Devraha Baba Kon The: राजनीति और संन्यासियों के बीच रहा है गहरा नाता, राजेंद्र प्रसाद से लेकर राजीव गांधी तक थे इस संत के मुरीद

Devraha Baba Ke Bare Jankari In Hindi: देवरहा बाबा एक सिद्ध संत थे, जिनके अनुयायियों में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मुलायम सिंह यादव जैसी बड़ी हस्तियां शामिल थीं।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-01-02 18:37 IST

Devraha Baba (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Devraha Baba Kon The: भारत यूं ही नहीं ऋषि-मुनियों का देश रहा है। यहां ऐसे कई संत हुए हैं, जिन्हें दिव्य संत कहा गया है। भारत की सनातन संस्कृति और इसके अनुयाई साधु-संतों की लोकप्रियता पूरी दुनिया में व्याप्त है। यही वजह है कि मथुरा वृंदावन की गलियों से लेकर हिमालय पर बसे जंगलों की घनी कंदराओं में सिर्फ देश के ही नहीं ना जाने कितने विदेशी संत ईश्वर साधना में लीन देखे जा सकते हैं। जिनमें एक सिद्ध संत देवरहा बाबा (Devraha Baba) का भी नाम आता है। देवरहा बाबा के अनुयायियों में बड़ी हस्तियां शामिल थीं, जिनमें मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव जैसी बड़ी राजनीतिक हस्तियां उनके आगे मत्था टेकती थीं।

वहीं, विदेशों में भी इनकी ख्याति फैल चुकी थी। जिससे प्रभावित होकर ब्रिटिश महाराजा जार्ज पंचम (United Kingdom King George V) भी उनके आश्रम में एक बार दर्शन करने आए थे। सिद्ध योगी देवरहा बाबा अपनी मचान पर खाली हाथ बैठा करते थे। लेकिन भक्तों को बिना प्रसाद के नहीं जाने दिया करते थे। बाबा के विषय में चर्चित किदवंतियों के बारे में सुनने वालों को मुश्किल से यकीन होता है कि देवराहा बाबा एक ही समय में दो स्थानों पर अवतरित हो जाते थे। कुछ परिवारों का तो यहां तक दावा है क्योंकि एक दो या तीन नहीं बल्कि 10 पीढ़ियों ने देवराहा बाबा के दर्शन किए थे।

देवरहा बाबा वैसे तो सरयू किनारे ही धुनी रमाए रहते थे। लेकिन माघ मेले (Magh Mela) में कल्पवास के दौरान वो प्रयागराज जरूर जाते थे। महाकुंभ, अर्धकुंभ में भी वो शामिल होते थे। वहां भी उनका आशीर्वाद लेने के लिए भारी भीड़ उमड़ती थी।

तीन साल की उम्र में ही राष्ट्रपति बनने की कर दी थी भविष्यवाणी

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी देवरहा बाबा के चमत्कारों से बेहद प्रभावित थे। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने भी 3 साल की अवस्था में अपने माता-पिता के साथ देवराहा बाबा के दर्शन किए थे। बाबा ने उसी वक्त उनके राष्ट्रपति बनने की बात कह दी थी। साल 1950 में जब डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति बने तो उन्होंने खुद पत्र लिखकर बाबा के प्रति कृतज्ञता प्रकट की थी। इतना ही नहीं, साल 1954 में जब इलाहाबाद में महाकुंभ लगा, तब राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद खुद बाबा के शरण में पहुंचे और उनकी पूजा अर्चना की। फक्कड़ स्वभाव वाले देवरहा बाबा के और भी कई चमत्कारिक किस्से हैं।

क्या है देवरहा बाबा की जन्म तिथि (Devraha Baba Ka Janm Kab Hua Tha)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

देवरहा बाबा की जन्म की तारीख अज्ञात है। लेकिन लोगों की आस्था के मुताबिक बाबा लगभग 250 वर्षों तक सशरीर इस धरती पर रहे। देवरहा बाबा मूल रूप से देवरिया जिले के उमरिया गांव के रहने वाले थे। जनश्रुति के मुताबिक बाबा का बचपन का नाम जनार्दन दत्त दुबे था। बाबा को बाल्यावस्था में ही दिव्य तप की अनुभूति होने लगी। जिसके कारण बाबा बचपन में ही गृह त्याग करके अयोध्या पहुंच गए। उसके कुछ समय के बाद वह उत्तराखंड चले गए। वहां संतों के मार्गदर्शन में योग साधना की बारीकी सीखी। इसके बाद बाबा काशी पहुंचे। स्वामी निरंजन देव सरस्वती से वर्षों तक अध्ययन और तप में दक्षता हासिल करने के बाद बाबा देवरिया पहुंचे। वहां के माइल गांव में सरयू किनारे 12 फिट ऊंची मचान बनाकर रहने लगे।

बाबा मचान पर ही बैठकर ध्यान, साधना और योग किया करते थे। जब बाबा से पूछा गया कि आप धरती से इतने ऊपर क्यों रहते हैं? तब बाबा ने बताया कि तपस्वी को शिला,अग्नि और जल से चार हाथ ऊपर रहना चाहिए। इस कारण से वह मचान बनाकर रहते थे। बाबा केवल देवरिया ही नहीं बल्कि समय पर काशी मथुरा, अयोध्या, वृंदावन और झूसी जैसे स्थानों पर मचान बनवाकर रहा करते थे।

इस तरह बना कांग्रेस पार्टी का चुनाव निशान पंजा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

देवराहा बाबा (Devraha Baba) के भक्तों में न केवल देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) बल्कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, लाल बहादुर शास्त्री, पुरुषोत्तम दास टंडन, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेई, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव जैसे दिग्गज भी शामिल थे। यह सभी लोग समय-समय पर देवरहा बाबा के पास उनके दर्शन के लिए जाते थे और उनसे आशीर्वाद लेते थे। वो एक ही समय में दो-दो जगह पर दिखाई देते थे।

