अगर थायराइड को करना है बाय, तो इन योगासनों से करिए हाय

प्रतिदिन के खान-पान और रहन-सहन से आज भारत का हर तीसरा शख्स थायराइड से पीड़ित है। खासकर महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती हैं। थायराइड अक्सर वजन बढ़ने, जोड़ों का दर्द, डिप्रेशन, दिल की बीमारी और हॉर्मोनल चेंजेज का कारण बनता है।

Update:2019-07-15 17:04 IST
YOGA

नई दिल्ली : प्रतिदिन के खान-पान और रहन-सहन से आज भारत का हर तीसरा शख्स थायराइड से पीड़ित है। खासकर महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती हैं। थायराइड अक्सर वजन बढ़ने, जोड़ों का दर्द, डिप्रेशन, दिल की बीमारी और हॉर्मोनल चेंजेज का कारण बनता है। ऐसे में आज हम आपको थायराइड दूर करने का सबसे असरदार तरीका बताने जा रहे हैं। तो ये तरीका हैं योग। जिसके द्वारा आप थायराइड बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

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ये हैं योग

कपालभाती प्रणायाम

कपालभाती एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसे करने के लिए आप सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ें। यह करते वक्त अपने पेट को अंदर की तरफ धक्का दें और ज्यादा से ज्यादा सांस बाहर फेंके। इस आसन को रोज करीब आधे घंटे तक करें। इससे दांतों और बालों के भी सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।

उज्जायी

यह प्राणायाम तीन प्रकार से किया जाता है- खड़े होकर, बैठकर और लेटकर।

खड़े होकर करने की विधि

- सावधान की अवस्था में खड़े हो जाएं। आपकी दोनों एड़ियां सटी हों और दोनों पंजे फैले हों।

- अपनी जीभ को नाली की तरह बनाकर होठों के बीच से हल्का सा बाहर निकालें।

- बाहर निकली हुई जीभ से अंदर की सांस को बाहर निकालें।

- अब धीरे-धीरे गहरी सांस लें, सांस को जितना हो सके उतनी देर तक अंदर रखें।

- शरीर को थोड़ा ढ़ीला छोड़कर सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालें।

- यह आसन दिनभर में केवल एक ही बार करें।

यही क्रियाएं बैठकर और लेटकर भी की जा सकती हैं।

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ग्रीवा संचालन

गले को टाइट कर के गोल गोल घुमाएं।

सिंहासन

सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं। घुटनों को जितना हो सके उतना दूरी पर रखें। अब अपने दोनों हाथों को दोनों घुटनों के बीच इस तरह रखे की दोनों हाथों की उंगलियाँ आपके शरीर की तरफ रहें। दोनों हाथों को सीधा रख आगे की ओर झुके। सिर को पीछे की ओर रखकर जीभ को बाहर निकालिए।

आँखों को खोलकर भूमध्य (दोनों ऑयब्रोस के बीच माथे / फॉरहेड के मध्य की ओर देखें) अब नाक से सांस अंदर लें। आसन के अंत में फिर से वज्रासन में थोड़ी देर बैठ जाएं और बाद में 5 मिनट शवासन करें।

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