Women Naga Sadhu: जानिए कैसे बनतीं हैं महिलाएं नागा साधु? क्या वो भी रहतीं हैं निर्वस्त्र ?
Women Naga Sadhu: महिला नागा साधुओं के बारे में जानने की लोगों को काफी जिज्ञासा होती है। आज हम आपको इनसे जुड़ा हर जवाब देंगे। तो चलिए जानते हैं महिला नागा साधु के बारे में।+
Women Naga Sadhu: भारत देश ऐसा देश है जहाँ साधु-संतों को काफी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। वहीँ यहाँ आपको कई तरह के साधु और संत मिल जाते हैं। इनके कई प्रकार भी होते हैं। जिनका रहें सहन और वेश भूषा में काफी अंतर होता है। इतना ही नहीं भगवान के प्रति इनका समर्पण भाव भी काफी अलग होता है। वहीँ लोगों के मन में भी इनके बारे में जानने की काफी जिज्ञासा होती है। वहीँ इनमे से एक हैं नागा साधु जिनके बारे में जानने को अक्सर लोग काफी जिज्ञासु रहते हैं। इनकी लाइफस्टाइल काफी अलग होती है और यही वजह है हर कोई इनके बारे में जानना चाहता है।
ऐसे बनती हैं महिलाएं नागा साधु
नागा साधुओं को ज़्यादातर कुंभ और महाकुंभ जैसी जगहों पर विचरण करते देखा जा सकता है। ये ज़्यादातर अपने शरीर पर धुनी की राख, माथे पर तिलक और लंबी-लंबी जटाएं लेकर घूमते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरुषों की तरह महिलाये भी नागा साधु होती हैं। वहीँ अब सवाल ये उठता है कि क्या वो भी पुरुषों की तरह निर्वस्त्र होकर घूमती है? और वो आखिर नागा साधु कैसे बनती है? कब सब को दर्शन देती है? कई सवाल हैं जिनका आज हम आपको जवाब देंगे। तो चलिए जानते हैं उन महिलाओं के बारे में जो नागा साधु होतीं हैं।
जहाँ आपने अक्सर साधुओं को नागा साधु के वेश में देखा होगा वहीँ किसी महिला नागा साधु को कम ही देखा होगा। लेकिन देश में कई महिलाये हैं जो नागा साधु हैं। वहीँ नागा साधु बनने के लिए एक महिला को काफी मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी प्रक्रिया भी बेहद कठिन होती है। इसके लिए महिलाओं को कई सालों तक गुफाओं, जंगलों और पहाड़ों में रहकर कठिन तपस्या करनी पड़ती है।
इतना परिश्रम करने के बाद इन्हें नागा साधु की उपाधि मिल पाती है। ये महिलाएं खुद ही अपना पिंडदान कर देती हैं। यहां तक कि अपना सिर भी मुंडवा लेती हैं। इन्हें अपने गुरु के द्वारा नागा साधु की उपाधि मिलती है।
अपने शरीर पर पहनतीं हैं ये खास चीज़
आपको बता दें कि पुरुष नागा साधुओं की तुलना में महिला नागा साधुओं की वेशभूषा काफी अलग सी होती है।
ये पुरुष नागा साधु की तरह निर्वस्त्र नहीं रहती हैं। साथ ही अपने बदन पर बिना सिला हुआ गेरुआ रंग का एक कपड़ा बांधकर रखतीं हैं। साथ ही पुरुष नागा साधुओं की ही तरह ये भी राख और तिलक को अपने शरीर पर धारण करती हैं। ये जिस कपड़े को अपने शरीर पर धारण करती है उसको 'गंती' बोला जाता है।
दुनिया को खास दिन पर ही देतीं हैं दर्शन
महिला नागा साधुओं का जीवन काफी अलग होता है वो सामान्य जनजीवन से दूर रहना पसंद करती हैं। साथ ही आश्रम में रहने वाली सभी साध्वीयां उन्हें माता कहकर पुकारती हैं। ये दुनिया की नज़रों से दूर एकांत में भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं।
वहीँ ये सिर्फ कुंभ और महाकुंभ जैसे अवसरों में नज़र आतीं हैं। इस समय इन्हे पवित्र नदियों में स्नान करते हुए देखा जा सकता है। ये बस इसी दुनिया को दर्शन देती हैं।