Kargil Vijay Diwas 2024: आज है कारगिल विजय दिवस, जानिए क्या है इसका इतिहास और महत्त्व
Kargil Vijay Diwas 2024: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है इस ख़ास मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास का दौरा करेंगे। आइये जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्त्व।
Kargil Vijay Diwas 2024: आज से 25 साल पहले यानि साल 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत दर्ज हुई थी। इसका जश्न हर साल भारत 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। साथ ही ये दिन होता है उन वीर सपूतों को याद करने का जिन्होंने इस देश पर खुद को कुर्बान कर दिया था। जिन्हे आज के दिन श्रद्धांजलि देकर हम इसे मनाते हैं। वहीँ इस ख़ास मौके पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आज यानि 26 जुलाई, 2024 को लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास का दौरा करेंगे। आइये जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्त्व।
कारगिल विजय दिवस का इतिहास और महत्त्व
पकिस्तान हमेशा से अपने नापाक इरादों के साथ भारत पर किसी न किसी तरह से आक्रमण करता रहा है जिसका हमेशा ही उसे मुँहतोड़ जवाब हमारे देश के सपूतों ने दिया है। अपने प्राणों को कुर्बान करके देश की मिट्टी की रक्षा करते इन सपूतों को देश अपनी श्रद्धांजलि देता है। और आज कारगिल विजय दिवस को देश के इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ये दिन भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करते हुए उनका सम्मान करता है। आइये इस ऐतिहासिक घटना की 25वीं वर्षगांठ पर जानते हैं क्या है इस दिन का इतिहास और क्या है इसका महत्त्व।
कारगिल दिवस भारतीय सेना द्वारा कारगिल सेक्टर में रणनीतिक पदों पर कब्जा करने के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन विजय की सफल परिणति की याद दिलाता है, जहां आतंकवादियों के भेष में पाकिस्तानी सैनिकों ने घुसपैठ की थी। संघर्ष, जो मई 1999 में शुरू हुआ और दो महीने तक चला, चुनौतीपूर्ण इलाके के बीच उच्च ऊंचाई पर तीव्र लड़ाई लड़ी गई। इतना ही नहीं ये दिन 'ऑपरेशन विजय' की सफलता का भी प्रतीक है। इसे साल 1999 में कारगिल द्रास क्षेत्र में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को वापस प्राप्त करने के लिए शुरू किया गया था।
दरअसल भारत हमेशा से कश्मीर के मुद्दे को लेकर शांतिपूर्ण समाधान निकलने के पक्ष में रहा है जबकि पकिस्तान आतकंवादियों, घुसपैठियों का सहारा लेकर भारत को धोखा दिया है। ऐसे में फरवरी 1999 में कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण हल के लिए लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर हुए। लेकिन ये शांति कुछ ही दिन थी। पकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों ने 1998-1999 की सर्दियों में जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसना शुरू कर दिया इसके साथ ही कश्मीर और लद्दाख के बीच संपर्क को बाधित करने के लिए रणनीतिक स्थानों पर कब्जा करने लगे।
इसके बाद मई 1999 को भारतीय सेना को इस घुसपैठ का पता चल गया। जिसके बाद ही ऑपरेशन विजय की शुरुआत हुई। और ये लड़ाई मई से जुलाई 1999 तक चला। जिसके बाद भारतीय सेना ने टाइगर हिल सहित प्रमुख ठिकानों पर सफलतापूर्वक कब्ज़ा कर लिया और 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ ये युद्ध समाप्त हुआ। लेकिन इस युद्ध में भारत ने अपने कई नायाब सपूतों को खो दिया। इस भीषण युद्ध में लगभग 490 सैनिक शहीद हो गए।
भारत के लिए कारगिल विजय दिवस का काफी महत्त्व है। जिसे राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का एक शक्तिशाली प्रतीक माना जाता है। इस दिन को इस लिए मनाया जाता है कि हर देशवासी भारतीय सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखें। ये उन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है जो देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने के बारे में एक पल भी नहीं सोचते। ऐसे में पूरे देश में उनकी बहादुरी और बलिदान का सम्मान करने के लिए अनुष्ठान, शैक्षिक गतिविधियां और स्मारक कार्यक्रमों सहित कई कार्यक्रम किये जायेंगे।
हमारे देश के सपूतों को हमारी पूरी न्यूज़ट्रैक की टीम की ओर से शत-शत नमन।