Kidney: किडनी को 'साइलेंट किलर' बनने से पहले रोकें, पहचाने इसके लक्षण करें बचाव
Kidney: किडनी की बीमारी को 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकतर इस बीमारी का पता शुरूआती दौर में नहीं चलता है।
Kidney: किडनी की बीमारी को 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है, क्योंकि अधिकतर इस बीमारी का पता शुरूआती दौर में नहीं चलता है। और जब तक पता चलता है तब तक शरीर बीमारी के चपेट में आ चुका होता है। कई बार तो सालों-साल तक शरीर में मौजूद रहने के बावजूद इस बीमारी का पता तक लोगों को नहीं चलता है। शायद यही कारण ही की इसे साइलेंट किलर की संज्ञा दी गयी है।
इस बीमारी की चपेट में बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक यानि किसी भी उम्र के लोग आ सकते है। एक शोध में सामने आया है की भारत में बीमारियों से होने वाली मौतों में क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) को आठवां सबसे बड़ा कारण माना गया है।
इतना ही नहीं विश्व स्तर पर क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) मौत का छठवां सबसे बड़ा कारण है। बता दें कि सालाना लगभग 1.7 मिलियन लोगों की मौत एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) के कारण होती है। इस बीमारी की चपेट में बच्चे से लेकर बुज़ुर्ग तक यानि किसी भी उम्र के लोग आ सकते है।
किडनी का काम
शरीर में किडनी का मुख्य काम मेटाबॉलिज्म के प्रॉसेस से निकलने वाले वेस्ट (अपशिष्ट पदार्थ) को शरीर से बाहर निकालना है। इसके अलावा शरीर में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम व फास्फोरस जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखना भी किडनी का महतपूर्ण काम है। यानि शरीर से हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों (पानी, एसिड और सॉल्ट का नियमन करते हुए ) को शरीर से बाहर निकालने जैसा मुख्य काम किडनी का ही है।
बता दें कि किडनी हमारे शरीर में भोजन के पचने के बाद उससे यूरिया, क्रिएटिनिन जैसे हानिकारक नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों को खून से फिल्टर कर यूरिन या पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकालने का काम करती है।
ऐसे प्रमुख कार्यों को निपटाने वाली किडनी में अगर परेशानी उत्पन्न हो जाये तो शरीर में विषाक्त पदार्थो की भरमार हो जाती है। बहार ना निकल पाने की स्थिति में वो (विषाक्त पदार्थ) शरीर के अंदर ही भ्रमण करने लगते हैं जिससे शरीर गंभीर रूप से बीमार हो जाता है। इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए किडनी का स्वस्थ रहना और सही फंक्शन करना बेहद महत्वपूर्ण है।
क्यों होती है ये परेशानी ?
किडनी की समस्या ज्यादातर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को हो जाती है। बता दें कि शरीर में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है।
इसके अलावा शरीर में पोटेशियम बढ़ने से उसका सीधा असर हार्ट में होता है। इसलिए जब किडनी का फंक्शन खराब हो जाता है तो शरीर में पानी एकत्रित होना शुरू हो जाता है। फंक्शन में खराबी के कारण किडनी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकल पाती है और शरीर बहुत ज्यादा बीमार हो जाता है।
इसलिए जरुरी है कि लोग ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी बिमारियों को कंट्रोल में रखें और किडनी को स्वस्थ रखने की कोशिश करें। इसके लिए सबसे जरुरी है कि ऐसे लोग या अन्य भी बीच-बीच में अपनी किडनी का टेस्ट करवाते रहें।
क्यों होती है किडनी की समस्या
वैसे तो किडनी की समस्या का ज़िम्मेदार सीधे-सीधे किसी एक को नहीं ठहरा सकते। लेकिन फिर भी कुछ कारणों को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता जैसे खराब लाइफस्टाइल ,अनहेल्दी फूड, less फिजिकल एक्टिविटी और प्रिजर्वेटिव फूड का अधिक मात्रा में सेवन इत्यादि किडनी को बीमार करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
बचाव
किडनी की समस्या या बीमारी से बचने के लिए एक स्वस्थ लाइफ स्टाइल अपनाना ही बेहतर उपाय है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को हमेशा कंट्रोल में रखना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अनावश्यक रूप से पेन किलर्स या एंटीबाइटिक दवाओं का सेवन भी किडनी को परेशानी में डाल सकता है।
याद रखें रेड मीट की आदत भी कभी-कभी इस समस्या की जड़ बन सकती है। बता दें कि डायबिटिक और ओवर वेट व्यक्तियों को हमेशा रेड मीट खाने से बचना चाहिए। याद रखें सतर्कता ही बचाव का मूल मंत्र है।