ऐसा ही एक किस्सा इंदिरा गांधी से भी जुड़ा है, जब इंदिरा गांधी साल 1975 में लगी इमरजेंसी हटाने के बाद हुए चुनाव हार गई तो देवरहा बाबा के दर्शन करने के लिए देवरिया गई। जहां बाबा का आशीर्वाद लेने के बाद 1978 में दोबारा सत्ता में वापसी कर सकीं। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी को पैर के अंगूठे की जगह देवरहा बाबा ने इस बार हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया। इंदिरा गांधी ने देवरहा बाबा के हाथ के उसी आशीर्वाद मुद्रा में पंजे को अपना चुनाव चिन्ह बनाया और दो साल बाद 1980 में प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा प्रधानमंत्री पद की हकदार बनीं। तो इस तरह की स्थितियों को समाहित किए देवराहा बाबा के अनेक किस्से हैं जो जनमानस में आज भी व्याप्त है।

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की कर दी थी 33 वर्ष पूर्व में ही भविष्यवाणी

देवरहा बाबा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण (Ram Mandir Construction) की भविष्यवाणी काफी समय पूर्व है कर दी थी। राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद के शिलान्यास की तारीख 9 नवंबर, 1989 भी उनके निर्देश पर तय की गई थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री राजीव गांधी, विदेश मंत्री नटवर सिंह, गृह मंत्री बूटा सिंह और सीएम नारायण दत्त तिवारी भी उनकी शरण में पहुंचे थे।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से जुड़ा है एक रोचक किस्सा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

देवरहा बाबा के चमत्कारों की लंबी लिस्ट में एक किस्सा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भी जुड़ा हुआ है। बात साल 1987 की है। जून के महीने में वृंदावन में देवरहा बाबा जमुना पार मचान बनाकर निवास कर रहे थे। उस समय जिला प्रशासन को सूचना मिली कि देवरहा बाबा के दर्शन के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी आने वाले हैं। अधिकारियों ने आनन फानन में राजीव गांधी की यात्रा का प्लान बनाया क्योंकि साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे। लिहाजा उनकी सुरक्षा बेहद सख्त थी। वृंदावन में राजीव गांधी के हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए पुलिस अफसरों ने एक बबूल के पेड़ की डाल को काटने का आदेश दिया।

जैसे ही इस बात की सूचना बाबा तक पहुंची तो वह भड़क गए और पुलिस अफसर से कह दिया कि तुम यहां प्रधानमंत्री को लाने के लिए पेड़ काटोगे ऐसा नहीं होगा। बबूल का पेड़ नहीं कटेगा। अफसर ने उन्हें लाख समझाया और दिल्ली से मिले सुरक्षा आदेश का हवाला भी दिया। लेकिन बाबा टस से मस न हुए। अब अफसरों को भी लगने लगा कि उनकी नौकरी खतरे में आ जाएगी। तब बाबा उस स्थिति को समझते हुए उन अधिकारियों से बोले कि परेशान मत हो अभी प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल जाएगा। उनका दौरा रद्द करवा देता हूं। आश्चर्य की बात थी कि दो घंटे बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से संदेश आया कि राजीव गांधी का दौरा टाल दिया गया है। कई हफ्ते भर के बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी बाबा के दर्शन करने के लिए वृंदावन पहुंचे। लेकिन बबूल का वह पेड़ नहीं काटा गया।

बड़े चमत्कारिक थे देवरहा बाबा (Miracles of Devraha Baba)

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देवरहा बाबा अपने चमत्कारों के चलते सदैव चर्चा में बने रहते थे। वे सिर्फ इंसानों की अनकही बातों को ही नहीं बल्कि पशुओं की बोली-भाषा समझ लेते थे। खूंखार जंगली जानवर भी वश में करके पालतू पशुओं की तरह उनके पास बैठ जाते थे। उनकी स्मृति बहुत तेज थी। देवरहा बाबा की सिद्ध शक्ति के चलते सरयू में भयानक बाढ़ भी उनके मचान से स्पर्श करके वापस उतरने लगती थी।

भक्तों द्वारा दावा किया जाता है कि वो पानी में न डूबने की चमत्कारिक ताकत भी थी। मथुरा वृंदावन में यमुना नदी पर देवरहा बाबा आधे घंटे तक बिना सांस लिए पानी में समाधि लेते थे। कहते हैं कि देवरहा बाबा महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग में पारंगत थे। वह एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए कभी रेल या अन्य साधनों का प्रयोग नहीं करते थे।

कई कठिन योगों में सिद्ध हस्त थे बाबा

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मान्यता है कि देवराहा बाबा हठ योग की दसों मुद्राओं में पारंगत थे। इसके साथ ही वह ध्यान योग, नाद और लय योग, प्राणायाम, त्राटक, धारणा समाधि में सिद्ध हस्त थे। बाबा को खेचरी मुद्रा में भी महारथ थी। जिसके कारण उन्हें भूख और उम्र पर नियंत्रण कर लिया था। तमाम लीलाओं से प्रसिद्धि पाने वाले देवराहा बाबा ने 19 जून, 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्याग दिए।

आश्रम आने के लिए सड़क मार्ग

देवरिया जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर सरयू नदी के किनारे स्थित उनका आश्रम (Devraha Baba Ashram) सैकड़ों श्रद्धालुओं का श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। देवरिया गांव में बसे देवरहा बाबा के आश्रम, लार रोड और सलेमपुर सड़क मार्ग से बस-कार (Devraha Baba Ke Ashram Kaise Jaye) से जाया जा सकता है।

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