Motivational Story: परम सार्थक मानव जीवन
Motivational Story: मानव जन्म की परम सार्थकता है।यदि यह अवसर हाथ से निकल गया तो फिर महान् विनाश हो जायगा – बार-बार मृत्यु रूप संसार के प्रवाह में बहना पड़ेगा।
इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टिः।
भूतेषु भूतेषु विचित्य धीराः प्रेत्यास्माल्लोकादमृता भवन्ति ॥
( केनोप॰ २/५ )
मानव जन्म अत्यन्त दुर्लभ है।इसे पाकर जो मनुष्य परमात्मा की प्राप्ति के साधन में तत्परता के साथ नहीं लग जाता,वह बहुत बड़ी भूल करता है।अतएव श्रुति कहती है कि ‘जब तक यह दुर्लभ मानव-शरीर विद्यमान है,भगवत्कृपा से प्राप्त साधन-सामग्री उपलब्ध है,तभी तक शीघ्र-से-शीघ्र परमात्मा को जान लिया जाय तो सब प्रकार से कुशल है – मानव जन्म की परम सार्थकता है।यदि यह अवसर हाथ से निकल गया तो फिर महान् विनाश हो जायगा – बार-बार मृत्यु रूप संसार के प्रवाह में बहना पड़ेगा।
फिर, रो-रोकर पश्चात्ताप करने के अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं रह जायगा।संसारके त्रिविध तापों और विविध शूलों से बचने का यही एक परम साधन है कि जीव मानव-जन्म में दक्षता के साथ साधन-परायण होकर अपने जीवन को सदा के लिये सार्थक कर ले।मनुष्य-जन्म के सिवा जितनी और योनियाँ हैं, सभी केवल कर्मों का फल भोगने के लिये ही मिलती हैं ।उनमें जीव परमात्मा को प्राप्त करने का कोई साधन नहीं कर सकता।बुद्धिमान् पुरुष इस बात को समझ लेते हैं और इसी से वे प्रत्येक जाति के प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का साक्षात्कार करते हुए सदा के लिये जन्म-मृत्यु के चक्र से छूटकर अमर हो जाते हैं।
( लेखक धर्म व अध्यात्म के अध्येता एवं भोजन प्रसाद प्रकल्प के संयोजक हैं।)