Motivational Story: तपस्या बड़ी या सत्संग
Motivational Story: आपने खुद ही देख लिया कि दस हज़ार वर्ष की तपस्या, आधे क्षण के सत्संग की भीबराबरी नहीं कर सकती।दोनों ऋषियों ने सत्संग की महिमा को जानकर प्रसन्नतापूर्वक वहाँ से प्रस्थान किया
Motivational Story: इस विषय पर एक बार विश्वामित्रजी और वशिष्ठ जी में मतभेद हो गया। वशिष्ठ जी सत्संग को श्रेष्ठ कहते थे तो विश्वामित्र जी तप को । अंत में दोनों निर्णय के लिये भगवान शेष के पास पहुँचे।शेष जी ने दोनों की बात सुनकर कहा कि बात तो विचार करने वाली है। आप लोग देख रहे हैं कि मेरे सिर पर पृथ्वी का भार है । आप में से कोई भी कुछ क्षण के लिये पृथ्वी को धारण कर ले तो मैं आराम से सोचूँ ?विश्वामित्र जी ने अपनी दस हज़ार वर्ष की तपस्या का फल देकर पृथ्वी को उठाना चाहा पर वो असफल रहे।तब वसिष्ठ जी ने आधे क्षण के सत्संग का फल देकर
पृथ्वी को धारण कर लिया और बहुत देर तक उठाये रहे।जब काफ़ी देर हो गयी तब विश्वामित्र जी ने शेष जी से कहा कि प्रभु अब तो निर्णय सुनाएँ।तब शेषजी ने मुस्कुराते हुए कहा कि क्या मुझे निर्णय सुनाने की आवश्यकता है। आपने खुद ही देख लिया कि दस हज़ार वर्ष की तपस्या, आधे क्षण के सत्संग की भीबराबरी नहीं कर सकती।दोनों ऋषियों ने सत्संग की महिमा को जानकर प्रसन्नतापूर्वक वहाँ से प्रस्थान किया ।
( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)