Chanakya Niti Quotes: आचार्य चाणक्य कहते हैं सुस्त आदमी से विद्या और लक्ष्मी दूर भागती है
Chanakya Niti Quotes: आचार्य चाणक्य ने जीवन के कई रहस्यों पर से पर्दा हटाने और लोगों को आईना दिखाने का प्रयास किया है आइये जानते हैं क्या थे उनके विचार।
Report : Shweta Srivastava
Update:2024-08-02 10:05 IST
Chanakya Niti Quotes: आचार्य चाणक्य द्वारा लोगों को सत्मार्ग पर चलने की सलाह दी गयी। उन्होंने मनुष्यों को हर परस्थिति में क्या करना चाहिए के लिए मार्ग भी बताये। आचार्य चाणक्य भारत के महान महापुरषों में शामिल हैं। उनके द्वारा बताई गईं बातें आज भी लोगों को काफी कुछ सीखा जातीं हैं। उन्होंने व्यक्ति को जीने का सही तरीका बताने से लेकर लोगों की पहचान करना भी बताया। आइये उनके द्वारा बताई इन्हीं बातों से कुछ चीज़ें हम भी विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।
चाणक्य नीति कोट्स (Chanakya Niti Quotes)
- सुस्त आदमी से विद्या और लक्ष्मी दूर भागती है |
- तेल मे पानी नही मिल सकता | घी मे से जल नही निकलता | पारा किसी से नही मिल सकता | इसी तरह विपरीत स्वभाव वाले एक – दूसरे से कभी नही मिल सकते |
- गुण समझदार आदमी के पास जाकर ही निखरता है | मूर्ख गुण का मान क्या जाने |
- जो पाखण्डी होता है, वह दूसरो का काम बिग़ाड देता है | अमीर आदमी जब धन का दुरुपयोग करता है तो वह अंदर से पापी होता है |
- गन्दगी के कीडे केवल गन्दगी मे जीते है, उनके लिये वही स्वर्ग के समान होता है |
- धर्म नही है जिसमे दया की शिक्षा ना मिले | जिस धर्म से दया की शिक्षा ना मिले उसे छोड देना हितकर है,
- कोयल का रंग काला होता है, किंतु उसकी आवाज़ कितनी मधुर होती है | इसलिये बदसूरतो से घृणा ना करो |
- अंधाधुंध खर्च करने वाले जो अपनी आमदनी से अधिक खर्च करते है | दूसरे से बेमतलब झग़डा करने वाले लोग कभी सुखी नही रह सकते |
- जो लोग लेन-देन पडाई – लिखाई , हर प्राणी से खुलकर बात नही करते है वे सुखी रहते है |
- पत्नी जैसी भी हो, धन जितना भी हो, भोजन जैसा भी हो, यह सब समय पर मिल जाये तो सबसे उत्तम है |
- काम भले ही थोडा करो, पर मन लगाकर करो |
- सोने मे कभी खुशबू नही होती | चांद कभी दिन मे नही निकलता |
- परमात्मा सर्वगुण सम्पन्नम, सर्वव्यापी एवं सर्वज्ञाता है | उसकी तुलना किससे की जा सकती है |
- प्रत्येक व्यक्ति के कर्तव्य एवं पुरत्व का एक समय अवश्य आता है |
- कर्म करने से कोई भी कार्य सम्पन्न किया जा सकता है | चाहे वह कितना ही दुष्कर क्यों न हो ?
- प्रत्येक मननशील मनुष्य के मन मे अनेक विचार उठते रहते है | उनको सदा समाज के समक्ष कहने से उनका सम्मान कम हो जाता है | इसलिए उसे चाहिए कि वह मननपूर्वक उन विचारों को मन ही मे रखें |अपने स्वप्नो को साकार करने का यत्न मौन रहते हुए करे | कार्यान्वित हो जाने पर वे स्वयं प्रकट हो जायेंगे | इससे समाज मे उसकी प्रतिष्ठा बढेगी |
- जीवात्मा कर्म करने मे स्वतंत्र है परमात्मा का हाथ है | जीवात्मा जैसा कर्म करता है, वैसा फल पाता है |स्वयं सब योनियों मे भटकता है और यदि सौभाग्य से कभी उसका ज्ञान चक्षु खुल जाए तो अपने ही पुरुषार्थ मे पागलपन से डरकर विवेक पथ पर छा जाता है | लेकिन इसमे भी त्याग और तपस्या की जरुरत है |