Copper Water Benefits: जानें तांबे के बर्तन में रखा पानी कब नहीं पीना चाहिए, कितने टाइम रखना जरूरी
Copper Water Benefits: अधिकतर लोग तांबे के बर्तन में रखा गया पानी जरूर पीते हैं क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है।
Copper Water Benefits in Hindi: अधिकतर लोग तांबे के बर्तन में रखा गया पानी जरूर पीते हैं क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। यह हमारे देश की एक प्राचीन परंपरा का भी अंग है और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धिति का भी भाग है। इस पानी को पीने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, जैसे, लूज मोशन, पेट दर्द, डायरिया आदि। इतना ही नहीं इस पानी को पीने से शरीर में कॉपर की कमी भी नहीं होती है। लेकिन इसे सही विधि से और सही समय पर पीना भी उतना ही जरूरी होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
दरअसल तांबे के बर्तन में रखा गया पानी कभी भी भोजन करने के बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से आपके पाचन पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे पाचन धीमा हो सकता है या पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है।
कब पीना चाहिए ये पानी
जानकारी के लिए बता दें कि तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने का सबसे सही समय होता है सुबह खाली पेट। आप सुबह उठकर यूरिन पास करने और मुंह धोने के बाद सबसे पहले तांबे के बर्तन में रातभर रखा गया पानी पिएं। यह आपको फायदा करेगा।
तांबे के बर्तन में पानी कितने समय रखें
दरअसल तांबे के बर्तन में रखे पानी का फायदा पाने के लिए आप इस पानी को 12 से 48 घंटे तक तांबे की जग या लौटे में स्टोर करके रखें और फिर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। अगर आप पूरे दिन तांबे के बर्तन में पानी पीना चाहते हैं तो इसमें सेहत के लिए नुकसान वाली बात नहीं है लेकिन यह पानी ताजा भरा हुआ होना चाहिए। लेकिन ध्यान रखें यह पानी रातभर का रखा हुआ नहीं होना चाहिए क्योंकि रातभर रखा हुआ पानी आप सिर्फ सुबह खाली पेट ही पी सकते हैं।
तांबे का पानी पीने के नुकसान
वैसे तो तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने के कोई नुकसान नहीं हैं लेकिन जब आप लंबे समय तक और अधिक मात्रा में या फिर गलत विधि से इस पानी को पीते हैं तो शरीर में तांबे की मात्रा अधिक होने की समस्या हो सकती है। फिर ऐसा होने पर आपको जी मिचलाना, उल्टियां आना, पेट में दर्द होना या डायरिया जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। ऐसे में अगर आप इन लक्षणों को अनदेखा करते हैं और पानी का सेवन जारी रखते हैं तो यह लिवर की खराबी और किडनी की बीमारी का कारण भी बन सकता है।