Maharishi Mahesh Yogi Kon The: उड़ने की कला सिखाने वाले महर्षि महेश योगी का जीवन कैसा रहा, क्यों इनका नाम आज भी इतना लोकप्रिय है

Maharishi Mahesh Yogi Biography: महर्षि महेश योगी ने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन नामक ध्यान पद्धति को विकसित किय। इसके माध्यम से उन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाया।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-02-06 13:10 IST

Famous Transcendental Meditation Maharishi Mahesh Yogi Biography in Hindi

Maharshi Mahesh Yogi Biography: महर्षि महेश योगी का असली नाम महेश प्रसाद वर्मा (Mahesh Prasad Verma) था। उनका जन्म 12 जनवरी, 1918 को वर्तमान छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव (Panduka Gaon) में हुआ था, जो उस समय अविभाजित मध्य प्रदेश का हिस्सा था। हालांकि, कुछ स्थानों पर उनके जन्मस्थान के रूप में जबलपुर (Jabalpur) का भी उल्लेख किया जाता है। उनका परिवार साधारण था, लेकिन महेश योगी में बचपन से ही विशेष प्रकार की रूचि और बुद्धिमत्ता थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा होशंगाबाद में प्राप्त की और बाद में नागपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

महेश योगी का जीवन विशेष रूप से उन क्षणों से प्रभावित था जब वे वेदों और भारतीय दर्शन के प्रति आकर्षित हुए। उनका ध्यान वेदांत और योग पर केंद्रित था, जो उनके जीवन की दिशा को बदलने वाला था। इसके बाद उन्होंने उत्तर भारत में हरिद्वार के एक प्रमुख आश्रम में साधना करना शुरू किया और योग और ध्यान की गहरी शिक्षा ली।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर (M.A.) की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के बाद, उन्होंने हिमालय में अपने गुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से 40 और 50 के दशक में ध्यान और योग की गहन शिक्षा ग्रहण की।

गुरु का चयन और आचार्य ब्रह्मानंद

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महर्षि महेश योगी ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ तब लिया जब उन्होंने स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती (Swami Brahmananda Saraswati) से दीक्षा ली। स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, जिन्हें उनके शिष्यों ने ‘गुरु जी’ के नाम से सम्मानित किया, महर्षि महेश योगी के जीवन के पहले गुरु थे। महर्षि महेश योगी ने स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के पास ध्यान और योग के गूढ़ रहस्यों को समझा और जीवन की सच्चाई को जानने के लिए उनकी मार्गदर्शन में साधना की। अपने गुरु के निधन के बाद, उन्होंने स्वयं ध्यान साधना और प्रचार करने का निर्णय लिया।

1950 के दशक में, उन्होंने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation- TM) नामक ध्यान पद्धति को विकसित किया, जिसे उन्होंने सरल और वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया। इसके माध्यम से उन्होंने दुनिया भर के लाखों लोगों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाया।

ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (TM) और वैश्विक प्रसिद्धि

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महर्षि महेश योगी ने ध्यान को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने और इसे वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया। उन्होंने 1960 के दशक में यूरोप और अमेरिका का दौरा किया और वहाँ के लोगों को TM तकनीक से अवगत कराया। 1968 में प्रसिद्ध रॉक बैंड ‘The Beatle’s’ के उनके शिष्य बनने से वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गए। उनके अनुयायियों में गायक डोनोवन, ब्रिटेन के रॉक बैंड और अन्य प्रसिद्ध हस्तियाँ भी शामिल थीं।

उन्होंने दुनिया भर में 500 से अधिक स्कूल, चार महर्षि विश्वविद्यालय और चार वैदिक शिक्षण संस्थान स्थापित किए। टी.एम. एक ऐसी साधना पद्धति है, जिसमें व्यक्ति अपनी आंतरिक चेतना की गहराई में जाकर मानसिक शांति और ध्यान का अनुभव करता है। यह पद्धति बहुत ही सरल और वैज्ञानिक रूप से बनाई गई थी, जो लोगों को जीवन में तनाव, मानसिक दबाव और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में मदद करती थी।

महर्षि महेश योगी का टी.एम. इतना प्रभावशाली और लोकप्रिय हुआ कि वे विश्वभर में प्रसिद्ध हो गए। 1960 के दशक के अंत तक, टी.एम. को हजारों लोग अपनाने लगे थे, और महर्षि महेश योगी ने अपनी शिक्षा का प्रचार शुरू किया। उनके अनुयायी पूरे दुनिया में फैल गए थे, और उनकी शिक्षा को अमेरिका, यूरोप, एशिया और अन्य देशों में भी माना गया।

भारत में योगदान

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महर्षि महेश योगी ने भारतीय संस्कृति और योग को दुनिया भर में प्रचारित किया। उनके योगदान से भारत के प्राचीन योग विद्या को पश्चिमी देशों में लोकप्रियता मिली। महर्षि महेश योगी का मानना था कि भारत का पारंपरिक योग न केवल मानसिक शांति बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।

महर्षि महेश योगी ने भारत और विश्वभर में योग और ध्यान को प्रचारित किया।उन्होंने ऋषिकेश में 18 एकड़ का अत्याधुनिक आश्रम स्थापित किया, जहाँ विदेशी मेहमान ध्यान और योग सीखने आते थे। उनके अनुयायियों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा जैसे नाम शामिल थे। उन्होंने ध्यान चिकित्सा (Meditation Therapy) को बढ़ावा दिया और इसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपयोगी बताया।

