुका रे कमेटी के नाम से जाना जाता है। इस समिति द्वारा गृह मंत्रालय के अंतर्गत पिछड़े वर्ग के लिए एक विभाग बनाने की सलाह दी गई।
इसी कमेटी के सुझाव के बाद काका कालेकर कमेटी का सफर शुरू हुआ। रेणुका रे संविधान सभा की सदस्य होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, दूसरी और तीसरी लोकसभा की सक्रिय सांसद भी रहीं। वह अपनी सामाजिक-आर्थिक समझ के आधार पर एक उत्कृष्ट सांसद के रूप में आज भी जानी जाती हैं।
इनके अलावा एनी मासकारेन, पूर्णिमा बनर्जी संविधान सभा की अन्य सदस्यों में शामिल थीं।