Duraga Saptashati ka Path Kaise Kare: फलदायी है दुर्गा सप्तशती का पाठ, नवरात्रि में है इसका विशेष महत्व
Duraga Saptashati ka Path Kaise Kare: मां को प्रसन्न करने के लिए माता के भक्त नौवों देवियों की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। नौवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का अद्भुत विशेष महत्व है।
Duraga Saptashati ka Path Kaise Kare: शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021(Shardiya Navatri Start 7 October) दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है, जो 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। नवरात्रि के नौं दिनों में मां की आराधना और पूजा अर्चना की जाती है। साथ ही मां को प्रसन्न करने के लिए माता के भक्त नौवों की देवियों(Nau Devi Ki pooja Ki vidhi) की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
नौवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का अद्भुत विशेष महत्व है। अद्भुत शक्तियां प्रदान करता है दुर्गा सप्तशती का पाठ। अगर नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि-विधान से नियमित किया जाए तो माता बहुत प्रसन्न होती हैं। और दुर्गा सप्तशती पाठ सुनने वाला सभी देवी कृपा के पात्र बनते हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व (Durga Saptashati Ke Path Ka Mahatva)
दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व वही जानता है जो माता का अनन्य भक्त हो। क्योंकि इस पाठ को करने के लिए एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इस पाठ को विशेष रूप से नवरात्रि में किया जाता है। दुर्गा सप्तशती पाठ में 13 अध्याय है। पाठ करने वाला और पाठ सुनने वाला दोनों ही देवी कृपा के पात्र बनते हैं।
दुर्गा सप्तशती की किताब बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। वैसे तो संस्कुत में ही इस पाठ का महत्व है लेकिन जिस व्यक्ति को संस्कृत पढ़ने में दिक्कत होती है, उसके लिए बाजार में हिन्दी के बहुत सारे कताब मिलते हैं। दुर्गा सप्तशती में माँ दुर्गा के द्वारा लिए गये अवतारों की जानकारी प्राप्त होती है।
दुर्गा सप्तशती के अध्यायों की जानकारी (Duga Saptashati Ke Adhayay Ki Jankari)
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय हैं। जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है। जो इस प्रकार हैं-
- दुर्गा सप्तशती का पहला अध्याय है मधु कैटभ वध
- दुर्गा सप्तशती का दूसरा अध्याय है देवताओ के तेज से माँ दुर्गा का अवतरण और महिषासुर सेना का वध
- दुर्गा सप्तशती के तीसरा अध्याय है महिषासुर और उसके सेनापति का वध
- दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय है इन्द्राणी देवताओ के द्वारा माँ की स्तुति
- दुर्गा सप्तशती के पांचवे अध्याय में देवताओ के द्वारा माँ की स्तुति और चन्द मुंड द्वारा शुम्भ के सामने देवी की सुन्दरता का वर्तांत
- दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय धूम्रलोचन वध
- दुर्गा सप्तशती का सातवां अध्याय है चण्ड मुण्ड वध
- दुर्गा सप्तशती का आठवां अध्याय 8 रक्तबीज वध
- दुर्गा सप्तशती का नवां और दसवां अध्याय निशुम्भ शुम्भ वध
- दुर्गा सप्तशती का ग्यााहवां अध्याय है देवताओ द्वारा देवी की स्तुति और देवी के द्वारा देवताओ को वरदान
- दूर्गा सप्तशती का बारावां अध्याय देवी चरित्र के पाठ की महिमा और फल
- दूर्गा सप्तशती अंतिम और तेरावहां अध्याय है सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने की विधि (Durga Saptashati Path Ki Vidhi)
नवरात्र में माता को प्रसन्न करने के लिए साधक बहुत तरह के पूजन हवन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का नियमित पाठ विधि-विधान से किया जाए तो माता प्रसन्न होती हैं। और भक्त को शक्तियां प्रदान करती हैं। दुर्गा सप्तशती करने विधी को भी भी जान लें-
-सबसे पहले साधक को स्नान कर के शुद्ध हो जाना चाहिए।
-उसके बाद साफ सुथरे आसन आसन पर बैठ जाए।
-माथे पर अपनी पसंद के अनुसार चंदन अथवा रोली लगा लें।
-शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।
-इसके बाद गणेश आदि देवताओं को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में
-लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें और मंत्रों से संकल्प लें।
-अब देवी का ध्यान करें और पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।
-इसके बाद अर्गला, कीलक और कवच के पाठ के बाठ के बाद आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करिए।
-पाठ और आरती के बाद आपको क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।