बड़े-बुजुर्गों की बातों को नहीं करना चाहिए अनसुना, कम बोलने और ज्यादा सुनने की आदत को अपनाएं

बड़ों की हर सीख में कोई न कोई राज जरूरी छिपा होता था, जो हमें धीरे-धीरे पता चलता गया, कि आखिर ऐसा क्यों, ये किस लिए।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-09-09 08:51 GMT

कम बोलने की आदत (सोशल मीडिया)

बड़े-बुजुर्ग हमें बचपन में कई बातें और पाठ सिखाया करते थे। उन बातों में एक ये भी बात हुआ करती थी कि हमे कम बोलना चाहिए और ज्यादा सुनने की आदत डालनी चाहिए। वैसे तो बड़ों की हर सीख में कोई न कोई राज जरूरी छिपा होता था, जो हमें धीरे-धीरे पता चलता गया, कि आखिर ऐसा क्यों, ये किस लिए। उनकी हर सीख हर सलाह में दम होता है। आज भी जमाना चाहे कितना भी आधुनिक क्यों न हो गया हो, पर सीख अभी भी काम आती हैं। 

हमारे बड़े-बुजुर्गों की बातों पर आज पूरी दुनिया अमल कर रही है। कम बोलना और ज्यादा सुनने वाली सीख साइंटफिक तरीके से भी आपके दिमाग के लिए काफी फायदेमंद है। इसके पीछे का कारण ये है कि इससे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अब आपके दिमाग में ये आ रहा होगा कि कम बोलने और मानसिक स्वास्थ्य के बीच क्या ऐसी बात है। चलिए बताते हैं इसके पीछे का राज-

इसलिए कम बोलना और ज्यादा सुनना अच्छा होता है-

इस भागती दुनिया में इंसान को कम बोलने और ज्यादा सुनने से कई फायदे मिलते हैं। सबसे बड़ा तो ये कि कम बोलने से आपकी ही एनर्जी स्टोर होती है। जिससे जीवनशैली की सबसे बड़ी समस्या यानी तनाव टेंशन कम होने लगती है।

दूसरा ये कि जब आप में कम बोलने और ज्यादा सुनने की आदत होगी तो इससे आपका ध्यान दूसरों की बातों पर ज्यादा होता है। जिससे इस समय ही आपको कुछ नया जानने को मिल सकता है और सिर्फ बात भर से ही ज्ञान बढ़ता है। ये ज्ञान की बातें मुसीबत के समय काफी लाभदायक साबित हो सकती हैं।

अधिकतर लोग बोलते रहते हैं, वो अज्ञानता की वजह से काफी कुछ बेकार और गलत फालतू का बोल जाते हैं। जिससे लोग उन्हें मूर्ख की कैटेगरी में रखते हैं या लोगों के सामने उनकी ऐसी छवि बन जाती है जिससे उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता है, और यही उनके लिए तनाव का कारण बन सकता है।

अन्य तरह के लोग जो बड़बोले यानी बहुत बोलते हैं, वो ज्यादातर ऐसा कुछ जरूरी बोल जाते हैं जो नहीं बोलना चाहिए। इससे समय पर बन रहा काम अक्सर बिगड़ जाता है, तो कभी-कभी झगड़े का कारण भी बन जाता है। फिर इसके बाद वे पछताते है। 

उन लोगों से भी लोग परेशान हो जाते हैं जो सिर्फ अपना बोलते रहते हैं। जिसकी वजह से सामने वाला बोरियत महसूस कर सकता है। ऐसे में कम बोलना ही सबसे सटीक और अच्छा उपाय है।

बताते चले ये जो भी जानकारी दी गई है ये किसी भी चिकित्सीय सलाह के आधार पर नहीं है, बल्कि मौखिक रूप से शिक्षित करने के उद्देश्य की दी गई है।


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