Jagannath Rath Yatra 2024: क्या है जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद की ये अनसुनी सच्चाई, ये बात कर देगी आपको हैरान!

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है जहाँ दूर-दूर से लोग आते हैं, आइये जानते हैं यहाँ बनने वाले महाप्रसाद के कुछ अनसुने फैक्ट्स।

Update:2024-07-10 10:47 IST

Jagannath Mandir Mahaprasad (Image Credit-Social Media)

Jagaganath  Rath Yatra 2024:  विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। इस समय उड़ीसा के पूरी के पवित्र मंदिरो में भगवान् जगन्नाथ को छप्पन भोग का महाप्रसाद अर्पित किया जाता है जिसका काफी महत्त्व होता है। आपको बता दें कि इसे साल में एक बार ही तैयार किया जाता है। आज हम आपको इस प्रसाद की खासियत बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में शायद ही आपको पता होगा। आइये विस्तार से जानते हैं भगवान जगन्नाथ के इस महाप्रसाद का महत्त्व और विशेषता।

जगन्नाथ रथ यात्रा  (Jagaganath Rath Yatra 2024)   
                                                                                                                                                                                               

भगवान् जगन्नाथ के छप्पन भोग के महाप्रसाद को 500 रसोइए और करीब 300 सहयोगी तैयार करते हैं। इस प्रसाद को बनाने के लिए किसी भी तरह का कोई धातु का बर्तन इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस साल ये रथ यात्रा 7 जुलाई से प्रारम्भ हुई है, गौरतलब है कि जगन्नाथ रथ यात्रा का हर साल आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया से प्रारम्भ हो जाती है वहीँ ये दशमी तिथि को समाप्त होती है। हिन्दू धर्म में इस रथ यात्रा का काफी महत्त्व है। इस यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के लिए नीम की लकड़ियों से बने रथ को तैयार किया जाता हैं।इस रथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश और विदेश से लाखों लोग आते हैं। वहीँ इस दौरान यहाँ मिलने वाले महाप्रसाद की भी खूब चर्चा होती है। आइये आपको बताते हैं इस महाप्रसाद की कुछ अनसुनी बातें।

जगन्नाथ रथ यात्रा के प्रारंभ होने से हो काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं। वहीँ इन सभी के लिए प्रतिदिन इस रसोईघर में प्रसाद तैयार किया जाता है। आपको बता दें ये संख्या प्रतिदिन 2,000 से 2,00,000 के बीच रहती है। वहीँ ऐसा बताया गया है कि इस रसोईघर में 500 रसोइए और करीब 300 सहयोगी काम करते हैं जो इस महाप्रसाद को तैयार करते हैं। इसमें 56 भोग लगाए जाते हैं। वहीँ इस रसोईघर को दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर भी माना जाता है।

आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ का मुख्य प्रसाद भात है। वहीँ उड़ीसा के पूरी में चावल की खिचड़ी का भोग भगवान् को लगाया जाता है। इस प्रसाद का सेवन करके भक्त बोल उठते हैं,'भगवान जगन्नाथ का मुख्य प्रसाद भात है।' जिसका मतलब है कि भगवान् जगन्नाथ को भोग लगाया हुआ भात बेहद ख़ास होता है। भगवन जगन्नाथ के इस प्रसाद को ग्रहण करने पर कई मान्यताएं भी हैं। यही वजह है कि भक्त इस प्रसाद को लेने के लिए लम्बी कतारों में लगे रहते हैं।

गौरतलब है कि जगन्नाथ रथयात्रा का प्रसाद केवल ओडिशा के पुरी में नहीं बल्कि ये आपको पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी मिल जायेगा। लेकिन यहाँ जगन्नाथ भगवान् को खिचड़ी का नहीं बल्कि मालपुआ का प्रसाद चढ़ाया जाता है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए जांजगीर चांपा जिले के चांपा नगर में मालपुए बनाए जाते हैं। जब आप इन्हे खायेंगें तो पायेंगें कि ये बेहद स्वादिष्ट होते हैं। मालपुआ को भारत की सबसे पुरानी मिठाई माना जाता है। जिसका उल्लेख 3000 साल पुराने वैदिक युग में भी मिलता है।

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