Geeta Updesh For New Year: नए साल पर खुद को गीता के इन उपदेशों से रखें मोटिवेट, मिलेगी नई ऊर्जा
Geeta Ke Updesh: श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों का वर्णन है, जो आपका सही मार्गदर्शन करने के साथ ही जीवन जीने का सही ढंग भी सिखाते हैं।
Geeta Updesh For New Year 2025: 1 जनवरी 2025, बुधवार से नए साल (Happy New Year 2025) की शुरुआत हो रही है। हर साल अपने साथ ढेर सारी खुशियां और चैलेंजेस लेकर आता है। लेकिन अगर आपके पास सही गाइडेंस न हो तो इन चुनौतियों से निपटना और खुशियों को हैंडल करना मुश्किल हो जाता है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर जीवन में सही मार्गदर्शन कौन कर सकता है? इसका जवाब है भगवान श्रीकृष्ण। जिस तरह श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को सही रास्ता दिखाया था, उन उपदेशों को अपनाकर आप भी अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं। इन उपदेशों को जानने के लिए आपको पढ़ना होगा श्रीमद्भागवत गीता (Bhagavad Gita)।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों (Shri Krishna Ke Updesh) का वर्णन है, जो उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए थे। श्रीकृष्ण के ये उपदेश सही मार्गदर्शन करने के साथ ही जीवन जीने का सही ढंग भी सिखाते हैं। ऐसा कहते हैं कि गीता के अनमोल वचन से व्यक्ति को जीवन की हर एक परेशानी का हल मिल जाता है। तो आज हम आपको गीता के उन 5 उपदेशों (Geeta Ke Updesh) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हर किसी के मन में एक नई ऊर्जा संचार करने का काम करते हैं। इससे आप कॉन्फिडेंट भी बनेंगे।
गीता का ज्ञान (Geeta Ka Gyan In Hindi)
1- सबसे जरूरी ज्ञान जो सभी को जीवन में अपनाना चाहिए, वो ये है कि व्यक्ति को केवल वर्तमान में ही जीना चाहिए और कर्म करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने भविष्य और बीते हुए कल के बारे में सोचने को व्यर्थ बताया है, क्योंकि इससे बस मन दुखी होता है।
2- श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार, जब भी कभी हिम्मत टूटे तो एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि चाहे कोई आपके साथ हो या न हो ईश्वर आपके साथ है और हमेशा साथ रहेंगे।
3- गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपका मन ही आपके दुखों का कारण है। जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया, वह बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से दूर रहता है और ऐसा मनुष्य अपने लक्ष्य को भी आसानी से पा लेता है।
4- श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है, व्यक्ति को फल की चिंता किए बिना बस कर्म करना चाहिए। क्योंकि आपका अधिकार केवल कर्म पर होता है, ना कि फल पर। इसलिए कर्म के फल को अपना उद्देश्य मत बनाओ।
5- भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्म मंथन करके स्वयं को पहचानो क्योंकि जब स्वयं को पहचानोगे तभी अपनी क्षमता का आंकलन कर पाओगे।