Kaun Hai Sheshacharya Maharaj: टीचर्स डे पर जानिए कौन हैं कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के शिष्य, क्यों आज भी करते हैं उनका शुक्रिया

Kaun Hai Sheshacharya Maharaj: आज हम आपको शेषाचर्य महाराज के बारे में बताने जा रहे हैं जो पहले भगवान् को नहीं मानते थे लेकिन उनके जीवन में कुछ ऐसा घटा कि वो अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर हुए।

Newstrack :  Network
Update: 2024-09-05 01:45 GMT

Teacher's Day 2024 (Image Credit-Social Media)

Kaun Hain Sheshacharya Maharaj: लोगों को प्रेरित करना और अपना भक्त बनाना उतना भी आसान नहीं होता लेकिन वहीँ 17 साल की उम्र में ही कथावाचक शेषाचार्य महाराज ने खूब प्रसिद्धि हासिल कर ली थी। आपको बता दें कि शेषचार्य महाराज छत्तीसगढ़ से हैं। फिलहाल इतनी कम उम्र में भी उन्होंने खूब नाम कमाया है। वहीँ उनकी भगवत कथा का आयोजन लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाता है। वहीँ अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज उनके गुरु हैं। आपको बता दें कि शेषचार्य महाराज की उम्र वर्त्तमान में मात्र 20 साल है। आइये उनके जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर एक नज़र डालते हैं साथ ही जानते हैं कैसा था उनका यहाँ तक का सफर।

शेषाचर्य महाराज ने बताया कि वो पहले भगवान् पर बिलकुल भी विश्वास नहीं करते थे। लेकिन उनकी परिस्थितियां ऐसी थीं कि उनको ऐसा लगने लगा कि अगर श्री कृष्ण नहीं हों तो ये जीवन नहीं रह सकता है। उन्होंने आगे कहा कि उनके जीवन में कई ऐसी समस्या आई, जब प्रत्यक्ष रूप से भगवान कृष्ण की कृपा का उन्हें एहसास हुआ। तब जाकर उन्हें भगवान के प्रति विश्वास होने लगा। तब से वो जीवन की सारी माया को छोड़कर माधव के श्री चरणों में आ गए। आपको बता दें कि शेषाचार्य महाराज ने अपने इस आध्यात्म जगत की शुरुआत साल 2019 से की वो सबसे पहले छत्तीसगढ़ से वृंदावन आये वहां उन्होंने गुरु परंपरा का अनुसरण किया और गुरुकुल रहे। इस दौरान उन्होंने वेद-वेदांत की पढ़ाई भी की।

शेषचार्य महाराज अपने माता पिता को अपना पहला गुरु मानते हैं, उनका मानना है कि उन्हीं की वजह से वो इस दुनिया में आये। उन्होंने ही उन्हें बोलना और चलना सिखाया। जब वो वृन्दावन गुरुकुल में पढ़ाई करने गए तब उन्हें गुरु के रूप में अनिरुद्धाचार्य जी महाराज मिले। जो उनके गुरु थे। उनके सानिध्य में उन्होंने वेद-वेदांत और धर्म शास्त्र की पढ़ाई की। वहीँ आज वो एक कथावाचक के रूप में सभी को ज्ञान दे रहे हैं और साथ ही धर्म का प्रचार भी वो चारों ओर कर रहे हैं।

वो उनलोगों का भी शुक्रिया कहते हैं जो उनके द्वारा कही कथा को सुनने आते हैं ऐसे में वो मानते हैं कि ये उनका प्रभाव नहीं है बल्कि ये श्री कृष्ण की सुन्दर कथा का प्रभाव है।

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