महर्षि महेश योगी ने भारत में कई आश्रमों की स्थापना की, जिनमें से कुछ प्रमुख आश्रम हरिद्वार, बैद्यनाथ, और उत्तराखंड में थे। इन आश्रमों में वे ध्यान और योग की शिक्षा देते थे। उनके आश्रमों में लाखों लोग हर साल योग और ध्यान सीखने के लिए आते थे।

इसके अलावा, महर्षि महेश योगी ने 'महारिशी विश्वविद्यालय' की स्थापना भी की, जो भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों में एक माना जाता है। इस विश्वविद्यालय में टी.एम. के आधार पर शिक्षा दी जाती है और यहां छात्रों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

राम नाम की मुद्रा और नीदरलैंड में मान्यता

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2002 में, महर्षि महेश योगी ने अपनी संस्था 'ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस' के माध्यम से 'राम' नाम की मुद्रा जारी की। इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले 1, 5 और 10 के नोट थे।2003 में, इसे नीदरलैंड्स में कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। नीदरलैंड के कुछ गाँवों और शहरों की 100 से अधिक दुकानों में इस मुद्रा का उपयोग किया जाने लगा। इनमें कुछ बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर्स भी शामिल थे।

‘फ्लाइंग योगा' और विवाद

महर्षि महेश योगी ने 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' का एक उन्नत रूप 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिद्धि प्रोग्राम' नाम से विकसित किया, जिसे उन्होंने 'फ्लाइंग योगा' कहा।इसमें उनके भक्त ध्यान करते हुए हवा में फुदकने की कोशिश करते थे। उन्होंने दावा किया कि यह विधि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक है। इस दावे ने उन्हें विवादों में ला दिया, क्योंकि वैज्ञानिक समुदाय ने इसे अवैज्ञानिक और अतार्किक बताया।

महर्षि महेश योगी की संपत्ति और संस्था

महर्षि महेश योगी का संगठन एक 'लाभ-न अर्जित करने वाला' (Non-Profit) संगठन था, लेकिन उनकी संपत्ति को लेकर कई सवाल उठे। 2008 की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनके संगठन के पास 2 अरब पाउंड (लगभग 160 अरब रुपये) की संपत्ति थी। इस संपत्ति में आश्रम, ध्यान केंद्र और शैक्षिक संस्थान शामिल थे।

11 जनवरी 2008 को महर्षि महेश योगी ने कहा कि उनका कार्य पूरा हो चुका है और उन्होंने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी। 5 फरवरी 2008 को, उन्होंने नीदरलैंड्स स्थित अपने घर में 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनकी Transcendental Meditation तकनीक को दुनिया भर के लोग अपनाते हैं। उनके स्थापित विश्वविद्यालयों, आश्रमों और योग केंद्रों में आज भी ध्यान और वैदिक शिक्षाएं दी जाती हैं। उन्होंने भारत की प्राचीन योग और ध्यान विद्या को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

विवाद और आलोचनाएं

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महर्षि महेश योगी की सफलता और प्रसिद्धि के बावजूद उनके जीवन में कुछ विवाद भी हुए। सबसे बड़ा विवाद उनके योग पद्धति की व्यावसायिकता और टी.एम. के व्यावसायिक पहलू को लेकर था। आलोचकों का कहना था कि महर्षि महेश योगी ने ध्यान को एक उत्पाद की तरह बेचना शुरू कर दिया और इसके लिए बड़ी फीस वसूल की, जो कि बहुत से लोगों के लिए एक समस्या बन गई।

इसके अलावा, 'The Beatles' के साथ उनके संबंधों को लेकर भी कई विवाद हुए थे। कई आलोचकों का कहना था कि महर्षि महेश योगी ने प्रसिद्ध पॉप स्टार्स को अपनी साधना के माध्यम से लाभ उठाने की कोशिश की। हालांकि, महर्षि ने इन आरोपों को नकारा और कहा कि उन्होंने केवल अपनी पद्धति का प्रचार किया और किसी को भी व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रभावित नहीं किया।

महर्षि महेश योगी ने दुनिया भर में कई देशों में टी.एम. के केंद्र स्थापित किए और लाखों लोगों को ध्यान और योग के माध्यम से शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाया। उन्होंने ध्यान के वैज्ञानिक पहलुओं को भी उजागर किया और यह सिद्ध करने की कोशिश की कि ध्यान मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है।

उनका योगदान केवल योग तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने पूरे विश्व में ध्यान की महत्ता को लोगों के बीच फैलाया। उनके योगदान की वजह से भारत की संस्कृति और योग को पश्चिमी देशों में एक नया दृष्टिकोण मिला और लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक उन्नति के रूप में भी अपनाने लगे।

महर्षि महेश योगी का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने भारतीय योग और ध्यान पद्धतियों को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया और लाखों लोगों को मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति का रास्ता दिखाया। उनके योगदान के कारण वे न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक प्रतिष्ठित नाम बन गए। महर्षि महेश योगी के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता, और उनका कार्य योग और ध्यान की दुनिया में हमेशा जीवित रहेगा।

Tags:    

Similar News